Sunday, November 3, 2019

धम्म छठ - आत्महत्या को आतुर बहुजन समाज


गुमराह बहुजन समाज यह समझ रहा है कि मौजूदा समय में एक राजनीतिक जंग चल रही है जबकि उसके कृत्यों से यह बाकायदा सिद्ध होता है कि वह ये समझ ही नहीं पाया है कि आज भी भारत में दो संस्कृतियों का वही द्वंद चल रहा है जिसकी चर्चा बाबा साहब ने भारत के वास्तविक इतिहास के संदर्भ में किया है। आज भी भारत में चल रहा द्वंद ब्राह्मणवाद बनाम बुद्धिज्म का ही है।

यह अपने आप में पूरी तरह से एक सांस्कृतिक जंग है। और, इस जंग में बहुजन समाज खुद अपनी कब्र खोद रहा है। बहुजन समाज समझ रहा है कि ब्राह्मण को गाली देकर कि वह ब्राह्मणवाद के खिलाफ अपनी युद्ध को जीत जाएगा जबकि हकीकत में ब्राह्मणवाद खुद बहुजन समाज के लोगों के जहन में समाया हुआ है। बहुजन समाज के गुमराह लोग अपनी जाहिलियत का प्रदर्शन इस कदर कर रहे हैं कि खुद बहुजन समाज के लिए काम करने वाले लोग भी संकट में आ चुके हैं। बहुजन समाज के लोग दिन रात की परवाह किए बगैर अपने मेहनत की कमाई से समाज को जागरूक करने का काम कर रहे हैं लेकिन बहुजन समाज के जाहिल लोग दीपावली के बदले दीपदान उत्सव का इजाद कर डाले हैं, होली के बदले धम्म होली का इजाद कर डाले हैं। इसी तरह से छठ पूजा के बदले धम्म छठ का इजाद कर डाले हैं। बहुजन समाज के लोगों को इतना भी समझ नहीं आ रहा है कि इसका भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा? समाज के लोगों को अभी तक ये समझ नहीं आई है कि ब्राह्मण को गाली देने मात्र से कोई ब्राह्मणवाद से अंबेडकरवादी नहीं बन जाता है। अंबेडकरवाद अपने आप में एक ऐसी विचारधारा है जो एक नई संस्कृति, रीति-रिवाजों, परंपरा की बात करता है, ना कि ब्राह्मणवादी, रीति रिवाज और परंपराओं में ब्राह्मणी देवी देवताओं की जगह बाबा साहब और बुद्ध की तस्वीर रख कर उसी ब्राह्मण परंपरा का पालन करना।


ऐसे में सकल बहुजन समाज अपनी सांस्कृतिक जंग को भूल कर के ब्राह्मण को गाली देने को ही अंबेडकरवाद का मिशन समझता है। इसी संदर्भ में नीचे दिया गया तस्वीर ब्राह्मणवादी छठ पूजा के बदले गुमराह जाहिल बहुजन समाज के लोगों द्वारा धम्म छठ का इजाद किया गया है। यदि इस पर बहुजन समाज जागरूक नहीं हुआ तो आने वाले समय में जिस तरह से गौतम बुद्ध का ब्राह्मणीकरण कर दिया गया था, ठीक उसी तरह से बाबा साहब का भी ब्राह्मण करण कर दिया जाएगा। और, ऐसे में बहुजन समाज की वह गुलामी फिर से शुरू हो जाएगी जिसकी खिलाफत गौतम बुद्ध, संत कबीर, रैदास, फूले, साहू, बाबा साहब, पेरियार, मान्यवर कांशीराम साहब, बहन कुमारी मायावती जी व अन्य सभी जागरूक बहुजन लगातार कर रहे हैं।
रजनीकान्त इन्द्रा 


03.11.2019

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