Wednesday, August 7, 2019

३७० में हुए बदलाव से ख़ौफ़ में है बहुजन युवा

स्कूलों-कॉलेजों में पढ़ रहें, अभी-अभी नौकरी में आये युवा और अन्य बहुजन अनुच्छेद ३७० में हुए बदलाव को लेकर काफी रोष और खौफ में हैं। उनका मानना हैं कि बहुजन दलों ने अनुच्छेद ३७० के संदर्भ में जिस तरह से बीजेपी के स्टैण्ड को सर्मथन दिया हैं उसका मतलब हैं कि बहुजन दल बीजेपी की गिरफ्त हैं, डर गए हैं। इनकों लगता हैं कि आज बीजेपी ने अनुच्छेद ३७० खत्म किया हैं, कल अनुच्छेद १५(४), १६(४), ३४०, ३४१, ३४२ आदि भी ख़त्म कर देगें। बहुजनों का ये ख़ौफ़ और नासमझी जहाँ एक तरफ बहुजन महानायिका में लोगों के विश्वास को कमजोर कर बहुजन पार्टी को नुकसान करेगा वहीँ दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस जैसे मनुवादी दलों के मनोबल को और सशक्त करेगा। हमें चिंता कि बहुजन युवाओं की इस नासमझी और डर का खामियाजा सम्पूर्ण बहुजन समाज को भुगतना पड़ेगा। बहुजनों के खौफ व नासमझी को हम बिंदुवार तरीके से देख सकते हैं। 

पहला, धारा नहीं, अनुच्छेद है। 
सबसे पहला भ्रम यहीं हैं कि जिस ३७० के संदर्भ में इतना बड़ा शोर-शराबा मचा हुआ हैं वो ३७० कोई धारा नहीं बल्कि अनुच्छेद हैं। धारा आईपीसी और सीआरपीसी में होता हैं और संविधान में अनुच्छेद होता हैं। दुःखद हैं कि हिंदी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इतनी सी मामूली बात को भी सहीं तरीके से नहीं समझ पाए, बोल पाएं तो वो अनुच्छेद ३७० का कितना अच्छा विश्लेषण कर पायेगें?

दूसरा, अनुच्छेद ३७० हट चुका हैं। 
ये भी एक भ्रम फैलाया जा रहा हैं, ये अफवाह हरयाणा, झारखण्ड और महाराष्ट्र चुनाव में वोट हथियाने के जरिया मात्र हैं जिसकों प्रेस्टीट्यूट्स के माध्यम से घर-घर पहुँचाया जा रहा हैं। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ०५ अगस्त २०१९ को Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019, नामक आदेश जारी करते हैं जिसका मतलब होता हैं कि भारतीय संविधान के सारे प्रावधान अब सीधे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लागू होगें। इससे जम्मू-कश्मीर की वो स्वायत्ता छीन जाती हैं जिसके मुताबिक किसी भी कानून या प्रावधान को लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर की मंजूरी लेने पड़ती थीं। अनुच्छेद ३७० अभी भी ऑपरेशन में हैं। इसी अनुच्छेद के Clause (१) के तहत ही महामहिम राष्ट्रपति जी ने Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019, का आदेश किया हैं। अब ०५ अगस्त २०१९ से केंद्र के सिर्फ Residuary Powers ही रहेगीं जिसके मुताबिक केंद्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मामले में आतंकवाद, टैक्स, संचार आदि पर कानून बनाकर सीधे लागू करवा सकती हैं। 

 तीसरा, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा ख़त्म कर दिया गया, ये लोकतंत्र की हत्या हैं। 
ये भी अफवाह हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का जो कार्यकाल पहले ६ वर्ष का था वो अब संविधान के मुताबिक भारत के अन्य राज्यों की तरह ५ वर्ष का हो गया हैं। 
 चौथा, क्या ये संविधान संसोशन हैं?
 नहीं। अनुच्छेद ३७० के सन्दर्भ में जो भी बदलाव हुए हैं वो सब अनुच्छेद ३७० (१) के तहत महामहिम राष्ट्रपति को प्राप्त शक्ति के तहत जारी किया गया एक आदेश मात्र हैं जो नाम से भी स्पष्ट हैं - Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019. 
जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित किया हैं जिसके मुताबिक अब जम्मू-कश्मीर (विधानसभ सहित) और लद्दाख अलग-अलग केंद्र-शासित राज्य होगें। बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर द्वारा रचित अनुच्छेद ३ के तहत संसद को ये पॉवर हैं है कि किसी भी राज्य को दो या अधिक में बाँट कर दो या अधिक नये राज्य बना सकती हैं, दो या अधिक राज्यों को मिलकर एक नया राज्य बना सकती हैं, केंद्र-शासित राज्य बना सकती लेकिन ऐसा करने से पहले महामहिम राष्ट्रपति जी की संस्तुति जरूरी, और ऐसा करने से पहले प्रभावित होने वाले राज्यों की मंशा जानना जरूरी हैं लेकिन उनकी मंशा बाइंडिंग नहीं हैं। भारतीय संविधान के मुताबिक राष्ट्रहित के मुद्दों के सन्दर्भ में राज्यसभा संविधान प्रदत्त अनुच्छेद २४९ के अपने स्पेशल पॉवर का इस्तेमाल कर सकती हैं। संविधान में अनुच्छेद ३ के मुताबिक राज्य पुनर्गठन संविधान में संसोधन नहीं माना जाता हैं। इसलिए अनुच्छेद ३७० के संदर्भ में अभी तक जो कुछ भी हुआ हैं वो सब संविधान के दायरे में रहकर संविधान की मंशा के अनुरूप ही हैं। 

