Friday, April 24, 2020

कल्पना व स्थापत्य कला - बहन जी के व्यक्तित्व का एक अहम् पहलू

कल्पना व स्थापत्य कला
बहनजी के व्यक्तित्व का एक अहम् पहलू
रचनात्मकता व सृजन हैं जिसकी पहचान,

वो है बहना की बसपा सरकार।।

इतिहास समाज को प्रभावित करता है, तो ये भी सच हैं कि इसी समाज में जन्मी कुछ शख्शियतें इतिहास को ना सिर्फ प्रभावित करती हैं बल्कि अपने समय के समाज संस्कृति और इतिहास को स्थापित भी करती हैं। इसी तरह का एक अनोखा सृजन भारत के इतिहास में सम्राट अशोक के बाद उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी की सरकार में देखने को मिलता हैं। इसलिए शासन-प्रशासन, कानून-व्यवस्था, शिक्षा-शान्ति, समृद्धि-विकास, संविधान-लोकतंत्र, बुद्ध-अम्बेडकरी वैचारिकी और आधुनिक मानवीय मूल्यों के आधार पर सम्पूर्ण समीक्षा के बाद विद्वान बसपा के इस कार्यकाल को आधुनिक अशोक काल और माननीया बहनजी को आधुनिक अशोक भी कहते हैं।
यदि संस्कृति, इतिहास और स्थापत्य कला की तरफ गौर करे तो लोगों के ज़हन में लखनऊ और गौतम बुद्धनगर सबसे पहले दस्तक़ देता हैं। ये स्थापित सत्य हैं कि जहाँ एक तरफ रचनात्मकता और सृजन कुदरत की खूबसूरती का राज है तो वही दूसरी तरफ इंसान कुदरत की इसी बेहतरीन रचना व बेहद खूबसूरत सृजन का परिणाम हैं। इन्हीं इंसानों में कुछ लोगों की कल्पनाशीलता ऐसी होती हैं कि जब वो अपनी इस कल्पना को हकीकत की जमीं पर उतार देते हैं तो वो जहाँ एक तरफ मानव सभ्यता के इतिहास में मील का पत्थर साबित होती है तो वही दूसरी तरफ विकास की पहचान बन जाती हैं। ऐतिहासिक काल में बने कल्पना, कला, रचनात्मकता, सृजन और मानवीय शिक्षा के ऐसे बेजोड़ नज़ारे हड़प्पा, मोहनजोदारों, अजंता, एलोरा, साँची, नालन्दा आदि स्थलों में आज भी अपनी मौजूदगी का परिचय दे रहे हैं।
फ़िलहाल, यदि वर्तमान की बात करें तो भारत में बुद्धिष्ट राजाओं के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में निर्मित कल्पनाशीलता और रचनात्मकता की भव्य मिशालें लोगों को बरबस  आकर्षित करती हैं। भारत के गौरवशाली स्वर्णिम बौद्ध इतिहास, संस्कृति, सामाजिक आन्दोलन और महानायकों-महनायिकाओं को समर्पित और देश को प्रेरित करने वाली इन महान ऐतिहासिक विरासतों की कल्पना और निर्माण का पूरा श्रेय भारत में लोकतंत्र के महानायक मान्यवर काशीराम साहेब की प्रेरणा और भारत में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका आयरन लेडी बहन कुमारी मायावती जी और उत्तर प्रदेश की जनता को जाता हैं।
गौतम बुद्ध नगर में बना गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा का ही नहीं बल्कि बेहद खूबसूरत और बेहतरीन कला व निर्माण का भी प्रमाण हैं। ये प्राचीन भारत की समृद्धिशाली गौरवमयी इतिहास का भी परिचायक हैं। शिक्षा, कला, निर्माण, संस्कृति और इतिहास के नजरिये से यह भारत का एक मात्र विश्वविद्यालय हैं। राष्ट्रिय दलित प्रेरणा स्थल भी देश में सामाजिक परिवर्तन कर राष्ट्रनिर्माण के लिए प्रेरणा देने वाली एक ऐसी ही धरोहर हैं। राष्ट्रिय दलित प्रेरणा स्थल ने देश को उसके इतिहास से वाकिफ़ कराते