Thursday, July 20, 2017

बहन कुमारी मायावती जी का राज्यसभा से इस्तीफ़ा - एक वेक-अप कॉल

आज सत्ता के अहंकार में डूब ब्राह्मणी बीजेपी सरकार ने जिस तरह से बहन कुमारी मायावती जी को बोलने से रोका, वह कुछ और नहीं बल्कि भारत में पैर पसारते ब्राह्मणी आतंकवाद का परिणाम है। ये ब्राह्मणी रोग से ग्रसित सत्तासीन ब्राह्मणी गुलाम नहीं चाहते है कि बहिष्कृत वंचित आदिवासी पिछड़े अकिलियत किसान मजदूर आदि की आवाज़ राष्ट्रिय फ़लक पर दस्तक दे। ये सत्तासीन ब्राह्मणी आतंकवादी लोकतंत्र में लोक की आवाज़ को दफ़न कर तंत्र को ब्राह्मणी विचारधारा से चलना चाहते है।
ब्राह्मणी बीजेपी माध्यम से आरएसएस अपने १९२५ के हिन्दू राष्ट्र के सपने को साकार करना चाहती है। ब्राह्मणी बीजेपी और आरएसएस के आतंकवादी भारत को भारत कहने के बजाय हिंदुस्तान कहते है। हमारे विचार से आज का हिंदुस्तान शब्द, "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" वाला हिंदुस्तान नहीं है। आज की हिन्दुस्तानियत अब्दुल कलाम आज़ाद वाली हिन्दुस्तानियत नहीं रही बल्कि दुनिया की सबसे भयवाह आतंकवादी विचारधारा बन चुकी है। इस ब्राह्मणी आतंकवादी विचारधारा को ब्राह्मणी बीजेपी की मदद से आरएसएस ने देशभक्ति का चोला पहना दिया है। यही ब्राह्मणी आतंकवाद भारत को हिंदुस्तान में तब्दील करना चाहता है। भारत को हिंदुस्तान बनाने का सपने देखने वाले आतंकवादी संगठनों के इरादों को रौंदकर कर समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिध्दांत पर शासन करने वाली बहुजन महाक्रान्ति की महानायिका बहन कुमारी मायावती जे शुरू से ही लड़ती आ रही है। 
इस ब्राह्मणी आतंकवाद के खिलाफ ही बग़ावत करके बसपा प्रमुख मायावती जी ने इस्तीफा दे दिया। सदन में बहन जी ब्राह्मणी बीजेपी के रिपोर्टकार्ड की तरफ देश का ध्यान आकर्षित करना चाहती थी। बहन जी देश को बताना चाहती थी कि जब से आरएसएस के नेतृत्व वाली ब्राह्मणी बीजेपी सत्ता में आयी है तब से लेकर आज तक किस तरह से देश की लगभग ९०% आबादी पर हर दिन जुल्म हो रहे है।
बहन जी राज्यसभा के माध्यम से रोहित वेमुला की सांस्थानिक सरकारी हत्या, डेल्टा मेघवाल का सांस्थानिक सरकारी बलात्कार और हत्या, गौरक्षा के नाम पर बहसी दरिंदों द्वारा वंचित जगत के लोगों पर हर दिन हो रहे हमलों, सहारनपुर में शासन-प्रशासन की मौजूदगी और मंजूरी से लुटेरे तथाकथित क्षत्रियों द्वारा वंचित जगत पर हमले, हत्या, बदसलूकी बदजुबानी, सहारनपुर दौरे के लिए हेलीपैड बनाने की अनुमति ना देना, दौरे दौरान अजय बिष्ट, मुख्यमंत्री .प्र., की निकृष्ट मानसिकता और भेदभावपूर्ण रवैया, साज़िश और उनके सहारनपुर से वापसी के बाद शब्बीर पुर में वंचित जगत पर हमले, भीड़तंत्र द्वारा भारत के कोने-कोने में अकिलियतों पर हमले हत्या, उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणी बीजेपी शासन की शुरूआती दो महीने में ही ८०३ बलात्कार और ७२९ हत्या की घटनाएँ, अन्य बीजेपी शासित प्रदेशों में बढ़ते जघन्यतम अपराधों के ग्राफ़, दिन-प्रतिदिन बद से बद्तर होती कानून व्यवस्था, किसानों की बढ़ती सरकारी हत्या (पाकिस्तानी आतंवादियों ने सिर्फ चंद मुट्ठीभर लोगों को मारा होगा लेकिन .प्र. की अकेली जप सरकार ने पिछले १२-१३ सालों में २०००० से भी ज़्यादा किसानों को हलाल कर दिया), बिगड़ती अर्थव्यवस्था, आसमान छूती बेरोज़गारी, सीमा पर हज़ारों सैनिकों की बीजेपी द्वारा हत्या, समन्दर की गोद में भी ना समाये ऐसे भ्रष्टाचार आदि की ओर जनता, सरकार और सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहती थी।
