Thursday, July 30, 2020

ईवीएम हैकिंग - बहुजन समाज को गुमराह करता मुद्दा

ईवीएम हैकिंग - बहुजन समाज को गुमराह करता मुद्दा
काफी दिनों से बहुजन समाज में जन्मे चमचे ईवीएम हैकिंग के नाम पर अभियान चलाकर के ईवीएम हैकिंग करने वाले दलों को टारगेट करने के बजाए बहुजन समाज की राजनैतिक अस्मिता 'बसपा'  व भारत महानायिका बहन जी को ही लगातार कोस रहे हैं। एंटी ईवीएम अभियान वाले बसपा और बहन जी को टारगेट क्यों  रहें हैं। बसपा और बहन जी को क्यों बदनाम कर रहें हैं? ये सवाल स्पष्ट करते हैं कि एंटी ईवीएम हैकिंग अभियान वालों की नियत बहुजन समाज के प्रति काली हैं। 

हम इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि ईवीएम हैकिंग नहीं किया गया है। ईवीएम हैकिंग उतना ही सत्य है जितना कि बूथ कैपचरिंग सत्य था। ईवीएम हैकिंग का उतना ही विरोध करना चाहिए जितना कि बूथ कैपचरिंग का। ईवीएम हैकिंग लोकतंत्र के लिए उतना ही खतरनाक है जितना कि बूथ कैपचरिंग। ईवीएम हैकिंग का विरोध किया जाना चाहिए लेकिन ईवीएम हैकिंग को माध्यम बनाकर देश के बहुजन समाज को हाशिए पर धकेलना संविधान, लोकतंत्र व बहुजन समाज के साथ विश्वासघात है।

दुखद है कि इस विश्वासघात में देश की ब्राह्मणी शक्तियों का साथ देश के बहुजन समाज में जन्मे कुछ चमचे कर रहे हैं। यह चमचे एंटी ईवीएम अभियान के बहाने बहुजन समाज को बहुजन समाज की एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी 'बसपा' के खिलाफ बरगला रहे हैं, जो कि बुद्ध-फूले-अंबेडकरी विचारधारा व बहुजन  आन्दोलन के लिए हानिकारक हैं।

बीसवीं सदी के चुनावी जमाने में बूथ कैपचरिंग के द्वारा ब्राह्मणी शक्तियां सत्ता हासिल करती थी और आज के दौर में वही ब्राह्मणी शक्तियां ईवीएम हैकिंग के द्वारा सत्ता पर कब्जा कर रही हैं। यदि देखा जाए तो भारत के चुनावी व्यवस्था के संदर्भ में ईवीएम हैकिंग और बूथ कैपचरिंग कोई दो अलग-अलग बातें नहीं है बल्कि अलग-अलग समय पर होने वाली चुनावी घोटाले की दो अलग-अलग विधियां है।

इन सब के बावजूद भी बहुजन समाज में जन्मे चमचे बहुजन समाज को गुमराह करने के लिए एंटी ईवीएम अभियान चला रहे हैं। एंटी ईवीएम अभियान चलाने में कोई गलत नहीं है, लेकिन यह एंटी ईवीएम अभियान ब्राह्मणी शक्तियों के इशारे पर चलाए जा रहे हैं, इसलिए यह बहुजन समाज के हित में कतई नहीं है। और, एंटी ईवीएम अभियान चलाने वाले लोगों का उद्देश्य ईवीएम हैकिंग के खिलाफ अभियान चलाना नहीं है बल्कि ईवीएम हैकिंग अभियान को माध्यम बनाकर के बहुजन समाज को बरगलाना है, बहुजन समाज की राष्ट्रीय राजनैतिक अस्मिता को नष्ट करना है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि एंटी ईवीएम हैकिंग अभियान चलाने वाले लोगों को बहुजन समाज को गुमराह करने के लिए ईवीएम हैकिंग करने वाली सत्ताधारी ताकतों से ही फंड मिलता है। ऐसे में एंटी ईवीएम अभियान चलाने वाले चमचों के चक्कर में पड़कर बहुजन समाज को किसी भी तरह गुमराह नहीं होना चाहिए, और अपने राजनैतिक अस्मिता बसपा के साथ हमेशा खड़े रहना चाहिए।

साथ ही साथ ईवीएम हैकिंग के विरुद्ध आंदोलन चलाने वाले चमचों को भी याद रखना चाहिए कि "ईवीएम हैकिंग और बूथ कैप्चरिंग" दोनों ही सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर होते हैं। आप ईवीएम हटाओगे तो सत्ताधारी दल "बूथ कैपचरिंग" के द्वारा सत्ता स्थापित कर लेगा।

