Sunday, December 29, 2019

मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है मनुष्यता


बहुजन समाज पर सदियों से हर संभव तरीके से अत्याचार होता आ रहा है। बहुजन समाज (मानव) के लोग भी अपनी यथासंभव शक्ति के अनुसार उसका विरोध करते आ रहे हैं।

यदि इतिहास पर गौर करें तो हम पाते हैं कि मानवता (बहुजन समाज) के खिलाफ अत्याचार कर रही मनुष्यता (ब्राह्मवाद) पर प्रहार करते हुए गौतम बुद्ध सम्राट, चार्वाक, अशोक, संत रैदास, संत कबीर दास, गुरु घासीदास, फुले-शाहू-आंबेडकर, पेरियार, कांशीराम से लेकर बहन जी समेत सकल दानव समाज (बहुजन) अपने-अपने स्तर पर मनुष्यता का सदा से विरोध करता रहा है।

जब-जब मानवता का आंदोलन प्रबल व प्रखर हुआ है तब-तब मानव समाज अक्सर अपने नायकों को स्थापित कर अपने आंदोलन की परंपरा को आगे बढ़ाकर मानवता के आंदोलन को ऊंचाई के अगले पायदान पर पहुंचाया है। लेकिन यदि हम आज के दौर की बात करें, जहां पर मनुष्यता को मानने वाले और मानवता के मानने वाले, समरसता बनाम समता की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मानव समाज में भी कुछ लोग मनुष्य बनने का प्रयास कर रहे हैं। मनुष्यों को समरसता में अटूट विश्वास है। ऐसे में मानव से मनुष्य बने लोगों का देश के मानव आंदोलन के लिए हानिकारक सिद्ध होना लाजिमी हैं।

ऐसा देखा जाता रहा है कि जब-जब मानव समाज का आंदोलन आगे बढ़ता है तब-तब यदि कोई मनुष्य मानव के हक का मुखौटा ओढकर इनके सुर में सुर मिला दे तो ये मानव लोग उस मनुष्य को अपना हितैषी समझ लेते हैं, और अपने महानायकों और अपने साथ संघर्ष करने वाले मानव को भूलकर के मनुष्यों की जय-जयकार करने लगते हैं।

ऐसे में हमारा स्पष्ट मानना है कि यदि कोई भी मनुष्य मानव के मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद करता है, और यदि आप उस मनुष्य को अपने नायक के तौर पर प्रोजेक्ट करते हैं तो कहीं ना कहीं आप अपने आंदोलन में सहयोग कर रहे अग्रणी मानव को किनारे कर के अपने शत्रु मनुष्य को आगे बढ़ा रहे हैं। यही वजह है कि गुमराह बहुजन समाज अपने नायक गढ़ने के बजाय मनुष्य की वाहवाही में अपना ऊर्जा व्यर्थ कर रहा है जिसका ताजा उदाहरण एनआरसी-सीएए पर ढोंगी समर्थन करने वाले कुछ मनुष्यों का मानव समाज द्वारा किये गये महिमामंडन के रूप में स्पष्ट दिखाई पड़ता है।

ऐसे नाजुक दौर के संदर्भ में हमारा स्पष्ट मानना है कि यदि मानव समाज यह चाहता है कि उसका अपना आंदोलन अपने वाजिब मुकाम तक पहुंचे तो मानव समाज को चाहिए कि वह अपने आंदोलन में अहम योगदान दे रहे मानव को ही अग्रणी रूप से पेश करें। यदि वह अपने समाज के अग्रणी मानव को किनारे कर मानवता का चोला पहनकर मनुष्यता को बढ़ावा दे रहे मनुष्य को अपने लीडर के तौर पर प्रोजेक्ट करते हुए उसका महिमामंडन करेगा तो मानवता का पूरा का पूरा आंदोलन मनुष्यों द्वारा हाईजैक कर लिया जाएगा। परिणाम स्वरूप देश में मानवता स्थापित होने के बजाय मनुष्यता की स्थापना हो जाएगी।

याद रहे,
समाज में मनुष्यता की स्थापना मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। मनुष्यता का दहन करके ही मानवीय मूल्यों पर आधारित भारत का सृजन किया जा सकता है।
जय भीम नमो बुद्धाय

✒✒✒रजनीकान्त_इन्द्रा✒✒✒