पाँचवां, आज जिस तरह से बीजेपी ने संविधान में संसोधन करके अनुच्छेद ३७० को ख़त्म किया हैं, वो कल अनुच्छेद १५(४), १६(४), ३४०, ३४१, ३४२ आदि भी ख़त्म कर देगें ?
बहुजनों की शंका उनके मन में बीजेपी के खौफ को बयान करता हैं। ये खौफ जहाँ एक तरफ बहुजनों का बहुजन हित के प्रति जागरूकता को दर्शाता हैं वहीँ दूसरी तरफ उनका ये खौफ संविधान के प्रति उनकी अनभिज्ञता और अज्ञानता को भी नंगा करता हैं। अपनी इस अनभिज्ञता और अज्ञानता के चलते ही एससी-एसटी-ओबीसी समाज के युवा बहुजन समाज की एकमात्र अम्बेडकरवादी राजनैतिक पार्टी (बसपा) और बाबा साहेब की सर्वश्रेष्ठ अनुयायियों में अग्रणी, मान्यवर साहेब की एक मात्र उत्तराधिकारी, बुद्ध-फुले-अम्बेडकर-गाडगे की वैचारिक बेटी, भारत में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन कुमारी मायावती जी को लगातार कोस रहें हैं। 
बहुजन युवाओं, महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा जारी किया गया Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019 आदेश संविधान के अनुच्छेद ३७०(१) के तहत ही आता हैं। ये एक आदेश हैं, ना कि संविधान संसोधन। राज्यसभा द्वारा Simple Majority से पास होने वाला Jammu and Kashmir Reorganisation Bill, 2019 के लिए लोकसभा में भी Simple Majority से ही पास किया जायेगा। संसद के दोनों सदनों से पास होने और राष्ट्रपति महोदय के Assent के बाद ये Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019 कहलायेगा, ना कि Constitutional Amendment. संविधान के अनुच्छेद ३ के तहत Simple Majority पास होने वाले Bill एक Act की श्रेणी में आतें हैं जबकि संविधान संसोधन अनुच्छेद ३६८ के तहत किया जाता हैं जिसके लिए Special Majority (2/3 of Present & Voting in Both the House) की जरूरत होती हैं। 
रहीं बात अनुच्छेद १५(४), १६(४), ३४०, ३४१, ३४२ आदि की तो ये सब संविधान के Basic Structure के part हैं, इनमें किसी भी तरह के संसोधन के लिए बाबा साहेब रचित संविधान के अनुच्छेद ३६८ के तहत Special Majority (2/3 of Present & Voting in Both the House) की जरूरत होगी।

बहुजन समाज की अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता, उनकी राजनैतिक हुंकार, उनकी नेत्री के होते हुए बहुजन हकों से सम्बंधित संविधान के इन अनुच्छेदों में संसोधन एनडीए के बस की बात नहीं हैं। इसलिए बहुजन समाज को बीजेपी के ऐसे चुनावी (झारखण्ड, हरयाणा, महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव, ध्वस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था, अजयमान भ्रष्टाचार, गर्त में आराम कर रहीं कानून व्यवस्था, हिन्दू आतंकवाद के कुचक्र, बहुजनों पर हो रहें अत्याचार, महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहें बलात्कार, ब्राह्मणवाद को खुली छूट और देश की राष्ट्रिय संपत्ति का निजीकरण, क्रोनी-कैपिटलिज़्म, भक्तों की तरसती आत्मा की संतुष्टि के संदर्भ में अपनाये गए) हथकंडों से डरने के बजाय अपने नेत्री के साथ और मजबूती से खड़े होने की जरूरत हैं क्योंकि आप जितना डरोगे वो उतना डरायेगें। ऐसे में महत्वपूर्ण ये हैं कि आप ओबीसी-एससी-एसटी बहुजन लोग बीजेपी आदि से खौफ खाने के बजाय अपने बहुजन महानायिका के साथ मजबूती से खड़े रहियें क्योंकि आपका सपोर्ट जितना ज्यादा होगा, आपकी बहुजन पार्टियाँ उतनी ही शक्तिशाली होगीं। आपकी बहुजन पार्टियाँ (बसपा आदि) जितनी ज्यादा शक्तिशाली होगीं आपकी राजनीति उतनी ही शक्तिशाली होगी। आपकी राजनीति जितनी शक्तिशाली होगी, आपकी आवाज़ उतनी ही प्रबल-प्रखर-मुखर होगीं। जब आपकी आवाज़ प्रबल-प्रखर-मुखर होगीं तो इसके प्रचण्ड ख़ौफ़ में वो जियेगा जिससे आज आप ख़ौफ़ खा रहें हैं। 

जय भीम...

-------------------रजनीकान्त इन्द्रा---------------------

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