Tuesday, February 19, 2019

रजनीकांत इन्द्रा के नेतृत्व में एलीफ ने जगाया बहुजनों में सामाजिक-सांस्कृतिक नवजागरण का अलख

14 अक्टूबर 2016 को रजनीकान्त इन्द्रा द्वारा शुरू किये गये और एलीफ (A-LEF) द्वारा प्रचारित-प्रसारित शिक्षा भूमि अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर जन्में समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व-वैज्ञानिकता-शिक्षा-मानवता पर आधारित भारत के मूलनिवासी बहुजन समाज का अपना दीक्षा दीप महोत्सव / दीक्षा महादीपावली (14 अक्टूबर) का महापर्व अम्बेडकरनगर, बस्ती, गोरखपुर, आज़मगढ़, सुल्तानपुर, मैनपुरी, इलाहबाद से होते हुए नांदेड़ (महारष्ट्र), गोंदिया (महाराष्ट्र) आदि जिलों तक में अपनी दस्तक दे चुका है। इसी कड़ी में विगत 4 फरवरी 2019 को हंडिया तहसील इलाहबाद में अम्बेडकर जनजागरण कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यक्रम में एलीफ संस्थापक रजनीकान्त इन्द्रा द्वारा दीक्षा दीप महोत्सव / दीक्षा महादीपावली और आंबेडकर महोत्सव के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी।

दीक्षा दीप महोत्सव / दीक्षा महादीपावली के सन्दर्भ में अपने अभिभाषण के दौरान रजनीकान्त इन्द्रा ने कहा कि भारत की धरती से लगभग मिट चुके बुद्धिज्म को अंगीकार करके 14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने भारत की सरज़मीं पर बुद्धिज्म को पुन: स्थापित किया है। इसलिए 14 अक्टूबर को समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व-शिक्षा व मानवता का संदेश देने वाले दीपक की कतारों को प्रज्वलित कर सकल मानव समाज को शांति, शिक्षा व मानवता का सन्देश देना वाला महापर्व है – दीक्षा दीप महोत्सव। इस महापर्व में 14 अक्टूबर को दिन में बुद्ध-अम्बेडकरी विचारधारा पर चिंतन-मनन कर बुद्ध-अम्बेडकर को अपनी जीवन-शैली में शामिल करते हुए, शाम के समय बुद्ध-वंदना, त्रिशरण, पंचशील, बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञा व भारतीयों के अधिकारों को संरक्षित करने वाले बाबा साहेब रचित संविधान के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए, अपने-अपने घरों, खेत-खलिहानों व अन्य सभी समुचित जगहों पर ज्ञान शिक्षा व मानवता के प्रतीक दीयों की कतारें प्रज्वलित कर, अपने-अपने घरों पर पकवान बनाकर, आपस में मिठाइयां शेयर करके, बच्चों को शिक्षा-सामाग्री गिफ्ट करते हुए दुनियां में समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व-वैज्ञानिकता-मानवता का संदेश देने वाले दीक्षा दीप महोत्सव / दीक्षा महादीपावली के महापर्व का मनाया जाता है। दीक्षा दीप महोत्सव / दीक्षा महादीपावली के इस बहुजन महापर्व में पटाखों, धूपबत्ती, अगरबत्ती, पूजापाठ, भगवान-भक्ति व अन्य सभी सामाजिक-मानसिक-पर्यावरणीय प्रदूषण (पटाखें) फैलाने वाले सभी कृत्यों की पूरी तरह से मनाही है।

कार्यक्रम के दौरान अपने संदेश में रजनीकान्त इन्द्रा ने दीक्षा दीप महोत्सव के हर पहलू को स्पष्ट कर लोगों को बहुजन समाज की स्वतंत्र सामाजिक व सांस्कृतिक छवि के मायने, महत्व और भविष्य पर गम्भीरता से चर्चा कर पूरे देश के मूलनिवासी बहुजन समाज को सांस्कृतिक तौर पर एक धागे में पिरोने की अपील की। श्री इन्द्रा ने इस चर्चा के दौरान बुद्धिज्म के पतन, बाबा साहेब के भगवाकरण, दलितों के साथ हो रहे अत्याचारों के पीछे छिपे गूढ सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों को बड़े ही सहज-सरल तरीके से लोगों को समझाया। अपने भाषण के अंत में रजनीकांत इन्द्रा ने दीक्षा दीप महोत्सव को आगे बढ़ाने व दुनिया के फलक पर बहुजन अस्मिता को स्थापित करने की बात करते हुए सभी का अभार व्यक्त किया। अम्बेडकर जनजागरण समिति के सम्मानित पदाधिकारी राजू गौतम (केशव रायपुर हंडिया, इलाहबाद), राजेश वर्मा (अध्यापक), नन्हे लाल भास्कर, जितेंद्र कुमार द्रविड़ (एडवोकेट इलाहाबाद हाईकोर्ट) संग अपार संख्या में उपस्थिति बच्चों व नारी जगत संग सकल बहुजन समाज ने जो भव्य कार्यक्रम कर दीक्षा दीप महोत्सव / दीक्षा महादीपावली और आंबेडकर महोत्सव की शुरूआत व सृजन में जो योगदान किया वह सफल व सराहनीय रहा।


एलीफ के कारवां चर्चा के दौरान जन-जन तक पंहुचाये जा रहे सन्देश के चलते ही इलाहाबाद में यह बहुजन महापर्व पिछली साल (2018) पहली बार मनाया गया था। जिसका प्रभाव वहां के लोगों के चेहरों की ख़ुशी और लोगों द्वारा श्री इन्द्रा के प्रति दिए गए आभार में स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। कर्यक्रम के बाद वहां भारी संख्या में उपस्थिति बहुजनों ने इस साल सभी ब्राह्मणी त्यौहारों का बहिष्कार कर अपना बहुजन महापर्व दीक्षा दीप महोत्सव (दीक्षा महादीपावली-14 अक्टूबर), अम्बेडकर महोत्सव (14 अप्रैल) को जोर-शोर से घर-घर मनाने की सहर्ष सहमति देते हुए बहुजन समाज के लिए समर्पित एलीफ के सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन को बुलांदियों तक पहुंचाने की सहर्ष सहमति जताई।
चन्द्रशिखा इन्द्राबी.टेक, एम.एस.डब्ल्यु
(Published on Bahishkrit Bharat web portal on Feb. 15, 2019) 

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