Friday, August 23, 2019

सोशल मीडिया के जरिये अपने अमानवीय छवि को छुपाने की फ़िराक़ में अपराधी ब्राह्मणी समाज

पहले बच्चों के किताबों की कहानियों में, अखबारों व पत्र-पत्रिकाओं के कोने में ऐसी कहानियां मिला करती थी लेकिन आज कल सोशल मीडिया पर विडियों बनाकर बहुत सारे ऐसे विडियों धडल्ले से लाइक और शेयर किये जा रहे हैं जिसमें कोई महंगी कार वाला किसी गरीब भिखारी को पॉच सौ की नोट देता दिखाई देता है, कोई पिज्जा-बर्गर फैमिली की लड़की किसी भूखे बच्चे को अपना टिफिन देते हुए दिखाई देती है, कोई होटल वाला अपने होटल के सामने रोड पर खडें बच्चे को रोटी दे देता है, तो कोई अमीरजादा भूखे-नंगे मैले-कुचैले भिखारी के बच्चे को मंहगें होटल में खाना खिलाता नजर है!


इस तरह के विडियों को लाइक, शेयर और कॉमेंट करने के लिए रिक्युस्ट की जाती है, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचयें जाने की प्रार्थना की जाती है! हाथ में मोबाइल लिया युवा व अन्य सभी लोग आंखों को नम करते हुए ऐसे सभी विडियों को जन-जन तक पहुंचा देते हैं! ऐसे विडियोंज के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि दयालू बनों, गरीबों की मदद करों! क्या ऐसे विडियोंज का वकाई यही संदेश होता है?

ऐसे विडियोंज के असल संदेश को जानने व समझने के लिए भारत देश की राजनैतिक-आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ को समझना होगा!

ऐसे विडियोंज पर जब हम गौर करते हैं तो हम पाते हैं कि सामान्यतः विडियोंज में रहम का संदेश देने वाला इंसान, सामाजिक तौर उच्चजातीय होता है, राजनैतिक तौर पर शासक जमात का होता है, सांस्कृतिक तौर पर मजबूत होता है और आर्थिक तौर बेशुमार दौलत का मालिक होता है!

आगे यदि हम गौर करें तो देखते हैं कि भारत की सड़कों, गलियों, सिग्नल्स पर भीख मांगने वाला इंसान, शारीरिक तौर पर अपंग, गरीब-लाचार, भूखा-नंगा इंसान, बच्चे को दूध पिलाने, खाना खिलाने के लिए हाथ फैलाती नारी, भूख के कारण हर किसी के पास हाथ फैलाते छोटे-छोटे बच्चे, ये सब देश की उसी 85% आबादी से आते हैं जिन्हें एससी-एसटी-ओबीसी-कान्वर्टेड मॉयनॉरिटीज या फिर बहुजन समाज, मूलनिवासी समाज कहा जाता है! क्या आपने कभी किसी ब्राह्मण-सवर्ण को भीख माँगते देखा हैं, क्या कभी किसी ब्राह्मण सवर्ण नारी को बच्चों को खिलने के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलते देखा हैं? क्या किसी ब्राह्मण विकलांग को सिग्नल्स पर भटकते देखा हैं? क्या किसी ब्राह्मण-सवर्ण किन्नर को भीख माँगते देखा हैं? ब्राह्मण किन्नर भी इतना सम्मानीय हैं कि उसकी पालकी निकली जाती हैं, उसके भरण-पोषण के लिए किन्नर अखाड़ा तक स्थापित कर दिया गया हैं, जिसका नंगा नाच कुम्भ-२०१९ में सीधा टेलीकास्ट किया गया था। क्या कभी ये सवाल ज़हन में आया हैं कि ऐसा क्यूँ होता हैं? क्या कभी इसका जवाब खोजने का प्रयास किया गया हैं? 

ये मुद्दा गंभीर हैं, और ये सोचने पर मजबूर करता हैं कि संविधान में सारे प्रावधान होने के बावजूद ये बहुजन समाज आज भी गुलामी की जिंदगी जीता आ रहा था लेकिन मान्यवर काशीराम साहेब व बहन जी की बदौलत ये बहुजन समाज भारत के राजनैतिक छाती पर कदमताल करते हुए सतत आगे बढ़ता जा रहा है! ऐसे में राजनैतिक तौर पर गुलाम रहा ये समाज अब हुक्मरान बनने के लिए लगातार जद्दोजहद कर रहा है!

मान्यवर साहेब व बहुजन महानायिका बहन जी ने सिग्नल पर भीख मांगने वाले के जहन में भी अपने समाज की सरकार वाले सपने का बीजारोपण कर दिया है! ऐसे में आज ये समाज आज राजनैतिक तौर पर अपनी अस्मिता गढ चुका है! इस समाज के लोग राजनैतिक गलियारों में अपनी दश्तक दे चुके हैं!