निकृष्ट ब्राह्मणी बीजेपी सरकार के पास बहन जी के सवालों के उत्तर ना होने की वजह से, ब्राह्मणी बीजेपी सरकार के साज़िशों के चलते बहन जी को जान-बूझकर बोलने के लिए मात्र तीन मिनट का समय दिया गया। देश हित के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर मात्र तीन मिनट में अपनी बात कैसे रखी जा सकती है। ये तीन मिनट का समय साज़िस के तहत दिया गया था। बीजेपी नहीं चाहती है कि जनता का ध्यान देश के अहम् मुद्दों की तरफ जाये। बीजेपी नहीं चाहती है कि वंचित, आदिवासी, पिछड़े और अकिलियत समाज की आवाज़ सदन के पटल पर गूंजे। ब्राह्मणी बीजेपी पूरे देश को अंधकार में रखना चाहती है, सपनों में ही रखना चाहती है। ये नहीं चाहती है कि जनता यह जाने कि कितने बीजेपी के नेता आईएसआई से जुड़ें है, आईएसआई के एजेंट है, कितने दंगों को भड़काने में मसरूफ है, कितने सेक्स रैकेट चला रहे है, कितने हवाला कर रहे है, सरकार कैसे धन्नासेठों को माटी के भाव देश की सम्पदा लुटा रही है आदि। इसी वजह से सोशल मीडिया आदि पर अकाउंट ब्लॉक करवा रही है, ट्रोल का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन ब्राह्मणी बीजेपी ये भूल चुकी है कि लोकतंत्र अपने ज़ख्मों का इलाज खुद ही करती है।
जहाँ तक राज्यसभा की कार्यवाही की बात रही है तो सरकार के इशारे पर सदन की अध्यक्षता कर रहे तत्कालीन अध्यक्ष ने देश हित को कानून की दुहाई देकर देश के उबलते महत्वपूर्ण मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों की बलि चढ़ा दी। सदन की अध्यक्षता कर रहे कुरियन साहब ने पूरे सदन को शर्मसार कर दिया है। बहन जी द्वारा देश हित के इतने महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलते वक्त कुरियन साहब की मुस्कराहट और उनकी भाव-भंगिमा ने भारत के ससंदीय इतिहास में काला धब्बा लगा दिया है। कुरियन साहब ने नैतिक, संवैधानिक और लोकतान्त्रिक मूल्यों को तार-तार कर दिया है। कुरियन साहब के इस असंसदीय बर्ताव के लिए भारत कभी मॉफ नहीं करेगा। संसदीय राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने जिस तरह से अड़चने पैदा की वो उनकी गुलाम मानसिकता का पुख्ता प्रमाण है। नकवी साहेब कहते है कि मायावती जी सदन में राजनीति करती है। हमारे विचार से सदन राजनीति के लिए सबसे उचित और संवैधानिक स्थान है। ऐसे में यदि राजनीति सदन में नहीं होगी, राजनैतिक चर्चे सदन में नहीं होगें तो क्या राजनीति ब्राह्मणों की गोद में, धन्नासेठों के घरों में होगी। नक़वी अपने संवैधानिक कर्तव्यों की बलि चढ़ाकर आरएसएस और ब्राह्मणी बीजेपी के प्रति वफादारी साबित करते रहे है, और जुलाई १८, २०१७ को भी उन्होंने वही किया। जुलाई १८२०१७ को राज्यसभा में मुख़्तार अब्बास नकवी और ब्राह्मणी बीजेपी का रवैया पूरी तरह से बेशर्मी भरा रहा है। ऐसे घुटन भरे माहौल में जहाँ जनता की आवाज़ के बजाय चंद मुट्ठीभर ब्राह्मणो और उनके गुलामों की आवाज़ ही गूंजे, जहाँ जनता की कोई सुनवाई ना हो, उस सदन से बहन जी का नैतिकता के पक्ष में राज्यसभा की सदस्य्ता से इस्तीफ़ा देना भारतीय लोकतंत्र, जनता और संसद को ब्राह्मणी आतंकवाद के प्रति आगाह करता है।
