Tuesday, March 24, 2020

दिखावें में नहीं, क्रियान्वयन में विश्वास करती हैं बसपा


दिखावें में नहीं, क्रियान्वयन में विश्वास करती हैं बसपा

राजनैतिक दलों के अध्यक्ष व अन्य बड़े नेतागण जातीय उत्पीड़न, रेप आदि पीड़ितों के घरों पर अपने लाव-लश्कर संग अक्सर फोटो खिचवाते हुए मिल जाते हैं। कुछ नेता चंद रुपयों का आर्थिक योगदान भी देते हुए नजर आते हैं। ऐसे लोगों का मानना हैं कि ऐसा करने से त्वरित कारवाही हो जाती हैं। ये बात कुछ हद तक कुछ मामलों में सही भी हो सकती हैं। लेकिन, यदि ऐसे केसेस के पूर्ण न्याय के संदर्भ में देखें तो ऐसे नेताओं का पीड़ित से मिलना "ढाँख के तीन पात" ही साबित होता हैं। 


फिलहाल इस राजनैतिक ट्रेंड से प्रेरित होकर अक्सर लोग सवाल पूछते हैं कि बहन जी किसी पीड़ित के घर क्यूँ नहीं जाती हैं? ये सवाल बहुजन समाज के विरोधियों द्वारा उठाया जाता हैं, और पिछड़े-दलित-बहुजन समाज के लोगों द्वारा ढोया जाता हैं। इससे काफी हद तक पिछड़े समाज में नाराजगी तक दिखाई पड़ती हैं कि तमाम नेता अमुक पीड़ित से मिले, उसके घर गए लेकिन पिछड़े समाज की महानायिका बहन जी ऐसा क्यों नहीं करती हैं?
  

ऐसे नेतागण जो पीड़ित से मिलाने जाते हैं क्या वे स्पष्ट करेगें कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में वे कितने पीड़ितों से मिले हैं, और कितनों को न्याय दिलाया हैं? यदि पड़ताल करेगें तो आप पायेगें कि विपक्ष में बैठने पर पीड़ित के घर जाकर सहानुभूति जताने वाले लोग ही अपने शासन काल में पीड़ितों को परेशान करते हैं, अपराधियों को संरक्षण देते हैं। ऐसे में ऐसी सांत्वना का क्या लाभ हैं जिसका पीड़ित को कोई न्याय मिलाने में कोई योगदान ही ना हो। 


        हमारे विचार से ऐसे सवाल करने वाले मान्यवर साहेब और बहन जी की कार्यशैली से पूरी तरह से अज्ञान होते हैं। ऐसे लोगों को समझना होगा कि किसी पीड़ित के घर जाने वाले नेता सिर्फ और सिर्फ अपने राजनैतिक हमदर्दी दिखाने के लिए जाते हैं। इससे पीड़ित तत्कालिक सांत्वना भले ही मिल जाए लेकिन उसे न्याय नहीं मिलगा। कई केसेस से यह प्रमाणित भी हो चुका हैं। उदहारण के लिए उन्नाव रेप पीड़िता के घर लोग मिलने तो गए लेकिन क्या उसके साथ न्याय हुआ? यदि न्याय जातिवादी धारा से ही होनी हैं तो ऐसा दिखावा करने से पीड़ित को क्या लाभ हैं। ये और बात हैं कि ऐसा करने से राजनैतिक दलों को लाभ जरूर हो जाता हैं।   


इस सन्दर्भ में यदि गौर किया जाय तो हम पाते हैं कि लोकतंत्र के महानायक मान्यवर साहेब और भारत में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन जी शायद ही किसी पीड़ित के घर ऐसी झूठी सांत्वना देने गयी हो। क्योंकि, बाबा साहेब के मानने वाले लोग दिखावे में नहीं बल्कि क्रियान्वयन में विश्वास करते हैं। मान्यवर साहेब या फिर बहन जी इस बात में विश्वास करते हैं कि यदि आप जुल्म से आज़ादी चाहते हो, अपने बहु-बेटियों की सुरक्षा चाहते हो, जातिगत उत्पीड़न से छुटकारा चाहते हो, चुस्त शासन और दुरुस्त प्रशासन चाहते हो तो संगठित होकर अत्याचार करने वाली उच्चजातियों के हाथों से सत्ता छीन कर अपने बहुजन समाज सरकार बनाओं। आपकी अपनी हुकूमत ही आपको न्याय दिला सकती हैं, सुरक्षा दिला सकती हैं।
=======रजनीकान्त इन्द्रा=======

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