 याद रखने की जरूरत हैं कि मुद्दा ईवीएम नहीं है, मुद्दा जनता के रुख का है। यदि आज मौजूदा (२०१४-२० २४) तानाशाही जारी है तो इसका कारण ईवीएम हैकिंग नहीं बल्कि उसको प्राप्त जन समर्थन और उसके द्वारा बनाया गया माहौल है। इंदिरा गांधी ने भी इसी तरह के माहौल और जन समर्थन की बदौलत सत्ता हासिल की थी, जिसके लिए तमाम जगहों पर उन्होंने "बूथ कैपचरिंग" का सहारा लिया था। इन्हीं कृत्यों के चलते उनका रायबरेली का इलेक्शन रद्द कर दिया गया था। नतीजा यह हुआ कि उन्होंने पूरे भारत में लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल घोषित कर दिया।

बहुजन समाज के जागरूक लोगों को इन दोनों घटनाओं से सीख लेनी चाहिए। हमारा स्पष्ट मानना है कि सत्ताधारी दल को जब जन समर्थन और माहौल का सपोर्ट मिलेगा तो वह "ईवीएम हैकिंग और बूथ कैपचरिंग" दोनों से सत्ता हासिल कर सकता है। इसलिए ईवीएम का रोना रोने की बजाए हालात को सकारात्मक और माहौल को अपने पक्ष में कीजिए। ठीक उसी तरह से, जिस तरह से बूथ कैपचरिंग और गुंडागर्दी के दौर में मान्यवर कांशीराम साहब ने जन समर्थन व माहौल को अपने संवैधानिक व लोकतांत्रिक तरीके से बहुजन समाज के पक्ष में किया था। भूलना नहीं चाहिए कि जब बूथ कैपचरिंग का तांडव चल रहा था उस समय मान्यवर कांशीराम साहब ने कहा था ----
चढ़ गुंडों की छाती पर,
मार मोहर तू हाथी पर। (१)
वोट हमारा राज तुम्हारा,
नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। (२)
बीएसपी की क्या पहचान,
नीला झण्डा निशान। (३)
वोट से लेगें पीएम-सीएम,
आरक्षण से लेगें एसपी-डीएम। (४)
जो जमीन सरकारी हैं, वो जमीन हमारी हैं। (५)
यह कुछ और नहीं, बल्कि मान्यवर कांशी राम द्वारा एक सकारात्मक माहौल का सृजन करना था। मान्यवर साहब व बहन जी द्वारा बनाए गए इस सकारात्मक माहौल के खिलाफ बूथ कैपचरिंग करने वाली शक्तियां टिक नहीं पाई। जिसका परिणाम यह हुआ कि बसपा ने भारत की सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश की सरजमी पर चार-चार बार ऐसी हुकूमत की जिसकी मिसाल भारत के इतिहास में सम्राट अशोक के बाद नहीं मिलता है। साथ ही 1984 में गठित होने वाली बसपा ने 1996 आते-आते एक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी प्राप्त कर लिया। यह "एंटी बूथ कैपचरिंग अभियान" के द्वारा नहीं, बल्कि बहुजन समाज में जागरूकता लाकर बहुजन समाज के पक्ष में एक सकारात्मक माहौल सृजित करने का परिणाम था। बाबा साहेब  रास्ते मान्यवर काशीराम साहेब और बहन जी के संघषों का ही परिणाम हैं कि आज बसपा देश के पिछड़े, वंचित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज की नुमाइंदगी करते हुए देश के लगभग 90 फ़ीसदी आबादी की एकमात्र आवाज व उनकी एकमात्र राजनीतिक राष्ट्रीय अस्मिता है और माननीय बहन कुमारी मायावती जी उनकी एकमात्र राष्ट्रीय नेता है।

याद रहे यदि माहौल और जन समर्थन संविधान व लोकतंत्र विरोधी ताकतों के पक्ष में रहेगा तो ईवीएम हटा करके भी ईवीएम हैकिंग का लगातार रोना रोने वाले ग्राम प्रधान का भी इलेक्शन नहीं जीत सकते हैं।

इसलिए ईवीएम हटाओ अभियान चलाने वाले चमचे जिस भ्रम में जी रहे हैं उससे उनको भ्रम से बाहर निकलना चाहिए। हकीकत को पहचानिए, और इतिहास से सबक लेते हुए बहुजन समाज व बसपा के पक्ष में सकारात्मक माहौल व जन समर्थन तैयार करने में, यदि योगदान दे सके तो योगदान दीजिए। और यदि ऐसा ना कर सके तो कृपया नकारात्मक माहौल बनाकर बहुजन समाज को अंधकारमय गर्त में धकेलने का असफल प्रयास मत बनाइए।

याद रहे, एंटी ईवीएम अभियान नहीं बल्कि बहुजन समाज के पक्ष में सकारात्मक माहौल का सृजन करना ही बहुजन समाज व भारत देश के हित में है।
रजनीकान्त  इन्द्रा (Rajani Kant Indra)
एमएएच (इतिहास), इग्नू-नई दिल्ली

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