Monday, July 15, 2019

संस्कारी वेश्यावृत्ति (Brahmanical Prostitution)

भारत में अक्सर शादियां खुद की च्वाइस ना होकर दूसरों की थोपी हुई होती है, जैसे माता-पिता, घर-परिवार व समाज! इस तरह की शादिया हमेशा लाभ को ही ध्यान में रख कर होती है! ये शादिया जहां एक तरफ जाति व्यवस्था को सुरक्षित रखती है वहीं दूसरी तरफ संस्कार, रीति-रिवाज, सामाजिक मर्यादा, पिता की इज्ज़त आदि के नाम पर पुरूष-प्रधानता की व्यवस्था को बकायादा कायम रखकर पीढी-दर-पीढी आगे बढ़ाती रहती हैं!

ऐसी शादियों में पुरूष को मन मॉफिक (जिस पर मन आया, चाहें हो खुद की बेटी-बहन ही क्यूँ ना हो) लड़की के साथ जीवन भर सहवास का अधिकार मिल जाता है तो दूसरी तरफ लड़की के पिता को समाज में अपनी हैसियत का ये उससे ज़्यादा सामाजिक हैसियत वाले परिवार से रिश्ता जुड़ जाता है!

पौराणिक कथाओं में स्पष्ट है कि ब्रह्मा ने अपनी बेटी सरस्वती से विवाह किया, सूर्य ने अपनी बेटी ऊषा से शादी किया तो दुर्वाशा ने अपनी मर्जी के मताबिक सुन्दर स्त्री कुंती के साथ मन-मॉफिक सहवास किया इत्यादि उदाहरण पुरूषवाद को मजबूती से स्थापित करते हैं!

इतिहास गवाह है कि जंग खाई तलवार लेकर अपनी बहादुरी का ढिंढोरा पीटने वाले भगोडें राजपूतों ने अपनी सुरक्षा, और डर के कारण खुद की बहन-बेटियों को मुगलों के हवाले कर दिया! ऐसा करने से राजपूतों को सुरक्षा मिल गई और मुगल साम्राज्य, जो कि राजपूतों की हैसियत से कईयों लाख गुना शक्तिशाली था, से रिश्ता जुड़ गया! कुलमिलाकर इस संबंध के केंद्र में फायदे ही होता है!

आज की मौजूदा एनडीए - 3 की सरकार व आरएसएस में संघियों को ही देखिए ये सब लोग मुस्लिम को शत्रु समझते हैं, खुद को हिंदुत्व के ठेकेदार कहते हैं लेकिन इनकी बेटियाँ मुस्लिमों की ही घरों में चहलकदमी कर मुस्लिम बच्चे की परवरिश कर रही है! ऐसा इसलिए संभव है कि यहॉ पर भी मामले के केंद्र में फायदा ही है जिसे बेटी के आजादी का लिबास पहना दिया है! यदि ये हकीकत में बेटी की आजादी का मामला होता तो ये हिंदुत्व के ठेकेदार लव जिहाद का प्रपोगण्डा ना फैलाते, अंतर्जातीय या अंतर्धार्मिक विवाह करने वाले गरीबों की हत्या ना करते!

संस्कारी / ब्रहम्णी वेश्यावृत्ति में ग्राहक सिर्फ एक ही होता है जिसे आजकल पैसा लेकर या देकर अपनी बेटी-बेटे के लिए परिवार की इज्ज़त व अच्छे घर में रिश्ते के नाम पर खरीदा-बेचा जाता है! दहेज के संदर्भ में देखें तो लडका दहेज के नाम पर अपने बाप द्वारा बेचा और लड़की के बाप द्वारा खरीदा जरूर जाता है लेकिन इस प्रकार के विवाह में मन-मर्जी लड़के की ही चलती है! लडका लड़की के जीवन भर के भरण-पोषण का जिम्मा लेकर सारी जिन्दगी उसके साथ सहवास करता है! इसमें लड़की अपने पिता की इज्ज़त के नाम पर, सामाजिक रीति-रिवाज के लिए अपने इच्छा को दफन कर सदा के लिए अपने ग्राहक की होकर उसकी दासी भाव से सेवा करती है! यहीं हैं संस्कारी / ब्रहम्णी वेश्यावृत्ति (Brahmanical Prostitution).

खबरों में अक्सर सुनाई देता है कि किसी की लड़की घर से भाग गयी! ये नैरेशन ही पूरी तरह से गलत है क्योंकि कोई भी कभी भी घर से भाग ही नहीं सकता है! लड़कियां हमेशा कोठे से भागती है अपने जीवन की नई शुरुआत करने के लिए, अपना घर बसाने के लिए! जब घरों में लड़की-लडके की शादी के नाम पर खरीद-फरोख्त होती है तो वो घर घर नही कोठा बन जाता है! ऐसे में अपनी जिंदगी को बचाने के लिए कोठे से भागना कोई गुनाह नही है! ये और बात है कि ब्रहम्णी व्यवस्था के पैरोकारों ने ऐसे कोठों को घर का नाम देकर ऐसें कोठों से भागने वाले बच्चों को कोसते हैं, ऩाक को बचाने के लिए उनकी हत्या तक करते हैं!
--------------------------रजनीकान्त इन्द्रा-------------------------

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