Monday, January 25, 2021

Saturday, January 9, 2021

राजनैतिक परिपक्वता से दूर हैं बहुजन समाज

बहुजन विरोधी राजनीतिक दलों व संगठनों के नेता लोग अपने आप को लाइम लाइट में रखने के लिए अक्सर बहुजन समाज की एकमात्र राष्ट्रीय नेता परम आदरणीया बहन कुमारी मायावती जी पर या तो अभद्र टिप्पणी करते हैं, उनके खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल करते हैं या फिर कुछ लोग बहन जी की तारीफ में दो शब्द कह देते हैं।

परिणामस्वरूप, इनकी इन टिप्पणियों पर बहुजन समाज के नासमझ लोगों की अनावश्यक प्रतिक्रिया के चलते जिस बहुजन विरोधी नेता या संगठन को कोई जानता तक नहीं था, वह देखते ही देखते भारत के फलक पर चर्चा का विषय बन जाता है।

उदाहरण स्वरुप, लगभग साल भर पहले दिल्ली की कांग्रेसी महिला परम आदरणीया बहन कुमारी मायावती जी पर अपमानजनक टिप्पणी करती हैं, बहुजन समाज के लोग प्रतिक्रिया देकर उसको चर्चा के केंद्र में लाकर खड़ा कर देते हैं। जबकि, हमारा ऐसा मानना हैं, उसका बहन जी को अपमानित करने का कोई इरादा नहीं रहा होगा, बल्कि उसका मकसद परम आदरणीया बहन कुमारी मायावती जी का नाम लेकर चीप पब्लिसिटी पाना मात्र था। और, भोले-भाले बहुजन समाज ने भी उसको निराश नहीं किया।

इसका दूसरा उदाहरण उत्तर प्रदेश से लिया जा सकता है जहां पर भाजपा का एक उपाध्यक्ष था, जिसे खुद उत्तर प्रदेश की जनता नहीं जानती थी, लेकिन उसने बहन जी पर अति अपमानजनक, अमानवीय व निकृष्ट टिप्पणी की, जिसके चलते वह लाइमलाइट में आ गया।

उसकी इस निकृष्ट टिप्पणी की चर्चा पार्लियामेंट के पटल पर भी की गई। यह मुद्दा गंभीर था। इसलिए सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन जी ने इस मुद्दे को खुद उठाया क्योंकि इसका उठाया जाना जरूरी था।

परिणामस्वरूप, मजबूरन भाजपा को उसे उत्तर प्रदेश के भाजपा उपाध्यक्ष जैसे जिम्मेदार पद से हटाना पड़ा। परंतु, दलित, आदिवासी व पिछड़े विरोधी मनुवादी संकीर्ण विचारधारा के लोगों व खुद भाजपा के आला कमान नेतृत्व तक को भाजपा के उस छुटभैय्ए नेता की यह टिप्पणी बहुत रास आई।

नतीजा यह हुआ कि पारितोषिक के तौर पर उस छुटभैय्ए नेता की बीवी को भाजपा ने टिकट देकर पहले विधायक और फिर मंत्री बना दिया।

उत्तर प्रदेश का यह उदाहरण भी यह साबित करता है कि बहन जी का व्यक्तित्व इतना महान और कद इतना बड़ा है कि उनके ऊपर ऊल-जलूल टिप्पणी करके ही लोगों को दलित, आदिवासी, पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी सरकारों में मंत्री जैसे पद खुद-ब-खुद मिल जाया करते हैं।

इसलिए समय-समय पर तमाम छुटमुट नेता लोग अपने आप को चमकाने के लिए भारत महानायिका परम आदरणीया बहन जी पर चीप पब्लिसिटी के लिए ऊल-जलूल टिप्पणी करते रहते हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि ऐसी टिप्पणी सिर्फ गैर-बहुजन समाज के लोग ही नहीं करते हैं बल्कि बहुजन समाज में जन्मे चमचे भी समय-समय पर अपनी जरूरत के अनुसार बहन जी पर ऊल-जलूल टिप्पणी करके, उन पर गलत आरोप लगा कर, अपने आप को मीडिया के लाइमलाइट में बनाए रखते हैं।

