Friday, July 5, 2019

बहुजन अस्मिता की प्रतीक हैं बहन जी

जिस दौर में कोई सवर्णों के सामने खड़े होने तक की जुर्रत नहीं कर पाता था, उस समय दलित-बहुजन समाज की एक बेटी ब्रहम्णी व्यवस्था को खुलेआम चुनौती दे रही थीं, अपने इन्हीं संघर्षों की बदौलत मान्यवर साहेब के मार्गदर्शन में बाबा साहेब के बताये रास्ते पर चल उस दलित-बहुजन बेटी ने अपने जोर-ए-बाजुओं की बदौलत भारत की सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर एक बार नही, दो बार नहीं, बल्कि चार-चार बार ऐसी हुकूमत की कि उनकी हुकूमत आने वाले हुक्मरानों के लिए पैमाना बन गया.... जिसे भारतीय लोकतंत्र का चमत्कार व संविधान की बेटी कहा गया....दलित-आदिवासी-पिछडे-अल्पसंख्यक बहुजन समाज का रहनुमा कहा गया...जिनके बारे में आज के सारे राजनैतिक विश्लेषक कोई विश्लेषण नही कर पायें, जिनका हर निर्णय भारत के राजनैतिक छाती पर ऐसा गोल होता है कि पूरी दुनिया दंग रह जाती है...बाबा साहेब की इस महान वैचारिक बेटी ने देश के दलित-बहुजन समाज को एक गज जमीन दिया या नहीं दिया, इस बात में तो संदेह हो सकता है लेकिन इस बात को हर कोई जानता है कि बहन जी ने देश के दलित-आदिवासी-पिछडे-अल्पसंख्यक बहुजन समाज को सारा आसमान दिया है....बहन जी ने देश के दलित-पिछडे-आदिवासी-अल्पसंख्क बहुजन समाज की आँखों में देश पर हुकूमत करने की ऐसी चाहत भर दिया है कि 2019 के चुनाव में गठबंधन की असफलता से बहुजन समाज खुलेआम बहन जी के साथ खडें होकर आगे बढ़ भी रहा है और अपनी चाहत के असफल होने का रंज भी दर्ज करा रहा है.... यही तो है लोकतांत्रिक मूल्य.... यही संवैधानिक मूल्यों से लगाव और लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास आने वाले समय बहुजनों के हाथों से बुद्ध-अम्बेडकरी भारत की तकदीर लिख कर दुनिया को "समता-स्वतंत्रता-बंधुता" से नवाजेगा....
बरगद जब छॉव देता रहा लोग इसकी छॉव में पलते रहें,
बडें हो गये,
गूंगे थे लोग, और अब बोलने बोलने लगें,
रोते थे कभी हँसना सीख गये,
सिर्फ सुनते थे कभी, भाषण देने के लायक हो गए,
गॉव का सरपंच बनाने की हैसियत नही थी कभी, आज मंत्री, सांसद व विधायक बन गये,
सिर्फ हुक्म की तामील करना जानते थे, हुक्म देना सीख,
नौकरी को जीवन समझने वाले, प्रधानमन्त्री का ख़्वाब देखने के लायक हो गए....
लेकिन दुखद है कि पतझड़ में बरगद के दो-चार पत्ते क्या मुरझाये.......

आपने तो आसियाना ही बदल लिया!



-------------------------रजनीकान्त इन्द्रा--------------------------

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