Friday, April 10, 2020

कोरोना की महामारी में आरक्षण वाले ही बने मानवीयमॉडल

कोरोना की महामारी में आरक्षण वाले ही बने मानवीय मॉडल
कोरोना की महामारी में भारत के लगभग सभी निजी अस्पताल बंद हो चुके। प्राइवेट क्लिनिक के डॉक्टर्स भी अपने-अपने घरों में कैद हो चुके हैं। निजीकरण के पैरोकार भी आज सरकारी अस्पतालों और सरकारी संस्थानों को धन्यवाद कर रहें हैं। योग्यता, मेरिट, क्षमता व दक्षता आदि की दुहाई देने वाले योग्यता के ठेकेदार अपने-अपने घरों में बैठकर गोबर-गौमूत्र के सेवन की सलाह देकर विज्ञानं मुक्त भारत बनाने में लगे हुए हैं। आरक्षण और दलित-वंचित जगत की भागीदारी को कोसने वाले तथाकथित उच्च जातीय स्वघोषित विद्वान मौन धारण कर चुके। ऐसी महामारी में भी शासन-प्रशासन में व्याप्त उच्च जातीय लोग अपनी भूमिका कैसे निभा रहें हैं, ये सोशल मीडया द्वारा शेयर किये जा रहें फोटोज और वीडियोज से जग-जाहिर हैं।
आपातकाल की ऐसी घडी में राजस्थान के भीलवाड़ा का कोरोना नियंत्रण मॉडल देश ही नहीं, दुनिया के मिशाल बन गया हैं। कोरोना महामारी के इस दुखद दौर में, आरक्षण वाले अम्बेडकरवादी डॉक्टर्स ने कोरोना नियंत्रण का मॉडल बनकर दुनिया के सामने एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया हैं।
भीलवाड़ा को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहा जा रहा है। क्या आप जानते है कि भीलवाड़ा में जिन्होंने कोरोना संक्रमण पर काबू किया वो टीम आरक्षण वाले दलित-आदिवासियों और पिछड़े लोगों की हैं। उदयपुर मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बी एल मेघवाल एवं डॉ रामावतार बैरवा के नेतृत्व वाली टीम ने भीलवाड़ा में ये साहसिक और सराहनीय कार्य करके जहाँ एक तरफ दुनिया में एक अनोखा मॉडल प्रस्तुत किया हैं वही दूसरी तरफ दलित-वंचित जगत के हक़ों के विरोधियों को एक बार फिर एहसास करा दिया कि यदि अवसर मिले तो वे तथाकथित योग्यता व मेरिटधारियों से कहीं बेहतर हैं, आगे हैं।
भीलवाड़ा मॉडल की अगुवाई करने वाले उदयपुर मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बी एल मेघवाल एवं डॉ रामावतार बैरवा के नेतृत्व वाली टीम में डॉ गौतम बुनकर (SC), डॉ दौलत मीणा (ST), डॉ सुरेन्द्र मीणा (ST), डॉ देव किसान सरगरा (SC), डॉ मनीष वर्मा (SC), डॉ कविता वर्मा (SC), डॉ चंदन (SC), डॉ महेश (SC), डॉ राजकुमार (SC), डॉ सत्यनारायण वैष्णव (OBC) शामिल हैं। ये सभी डॉक्टर्स "आंबेडकरवादी डॉक्टर्स संगठन" के सदस्य है। देश और अपने कार्य के प्रति समर्पण के चलते ये डॉक्टर्स कई दिनों तक अपने घर घर भी नहीं गए। पत्रिका अखबार के मुताबिक डॉ गौतम बुनकर ने बताया कि कार्य के चलते २० दिनों तक वे अपने परिवार तक से नहीं मिल पाए हैं। डॉ रामावतार बैरवा कहते हैं कि सुबह से काम शुरू होता हैं तो अगली सुबह के चार बजे तक कार्य चलता ही रहता हैं। डॉ सुरेंद्र मीणा की बीबी गर्भवती हैं। कोरोना की इस घडी में डॉ सुरेंद्र अपनी पत्नी के सहयोग को याद करते हुए इस उनकों साधुवाद देते हैं। डॉक्टर्स की इस टीम के साथ सहयोग करने वाले नर्सिंग स्टाफ का योगदान भी उम्दा और प्रेरणाप्रद हैं। पत्रिका अखबार ने सत्यनारायण धोबी, सीमा मीणा, दीपक मीणा, दीपक खटीक, प्रवीण के साथ अन्य सभी अम्बेडकरवादी स्टाफ को गर्व के साथ याद करते हुए उनके उनके योगदान को सराहा हैं।
भीलवाड़ा के इन अम्बेडकरवादी डॉक्टर्स व नर्सिंग स्टाफ ने मुसीबत के समय कीर्तिमान स्थापित कर एक बार फिर से जातिगत योग्यता पर विशेषाधिकार का दावा करने वाले आरक्षण विरोधियों को सोचने पर मजबूर कर दिया हैं। इसी तरह से मिलिट्री, पुलिस, प्रशासन, शिक्षा, राजनीति आदि सभी क्षेत्रो में आरक्षण द्वारा मिले अवसर के तहत आगे आकर बहुजन समाज के दलित-वंचित-पिछड़े समाज ने सदियों पुरानी गुलामी को तोड़कर मनुरोग से ग्रसित उच्च जातियों को भारत निर्माण में अपने अहम् योगदान को स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया हैं।
ऐसे में, मेडिकल परास्नातक में आरक्षण को खत्म करने वाली सरकार के मुखिया, न्यायपालिका के जज, संसद सदस्य और मनुरोग से पीड़ित अन्य सभी लोगों को इस कार्य से सीख लेनी चाहिए कि योग्यता, दक्षता और कार्य क्षमता तथाकथित उच्च जातियों का विशेषाधिकार नहीं हैं, और ना ही उनकी जन्मजात मिलकियत हैं। ऐसे में सरकार से अपील हैं कि परास्नातक मेडिकल की पढाई में भी दलित-वंचित-आदिवासी-पिछड़ों के आरक्षण को पूरी तरह से लागू कर उनके साथ न्याय किया जाय।
फिलहाल अब सरकार, न्यायपालिका के जजों, सांसदों और मेरिट का दम्भ भरने वाले मनुरोग से अन्य सभी पीड़ितों को अक्षरशः ज्ञान हो जाना चाहिए कि आरक्षण नागरिक गतिशीलता को बढ़ावा देकर देश की लोकतान्त्रिक जड़ों को और गहरा कर लोकतान्त्रिक मूल्यों को और मजबूत करता हैं। आरक्षण योग्यता, दक्षता और कार्य क्षमता का दमन नहीं करता है बल्कि शासन-सत्ता और देश के अन्य सभी क्षेत्रों में देश की सम्पूर्ण योग्यता व क्षमता को समान अवसर देकर भारत निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने का अहम् कार्य करता है। आरक्षण देश के सभी नागरिकों की योग्यता, कार्य क्षमता और दक्षता को समान अवसर देकर भारत निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान करता है। अब बहुजन विरोधियों को समझ जाना चाहिए कि आरक्षण भारत निर्माण, राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। आरक्षण का विरोध, भारत में नागरिक गतिशीलता का विरोध हैं, देश की सम्पूर्ण योग्यता, कार्यक्षमता और दक्षता के सदुपयोग का विरोध हैं, देश के हर नागरिक का लोकतंत्र के हर पायदान पर उनकी भागीदारी का विरोध हैं, संवैधानिक मूल्यों का विरोध हैं, देशद्रोह हैं।

रजनीकान्त इन्द्रा

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