Monday, February 26, 2018

ओबीसी - नव ब्रह्मण


"अगर ओबीसी के विद्वानों ने अपनी जिम्मेदारी को सही से नहीं समझा तो ओबीसी ही अगला ब्राह्मण यानि कि "नव ब्रह्मण" होगा!  शक्तिहीन व तर्कविहीन ही ज्यादा शोर व उत्पात मचाते है, फिर ये शोर चाहे मंदिर के घण्टों का हो या फिर धर्म के नाम पर हत्या, लूट, अनाचार व अत्याचार का!  किसी धर्म में जितना ज्यादा कर्मकाण्ड होगा, उसमें तर्क उतना ही कम और अन्धविश्वास उतना ही अधिक होगा!  जातिवादी नारीविरोधी मनुवादी सनातनी वैदिक ब्रहम्णी हिन्दू धर्म व संस्कृति कर्मकाण्डों, षडयंत्रों व अन्धविश्वास पर आधारित तथा तर्क से महरूम मानवताविरोधी एक निकृष्टतम साजिश है! ऐसे में, अगर ओबीसी के विद्वानों ने अपनी जिम्मेदारी को सही से नहीं समझा तो ओबीसी ही अगला ब्राह्मण यानि कि "नव ब्रह्मण" होगा!  यदि राजनैतिक दलों को संदर्भ में रखकर देखे तो मुस्लिम, आदिवासी और ओबीसी वर्ग अभी तक अपनी हितैषी राजनैतिक दल को चिन्हित नहीं कर पाये हैं, नतीजा कभी ब्रहम्णी बीजेपी, कभी ब्रहम्णी कांग्रेस, कभी ब्रहम्णी कम्युनिस्ट तो कभी विजनविहीन छिटपुटिया ओबीसी राजनैतिक दलों के मोहरें बनकर रह गए हैं!"
रजनीकान्त इन्द्रा, इतिहास छात्र इग्नू नई दिल्ली
अक्टूबर ३०, २०१७


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