हुए बुद्ध-अशोक-रैदास-बाबा साहेब के सपनों वाले मानवीय भारत निर्माण का ख़ाका खींच रहा हैं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का सामाजिक परिवर्तन चौक, डॉ अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, मान्यवर काशीराम साहेब इको गार्डन मान्यवर काशीराम स्मृति उपवन, बुद्ध-विहार शान्ति उपवन, लखनऊ के चौराहों पर लगी तथागत गौतम बुद्ध, बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर, ज्योतिबा फुले, संत गाडगे समेत तमाम महानायकों की प्रतिमायें और अन्य तमाम राष्ट्रिय धरोहर बहन जी की कल्पना, कला, रचनात्मकता, सृजन व निर्माण का जीता-जगता प्रमाण हैं।
बहन जी द्वारा बनवायें स्मारकों में लगे राजस्थान के लाल पत्थरों पर खुदे बुद्ध-फुले-अम्बेडकरी महानायकों के सन्देश देश में अमानवीयता के खिलाफ विद्रोह करते हैं।ये सन्देश देश के दबे-कुचले पिछड़े वर्ग को सामाजिक परिवर्तन के लिए तैयार करते हुए एक बेहतरीन भारत के सृजन के लिए प्रेरित करते हैं। ये बहन जी द्वारा बनवाये ये स्मारक भारत राष्ट्र निर्माण की सबसे महत्वपूर्ण कड़ियों में से एक हैं जो समूचे देश को ना सिर्फ भारत की बौद्ध संस्कृति और इतिहास से जोड़ती हैं बल्कि उनकों न्याय-समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व के मूल्यों पर एक होकर सशक्त राष्ट्र बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
ये सभी राष्ट्रीय विरासतें जनता के लिए समाज, संस्कृति और इतिहास का ऐसा विश्वविद्यालय है जिसमें वंचित जगत के वे लोग अपने इतिहास से रूबरू होते हैं जिन्होंने कभी स्कूल मुंह तक नहीं देखा है। यहाँ का मनोरम विहंगम दृश्य सदियों से गुलामी की जंजीरों में जकड़े लोगों के जहन में हुक्मरानियत का जज़्बा पैदा कर उनकों उनके स्वर्णिम इतिहास, बौद्ध जीवनशैली, शिक्षा और बुद्ध-फुले-अम्बेडकरी वैचारिकी से सराबोर कर देती हैं। यहीं बुद्ध-अम्बेडकरी वैचारिकी भारत में राष्ट्र निर्माण का कार्य करते हुए समूचे देश को एक सूत्र में बांधने के सबसे बड़ा कार्य कर रहीं हैं।
        ये सभी राष्ट्रीय धरोहर जहां भारत में एक तरफ़ सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन कुमारी मायावती जी की भारत के स्वर्णिम इतिहास के प्रति जागरूकता व सजगता का प्रतीक हैं, भारत के महानायकों के प्रति श्रद्धांजलि हैं, और उनकी विचारधारा के बढ़ते कदमों की छाप हैं तो वही दूसरी तरफ ये राष्ट्रिय विरासतें बहन जी की कल्पना, रचनात्मकता, कला और निर्माण के प्रति रूचि का परिचायक भी है।
आने वाले समय में जब इतिहास निष्पक्ष होकर अपना लेख-जोखा करेगा तो भारत के गौरवशाली बौद्ध संस्कृति और इतिहास, इसके महानायकों-महानयिकाओं व उनके संदेशों को अपनी कल्पनाशीलता के जरिये लाल पत्थरों उकेर कर स्थापत्य कला के जरिये पुनः जीवित करने वाली आधुनिक अशोक (बहन कुमारी मायावती जी) व उनके कार्यकाल (बहन जी का कार्यकाल) को स्वर्णिम काल के तौर पर ही दर्ज़ करेगा।
रजनीकान्त इन्द्रा  (Rajani Kant Indra)
एमएएच (इतिहास), इग्नू-नई दिल्ली

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