Thursday, September 3, 2020

नेताओं और दलों को समझने के लिए उनकी विचारधारा समझनी जरूरी है।

अक्सर लोग कहते रहते हैं कि सारे नेता और सारी पार्टियां एक ही तरह की होती हैं। हमारे विचार से यह पूरी तरह से एक नासमझी भरा बयान होता है जिसमें लोग अपनी जिम्मेदारियों से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं।

देश की जनता को इस बात को समझने की जरूरत है कि "पार्टियों की पहचान उसकी वैचारिकी के आधार पर होती है, तात्कालिक घोषणाओं के आधार पर नहीं।"

यदि दलों की वैचारिकी पर गौर करेंगे तो अलग-अलग दलों व नेताओं के बीच "जमीं-आसमान" का अंतर मिलेगा।

दुखद है कि भारत की लगभग पूरी की पूरी जनता वैचारिक समझ से पैदल है जिसके कारण लोक-लुभावन वादों के आधार पर वोट करती हैं, जिसका परिणाम बुरा आने पर वहीं जनता नेताओं को कोसती है जबकि सरकार नेताओं ने नहीं, बल्कि खुद जनता ने ही बनाई थी।

इसलिए हमारे विचार से जिस समय देश की जनता वैचारिक आधार पर सोचना शुरु कर देगी उसके बाद उसे अलग-अलग नेताओं और अलग-अलग दलों में "अंतर-काले" सफेद की तरह स्पष्ट हो जाएगा।

जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय

रजनीकान्त इन्द्रा

इतिहास छात्र इग्नू-नई दिल्ली

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