Monday, February 26, 2018

समाजवादी पार्टी - सांप्रदायिकता की राजनीति


बीजेपी व समाजवादी पार्टी की राजनीति का केन्द्र बिन्दू - मुस्लिम समाज ही है! बीजेपी मुस्लिमों को पीटकर सत्ता में आती है तो समाजवादी पार्टी मुस्लिमों को पिटवाकर! कुल मिलाकर, इन दोनों दलों के बीच पिसता व पिटता मुस्लिम समाज ही है!
"रिजेर्बेशन इन प्रमोशन" के तहत पदोन्नति पाये अधिकारियों व कर्मचारियों को सबसे पहले डीमोट करने वाला कोई और नही, समाजवाद का लिबास ओढ़े अखिलेश सिंह यादव ही है! अखिलेश सिंह यादव ने एससी-एसटी के लोगों का डिमोशन ऐसे किया जैसे कि रेस चल रही हो कि पहले स्थान पर कौन आयेगा! एससी-एसटी के डिमोशन की पहलकर अखिलेश यादव ने भविष्य में "ओबीसी के लिए रिजेर्बेशन इन प्रमोशन" के राह खुलने से पहले ही बन्द करवा कर दी! क्या ऐसे लोग व ऐसे दल किसी भी तरह से ओबीसी व एससी-एसटी के हितैषी हो सकते हैं?  ओबीसी, एससी-एसटी व माइनॉरिटीज की जितनी बड़ी शत्रु बीजेपी, कांग्रेस व कम्युनिस्ट है, उतनी ही बड़ी शत्रु समाजवादी ख़ानदान भी है! इसलिए बहुजन समाज को सावधानीपूर्वक वोट करना होगा, नहीं तो फिर पछताना ही पड़ेगा! 
याद रहें, "जो समाज अपनी राजनैतिक पहचान नहीं बना सकता वो "घलवा" बनकर रह जाता है, जो अपनी आर्थिक पहचान नही बना सकता वो "मजदूर" बनकर रह जाता है, और जो अपनी सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान नहीं बना सकता वो समाज "गुलाम" बनकर रह जाता है!" आज तक के सपा की मानसिकता व राजनीति को केंद्र में रखकर हम  सकते है कि समाजवादी पार्टी ओबीसी की मानसिक गुलामी व मुस्लिम समाज के शोषण का उत्प्रेरक है!
रजनीकान्त इन्द्रा, इतिहास छात्र इग्नू नई दिल्ली
नवम्बर १६, २०१७

No comments:

Post a Comment