आज जब संसद और सरकार की तरफ गौर करते है तो सरकार और सदन ब्राह्मणों और उनके आदर्श गुलामों का कोर्टरूम बना हुआ। ब्राह्मणी आतंकवाद की गिरफ़्त में कैद आज के संसद में जनता की आवाज को दबाया जा रहा। जनता को बेबस-लाचार बना दिया है। वंचित जगत पर हमलों को अप्रत्यक्ष रूप से कानूनी मान्यता दे दी गयी है। बहसी दरिन्दों को गौरक्षा के नाम पर दलितों व अकलियतों के हत्या की खुली छूट दे दी गयी है। बच्चियों, महिलाओं के बलात्कार और उनके स्वाभिमान को रौदने की साज़िशन अप्रत्यक्ष कानूनी छूट दे दी गयी है। पुलिस स्टेशन दरिंदों की शरण स्थली बन चुकी है। हत्या, बलात्कार, अपहरण के आरोपी मुज़रिम कैबिनेट संभाल रहे है। यदि ऐसे भयावह आतंकवादी माहौल में बहन जी देश की आवाज़ को सदन पे पटल पर रखना चाहती है तो उन्हें साज़िस करके रोका जाता है। ऐसे में बहन कुमारी मायावती जी, राज्यसभा, जुलाई १८, २०१७, कहती "अगर मैं सदन में दलितों के हितों की बात नहीं उठा सकती तो मेरे राज्यसभा में रहने पर लालत है। मैं अपने समाज की रक्षा नहीं कर पा रही हूं। अगर मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है तो मुझे सदन में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। मैं सदन की सदस्यता से आज ही इस्तीफा दे रही हूं।" बहन जी के इस कथन में उनकी व्यवस्था के प्रति, ब्राह्मणी आतंकवाद-आतंकवादी व सत्तासीन भगवा गुण्डों के प्रति नाराज़गी और गुस्सा साफ ज़ाहिर होता है। ऐसे मंज़र में बहन जी ने वही किया जो एक दूरदर्शी, समाजसेवी और नैतिकता से सराबोर मानवतावादी नेता को करना चाहिए। सनद रहे, १९५१ में जवाहरलाल सरकार द्वारा एससी-एसटी के स्वप्रतिनिधित व सक्रिय भागीदारी के अधिकार में  जा रही अप्रत्यक्ष कानूनी धांधली, पिछड़ा आयोग के गठन को लेकर ढुलमुल रवैया और हिन्दू कोड बिल का विरोध और नेहरू की कमज़ोर इच्छा शक्ति को लेकर बोधिसत्व विश्वरत्न मानवतामूर्ति शिक्षा प्रतीक बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर ने भी देश हित, मानवता, महिला अधिकारों, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा और ब्राह्मणों व ब्राह्मणी रोगियों को उनके बीमार होने का एहसास कराने व ब्राह्मणी मानसिक रोगियों को इलाज़ के लिए प्रेरित करने के बाबा साहेब ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। बाबा साहेब की वंशज होने के नाते, बाबा साहेब की अनुयायी होने नाते बहन जी ने वंचित जगत, महिलाओं, आदिवासियों, पिछड़ों, अकलियतों और संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के हित में वही किया जो बाबा साहेब ने अपने संदेशों के माध्यम से बहुजन को सिखाया है।