इसी तरह से चर्चा के केंद्र से दूर एक और कांग्रेसी नेता ने चीप पब्लिसिटी के लिए ही अपने ट्विटर अकाउंट से परम आदरणीया बहन जी के लिए भारतरत्न की मांग कर दी। नतीजा यह हुआ कि बहुजन समाज के राजनैतिक समझ से शून्य लोगों ने उसको भी लाइमलाइट में लाकर चर्चा के केंद्र में खड़ा कर दिया।

कितना हास्यास्पद है कि परम आदरणीया बहन कुमारी मायावती जी कब से मान्यवर कांशीराम साहेब को भारत रत्न दिए जाने की मांग कर रही है लेकिन अपने सरकार में जिन कांग्रेसियों ने मान्यवर साहेब को भारतरत्न नहीं दिया आज वही भाजपाइयों से खुद परम आदरणीया बहन जी को भारतरत्न देने की मांग कर रहे हैं। बहुजन समाज को समझना चाहिए कि ऐसे बयान सिर्फ और सिर्फ चीप पब्लिसिटी स्टंट मात्र होते हैं।

दुखद है कि बहुजन समाज अपने विरोधियों की इतनी आसान चाल को भी नहीं समझ पाता है।

इसका सीधा सा मतलब यही निकालता है कि बहुजन समाज के लोगों में सामाजिक चेतना जरूर आई है, जिसके परिणाम स्वरुप वह अपने शोषणकर्ता को पहचान चुका है। परंतु, भारत के इस विषमतावादी, गैर-बराबरी वाली सामाजिक व्यवस्था व संस्कृति में किस तरह से अपने मुद्दे और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना है, इसकी समझ व राजनैतिक चेतना आज भी बहुजन समाज में विकसित नहीं हो पाई है।

यही कारण है कि बहुजन समाज के लोग अपनी नेता, अपनी पार्टी, अपने मुद्दे, अपने एजेंडे, अपने महानायकों-महानायिकाओं के संघर्ष, शौर्य गाथाओं एवं विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के बजाय अपनी ज्यादातर ऊर्जा और समय अपने विरोधियों का विरोध कर उनको चमकाने में लगाते हैं।

यह बड़े दुख की बात है कि बहुजन समाज में आज भी राजनैतिक चेतना का लगभग पूरा अभाव है, क्योंकि बहुजन समाज के लोगों को यह आज भी नहीं मालूम है कि उन्हें कहां पर टिप्पणी करनी चाहिए, और कहां पर खामोश रहना चाहिए।

फिलहाल बहुजन समाज के लोगों को यह चाहिए कि वे अपनी नेता और अपनी पार्टी, उसके आदर्शों, महानायकों-महनायिकाओं की विचारधारा, उनके सघर्ष, शौर्यगाथा और संदेशों पर पूरा विश्वास बनाए रखें। जिन मुद्दों पर जरूरी होगा वहां पर भारत महानायिका परम आदरणीया बहन कुमारी मायावती जी खुद ही जवाब देंगी, टिप्पणी करेंगी, और जरूरी हुआ तो कानूनी कार्यवाही भी करेंगी।

ऐसे में, सकल बहुजन समाज के लोगों की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह मजबूती के साथ हर हाल में अपनी नेता और अपनी पार्टी के साथ सदा खड़े रहे। और, अपनी एक मात्र राष्ट्रीय नेता परम आदरणीया बहन जी, अपनी बहुजन समाज पार्टी की मजबूती को बनाए रखते हुए कदम दर कदम बुद्ध-अम्बेडकरी वैचारिकी पर अडिग रहते हुए भारत में सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के मिशन को आगे बढ़ाते हुए भारत में समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्षरत रहे।

रजनीकान्त इन्द्रा

इतिहास छात्र, इग्नू-नई दिल्ली

Saturday, January 2, 2021

माया माह - 2021