Tuesday, February 19, 2019

हमारे बाबू जी...

न्याय की मूरत हैं बाबू जी,
प्यार की सूरत हैं बाबू जी।
काल अँधेरा क्यों ना हो,
सदा आगे रहे हैं बाबू जी। 
तूफां से खेले, शैलों से टकराएँ,
कभी झुके नहीं है बाबू जी। 

न्याय की मूरत हैं बाबू जी,
प्यार की सूरत हैं बाबू जी। 
सत्य-कर्म है भोजन इनका,
न्याय ही है जीवन उनका,
स्वाभिमान है गहना जिनका,
ऐसे हैं हमारे प्यारे बाबू जी।

न्याय की मूरत हैं बाबू जी,
प्यार की सूरत है बाबू जी।
ठंडी झेली, गर्मी झेला,
वर्षा भी झेलें हैं बाबू जी। 
जीवन भर किये संघर्ष,
दिए ऊंचाई बाबू जी।

न्याय की मूरत हैं बाबू जी,
प्यार कि सूरत हैं बाबू जी। 
बुद्धि-विवेक की राह दिए हैं,
प्यार संग नैतिकता का ज्ञान दिए है बाबू जी।
संघर्ष-गीत हैं मेरे बाबू जी,
संघर्ष-मीत हैं मेरे बाबू जी।

न्याय की मूरत हैं बाबू जी,
प्यार की सूरत हैं बाबू जी।

रजनीकान्त इन्द्रा, इतिहास छात्र, इग्नू, नई दिल्ली
(Published on Bahishkrit Bharat web portal on Feb. 12, 2019)

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