Monday, February 26, 2018

सही और गलत


दिनांक - अक्टूबर २९, २०१७ 
प्रिय बहुजन साथियों,
सामान्यतः, सही-गलत कुछ नहीं होता है, ये जनमानस की स्वीकारियता पर निर्भर करता है! जिसे जनमानस सही मान ले वही सही हो जाता है और जिसे गलत मान ले वो गलत हो जाता है! इतिहास ऐसे उदाहारणों से भरा पड़ा है! उदाहारार्थ - कभी सती प्रथा, डोला प्रथा, नरबलि आदि सही थे! पशुबलि, बुर्का, घूंघट, वैवाहिक बलात्कार, जातिवाद, छुआछूत, वर्णव्यावस्था आदि को आज भी सही माना जाता है! 
ये और बात है कि सही और गलत मनवाने वाला कोई और नही बल्कि वही लोग होते है जो समाज को गुमराह कर अपने शासन को बनाये रखना चाहते हैं!
आपका अपना
रजनीकान्त इन्द्रा
फाउंडर एलीफ



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