Thursday, September 3, 2020

बहन जी से असंवैधानिक तरीकों की उम्मीद ना कीजिए

भोले-भाले चमचों,

विरोध करने के लिए लाठी चलानी जरूरी है, क्या? एक स्वस्थ लोकतंत्रिक भाषा में विरोध कैसे किया जाता है, कृपया समझाने का प्रयास करेंगें? आपको ऐसा क्यूँ लगता है कि बहन जी चमचे और भक्तों की तरह गालियां देती फिरे? आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि बहन जी चमचों की बात सुनें? कृपया बहन जी की तुलना भक्तों और चमचों के आकाओं से ना कीजिए। और ना ही बहन जी से किसी भी तरह के असंवैधानिक अलोकतांत्रिक और अनैतिक भाषा की उम्मीद कीजिए।

फिलहाल बहुजन समाज को विश्वास रहें कि बहनजी बुद्ध-फूले-अंबेडकरी विचारधारा की वाहक है, और अपनी इस बहुजन विचारधारा, बहुजन नायक-नायिकाओ के संघर्ष, बहुजन मुद्दे, नीति और रणनीति पर कायम हैं।

रजनीकान्त इन्द्रा

इतिहास छात्र इग्नू-नई दिल्ली

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