Monday, February 26, 2018

मायने खोते शब्द


प्रिय बहुजन साथियों,  
नरेंद्र, मोदी, विकास, भक्त, भक्ति, देशभक्त, देशभक्ति, राष्ट्र, राष्ट्रवाद, राष्ट्रवादिता, राष्ट्रवादी, कमल, कमल का फूल, भगवा, भगवान, मित्र, मित्रों, बीजेपी आदि ऐसे सभी शब्द अपना मायने खो चुके हैं, इनका वजूद मिट चुका है और ये निर्दोष शब्द गाली, बुराई, अन्याय व अत्याचार के प्रतीक बनकर रह गए हैं! आज आप किसी भी समान्य व्यक्ति को ऊपर लिखे किसी भी शब्द से संबोधित कर दीजिए तो वह चिढ जाता है!
इसी संदर्भ में एक आश्चर्यजनक एहसास हमें तब हुआ जब कल सुबह इलाहाबाद बस स्टेशन पर गम्भीरतापूर्वक बातचीत करते एक यात्री को सुना जिसने अपने दो साल के बच्चे, जिसका नाम 'विकास' था, का नाम ही बदल दिया है!
इस नाम बदलने की घटना ने हमें एहसास करा दिया है कि ये ब्रहम्णी रोगी नरेन्द्र मोदी ने तो आम जनमानस के बीच ही नफरत नही कराया बल्कि शब्दों तक से नफ़रत करवा दिया है!
आप खुद सोचिये कि ब्रह्मणवाद कितनी अमानवीय व ख़तरनाक आतंकवादी विचारधारा है!
जय भीम, जय भारत!
रजनीकान्त इन्द्रा, इतिहास छात्र इग्नू नई दिल्ली
दिसम्बर १६, २०१७

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