ये लोग आज धीमी गति से ही सही लेकिन ईश्वरवाद की पाखण्डी वैचारिकी से पलायन कर रहे हैं, संविधानवाद से जुड़ रहे हैं! ये बहुजन समाज 1947 के बाद से घातांकीय तौर पर गहराई आर्थिक खाई को पहचान चुका है! नतीजतन, ये समाज हर जगह चाहे वो शहर हो, गांव हो, या फिर दंतेवाडा, बस्तर के जंगल हो, अपने आर्थिक हकों की मांग कर रहा है, धन-धरती के बंटवारें के लिए अपने ही देश की ब्रह्मणी व्यवस्था व पूंजीवाद के खिलाफ खुली जंग लड रहा है!

सामाजिक तौर पर ये समाज सदियों से वंचित रहा है, अछूत रहा है, लाचार रहा है... लेकिन अब ये समाज अपने आत्मसम्मान व स्वाभिमान के लिए लड रहा है, जातिवाद का उन्मूलन करने के लिए बग़ावत करता आ रहा है, छुआछूत व गैर-बराबरी को नेस्तनाबूद करने के लिए सतत क्रियाशील है!

सांस्कृतिक तौर पर ये बहुजन समाज ईश्वरवाद, नियतिवाद, विधि के विधान जैसे जीवन-शैली से दूर जा रहा है, संविधान की बात कर रहा है, स्वतंत्रता-समता-बंधुत्व पर आधारित जीवन जीते हुए भारत को इसी बुद्धिज्म की जीवन-शैली पर आधारित और जातिवाद, पुरोहितवाद, छुआछूत, लिंगभेद, वैदिकता व ब्रहम्णवाद से मुक्त भारत का सृजन करने के लिए लगातार जद्दोजहद कर रहा है!

इस प्रकार से देश का शोषक समाज, पूँजीवादी लोग, धर्म के ठेकेदार, राजनीति पर बहुजनों का रास्ता रोकने वाले लोग देश के बहुजन समाज के अंदर पल रहे आक्रोश को पहचान चुका है! ये शोषक जातिवादी वर्ग ये जान चुका है कि बहुत दिन तक वो बहुजनों के हकों को उनसे दूर नही रख सकता है!

सांस्कृतिक तौर पर अपराधी जाति / समाज (कल्चरली क्रिमिनल कास्ट / सोसाइटी) ये जान चुका है कि देश की पच्चासी फीसदी आबादी की निगाह में वो ससबूत क्रिमनल साबित हो चुका है!

ऐसे में बहुजनों को गुमराह करने के लिए, बहुजनों को उनके मूल मुद्दे से भटकाने के लिए और अपनी कल्चरली क्रिमिनल कास्ट (त्रिपल सी - CCC) वाली छवि को सुधारने के लिए कल्चरली क्रिमिनल सोसाइटी (CCS) के लोग बच्चों की किताबों, अखबार, पत्र-पत्रिकाओं के कोने में छपी कहानियों के अलावा बहुजनों के अपने मीडिया सोशल मीडिया पर ऐसे विडियोंज को बनाकर ज्यादा से ज्यादा शेयर कर रहे हैं!

कल्चरली क्रिमिनल कास्ट (CCC) के लोगों का ये कार्य सिर्फ छोटे-छोटे विडियोंज और सोशल मीडिया तक ही नहीं सीमित है! ये लोग बॉलीवुड में तमाम ऐसी फिल्मे बना चुके हैं जिसमें बहुजनों पर हो रहे अत्याचार पर कल्चरली क्रिमिनल कास्ट (CCC) का ही कोई आवाज उठाता नजर आता है, परिणाम स्वरूप शोषित समाज में किसी भी लीडरशिप के पनपने की संभावना खत्म हो जाती है, और कल्चरली क्रिमिनल कास्ट के लोगों का रसूख सुरक्षित हो जाता है!

आज के मीडिया जगत में ये काम रवीश कुमार जी भी बखूबी कर रहे हैं! इसीतरह से हाल ही आ रही फिल्म आर्टिकल - 15 भी इसी श्रेणी में बनाई गई फिल्म है!

इन सबके माघ्यम से कल्चरली क्रिमिनल सोसाइटी (CCS) के लोग ये बताना चाहते हैं कि कल्चरली क्रिमिनल कास्ट (CCC) के लोगों ने बहुजनों पर सदियों से अत्याचार किया जरूर हैं लेकिन ऐसे करने वाले कुछ ही लोग हैं, सब लोग नहीं! कुछ लोग गलत हो सकते हैं लेकिन सभी ब्रहमण-सवर्ण (कल्चरली क्रिमिनल कास्ट) बुरे नहीं है, इन विडियोंज के माध्यम से यही संदेश बहुजनों के बीच फैलाकर कल्चरली क्रिमनल कास्ट (CCC) के लोग बहुजनों के दिलों में अपने लिए अच्छी छवि कायम करना चाहते हैं, बहुजनों की राजनैतिक हक व पहचान, आर्थिक अधिकार व अस्मिता, सामाजिक परिवर्तन के आन्दोलन व सतत आगे बढ़ती बुद्ध-अम्बेडकरी जीवन-शैली को रोककर भारत को नारीविराधी जातिवादी मनुवादी सनातनी वैदिक ब्रह्मणी हिन्दू धर्म व संस्कृति वाली व्यवस्था को कायम कर देश की पच्चीसी फीसदी आबादी गुलाम बनाये रखना चाहते हैं!  
-----------------------रजनीकान्त इन्द्रा----------------------- 

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