Monday, July 15, 2019

जातिगत भेदभाव की शिकार बहन जी

संगठन से राजनैतिक दल तक, फिर चुनाव से सत्ता तक के सफर के दरमियान कई पड़ाव होते हैं! जैसे कि शुरूआत में छोटी सभा, फिर पदयात्रा, छोटी रैली आदि लेकिन दल के सत्तारूढ़ होने के बाद नेतृत्व के साथ-साथ जनता की भी जिम्मेदारी होती है कि वो वैचारिकी को आगे बढ़ने के लिए सामने आगे आए। ये जिम्मेदारी बसपा की जनता बखूबी निभा रही है, और बसपा सुप्रीमों बहुजन आंदोलन को सतत् अनवरत् आगे ले जा रही है, बहुजनों के मुद्दों को संसद के पटल तक, हुकूमत के कानों तक पहुंचा रही है! इसके बावजुद बहुजन समाज का एक तबका, कुछ संगठन और स्वार्थी राजनैतिक मंशा को साधने वाले लोग है जो बहन जी की जाति की वजह से, ब्रहम्णी दलों व संगठनों से फण्ड लेकर सतत् बहुजनों को गुमराह करने की फिराक में है! ऐसे लोगों का मानना है कि बहन जी सड़क पर उतर का विरोध करें! ऐसे में यह सवाल लाज़मी हैं कि क्या ऐसा करना मुनासिब है? कुछ लोगों का कहना है कि बहन जी को मरने से लगता है तो बसपा की कमान किसी और के हाथों में क्यों नहीं सौप देती हैं? हमारा स्पष्ट मानना है कि ये वहीँ लोग हैं जिनके पुरखों ने कभी बाबा साहेब के विरोध में कांग्रेस का साथ दिया था। 

बहन जी के प्रति इस तरह का भ्रम फ़ैलाने वाले लोगों की सूची में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के वो लोग हैं जिनके अन्दर ब्राह्मणी रोग (जातिवाद) इस कदर कायम हैं कि ये लोग आज भी चमार/जाटव को निम्नतम व बहिष्कृत समझते हैं। इसका मानना है कि निम्नतम व बहिष्कृत जाति के नेता द्वारा देश पर शासन नहीं किया जाना चाहिए। आजकल ब्राह्मणी राजनैतिक दलों द्वारा फण्ड लेकर खुद चमारों का एक युवा फिरका शिक्षा, शान्ति और समृद्धि प्रतीक बाबा साहेब के ही नाम पर खून-खराबे, लूटमार, हत्या, बलात्कार, मानवता संहार की प्रतीक आर्मी/फ़ौज/सेना बनाकर बाबा साहेब के नाम की हुंकार भर बहुजनों को गुमराह कर रहें हैं। इसमें वो लोग भी हैं जो बाबा साहेब की कर्मभूमि से जुड़ें है जिनकों लगता हैं कि महाराष्ट्र का होने के नाते, जो सम्मान, जो कद बहन जी का हैं, वो सम्मान और कद उनकों मिलना चाहिए था। ये वहीँ लोग हैं जिन्होंने बामसेफ दिल्ली द्वारा इकट्ठा किये हुए एक लाख रूपये में से पच्चीस हजार का गबन किया था, जिसकों होटल में व्यभिचार करते हुए पकड़ा गया था जिसके चलते उसको बामसेफ से मान्यवर साहेब ने किनारे कर दिया था। ये वहीँ लोग हैं जिन्होंने बसपा के गठन की बात करने पर मान्यवर साहेब का विरोध किया था, उनका साथ छोड़कर बामसेफ का पंजीकरण करवाकर खुद उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। ये वहीँ लोग हैं जो मान्यवर साहेब, बहन जी और बसपा को नेश्तनाबूद करने की मंशा लेकर ब्राह्मणी राजनैतिक दलों (कांग्रेस-भाजपा और अन्य) का साथ दिया। दर्जनों बामसेफ का पंजीकरण करवाकर बहुजन अधिकारीयों-कर्मचारियों को भ्रमित किया, जिससे कि मान्यवर साहेब के बामसेफ द्वारा जो पैसा बसपा को मिलता था वो पैसा मान्यवर साहेब और बसपा तक ना पहुंचने पाये। ऐसे लोग ही अपने राजनैतिक स्वार्थ के चलते बसपा और बहन के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं कि बहन जी ने अपना मीडिया नहीं बनाया, बहन जी कैडर नहीं कर रहीं हैं, बहन जी लोगों से मिलती नहीं हैं, बहन जी टिकट बेचती हैं आदि। ऐसे लोगों की आजकल मंशा है कि हर मुद्दे को लेकर बहन जी सड़क पर उतरें, रोडशो करे, मार्च करें, जुलूस निकालें आदि। हमारा मानना है कि नफ़रत की हुकूमत में अभी मुनासिब नहीं हैं क्योकि ऐसा करने से बहुजनों को फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा। 

हमारा मत हैं कि यदि आज के हुकूमत-ए-नफरत में बहन जी ऐसा कुछ भी करती है तो प्रशासन के बूते की बात नहीं है कि बहुजन भीड़ को रोक सकें, ऐसे में वो लाठीचार्च ही नहीं करेगें बल्कि गोलियां भी चलायेगें, कानून का सहारा लेकर बहुजनों का कत्ल-ए-आम भी करेगें, जैसा कि 02 अप्रैल को हुआ था, जिसमें सैकड़ों बेगुनाह मारे जायेगें।. बहुजन समाज के गुमराह उपद्रवी लोग चाहते हैं कि बहुजन मारे जाये जिससे कि ये लोग पुनः बहन जी को बहुजन संहार का जिम्मेदार घोषित कर बहुजनों की लाश पर अपने स्वार्थ की रोटी सेक सकें! इसलिए ऐसे लोगों से सावधान रहने की सख्त जरूरत है! याद रहें, आपको उन्मादी बनाने वाले ये वही लोग हैं जिनके पुरखे कभी बाबा साहेब का नाम लेकर मान्यवर साहेब को गाली देते थे, और आज उनकी ही संताने मान्यवर साहेब का नाम लेकर बहन जी को कोस रहे हैं, गाली दे रहे हैं! बेहतरीन शासन-प्रशासन, उम्दा विकास, बहुजन सरकार जनता के द्वार, होने बावजूद भी बहुजन समाज की गैर-जाटव जातियों के अन्दर बहन जी के प्रति नफ़रत की मुख्य वजह बहन की चमार/जाटव जाति हैं, जिसे आज भी निम्नतम, घृणित व बहिष्कृत समझा जाता हैं। आज भी ब्राह्मण-सवर्ण के अलावा बहुतेरे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के गैर-जाटव लोगों द्वारा बहन जी को जातिसूचक गाली बहुत ही आम हैं। बहन जी के खिलाफ गाली-गलौज किये जाने पर, उन पर अभद्र टिपण्णी किये जाने पर गैर-जाटव समाज लगभग सोया ही रहता हैं, पद्मावती जैसे काल्पनिक पात्र के लिए देश में आन्दोलन छेड़ दिया जाता हैं, क्यों ? बहन जी प्रति लोगों के इस रवैये को चंद स्वार्थी लोगों द्वारा इस्तेमाल करके बहुजनों को गुमराह किया जा रहा हैं। इसलिए चंद ही सहीं लेकिन इस तरह से बहुजनों द्वारा भी बहन जी के साथ किये जा रहें जातिगत भेदभाव को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता हैं।
--------------------------रजनीकान्त इन्द्रा-------------------------

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