लोकतंत्र के इस मुश्किल दौर में भी, कुछ बुद्धिजीवी लोग बहन कुमारी मायावती जी के इस्तीफे को राजनैतिक चाल के रूप में देख रहे है। इसमें उनकी कोई गलती नहीं है क्योंकि वो इसी नज़र के आदी हो चुके है, उनका ज़मीर धन्नासेठों ने ख़रीद लिया है। फ़िलहाल हमारा मानना है कि राजनीति लोकतंत्र की धुरी है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में, हमारे जीवन के हर एक पहेलु यहाँ तक कि वायु कितनी शुद्ध है, कितनी नहीं, इसके गुणवत्ता को बढ़ने का फैसला भी राजनीति से ही तय होता है। ऐसे में यदि जनता, संविधान और लोकतंत्र के हित में बहन जी का फ़ैसला राजनीतिक है, तो क्या हुआ। सत्ता के लोभी, ब्राह्मणी रोग से ग्रसित सत्तासीन ग़ुलाम तो ये भी करने की जुर्रत नहीं कर पाये है। बाबा साहेब के बाद जनता, लोकतंत्र, संविधान के हित ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाने वाली वो एक मात्र नेता है। बहन जी का ये फ़ैसला भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। बहन जी का ये कदम पिछले तीन सालों में संसद की गुणवत्ता में आयी गिरावट और ब्राह्मणी रोगियों के आतंकवाद पर प्रहार है। बहन जी का ये ऐतिहासिक कदम देशवासियों और ब्राह्मणी रोग से ग्रसित सत्तासीनों आदि के लिए एक वेक-अप कॉल है।
आज का ब्राह्मणी रोगी समाज के लोग बहन जी को चाहे जिस तरह से देखे लेकिन हमारा पूरी दृढ़ता के साथ ये मानना है कि
ब्राह्मणी रोगियों,
बहन कुमारी मायावती जी,संविधान की सफलता का प्रमाण है, वो भारतीय लोकतंत्र की चमत्कार है, वो बहुजन अस्मिता की पहचान है, वो बाबा साहेब की वंशज है, वो बहिष्कृत वंचितों-आदिवासियों-पिछड़ों और अकलियतों ली बुलन्द आवाज़ है, वो भारत में फैले भगवा आतंकवाद के ख़िलाफ़ चमकती तलवार है, आज के भगवाराज में वो मानवता, संविधान और लोकतंत्र की सबसे बड़ी रक्षक है, वो भारत की प्रतिरक्षा शक्ति है, वो २१वीं सदी की बहुजन महाक्रान्ति महानायिका है, वो वो बहुजन सामाजिक महाक्रान्ति की एक मजबूत स्तम्भ है, वो बहुजन महाक्रान्ति के सिपाहियों के लिए एक छायादार दरख़्त है, वो बहुजन महाक्रान्ति की विचारधारा में शामिल हो चुकी है, उनका जीवन एक दर्शन बन चुका है। तुम उनकों जितना दफ़न करने की कोशिस करोगें, वो उतनी ही तीव्र वेग से आगे आएगी। तुम उनकों जितना धूमिल करने की कोशिस करोगे, वो उतनी ही ज्यादा प्रखरता से चमकेगीं। तुम उनकी आवाज़ को जितना दबाने की कोशिस करोगें, उनकी आवाज़ उतनी ही प्रबलता से गूँजेगीं।
यह सच है कि यदि देश ने बहन कुमारी मायावती जी के इस्तीफे में निहित सन्देश को नहीं समझा तो जल्द ही आने वाले इतिहास में भारत ब्राह्मण-सवर्ण-हिन्दू आतंकवाद के गढ़ के लिए भी जाना जायेगा। सत्तासीन ब्राह्मणी आतंकवादी भी ये ना भूले कि लोकतंत्र अपने घावों का इलाज़ खुद ही करता है। कुछ समय के लिए भारत लोकतंत्र एक ग़ुमराह भीड़तंत्र ज़रूर बन गया है लेकिन यह ज़्यादा देर तक दिक नहीं पायेगा क्योंकि झूठ और नफ़रत बनी ईमारत ज्यादा देर तक सुरक्षित नहीं रह सकती है। हम भारत के लोक पर पूरा विश्वास करते है कि जो गलती उन्होंने २०१४ में की है, और अन्य प्रांतों में वही गलती करके ब्राह्मणी बीजेपी को हुकूमत सौप दिया है, भारत के लोग आने वाले समय में वो गलतियाँ नहीं दुहरायेगें। 
रजनीकान्त इन्द्रा
इतिहास छात्र, इग्नू - नई दिल्ली
जुलाई २०, २०१७