Thursday, November 12, 2009

भ्रष्टाचार की जड़


हमारी सरकार जिसके तीन अंग है विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका | जनता के हितों कि रक्षा के  सरकार के जिस अंग का सबसे ज्यादा महत्व है वह है हमारी पुलिस और कोर्ट | मै इलाहाबाद हाई कोर्ट के चारो तरफ चक्कर लगते लोगों को देखता हूँ | सोचता हूँ कि लोग कोर्ट क्यों आते है ? कितने लोग न्याय के लिए आते है और कितनों को न्याय मिलता है ? आज तक कोई ऐसा नहीं मिला जो मुझें कोर्ट या पुलिस की सच्चे दिल से सम्मान करता हो | कोर्ट कानून के दलालों का अड्डा है तो पुलिस सरकारी तंत्र में सबसे बदनाम चेहरा है | हमारे संविधान ने सबको ताकत दी है सिर्फ न्याय करने के लिए , लेकिन होता क्या है सब जानते है | पुलिस के ऊपर ढेर सारे आरोप रोज लगते रहते है | किसी ने कभी इसका मुख्य जड़ जानने की कोशिश ही नहीं की है जैसे की पुलिस जानता से पैसा क्यों लेती है ? ये रिश्वत कहाँ तक जाती है ?
आज हमारी जेलों में करीब ३.७५ लाख कैदी बंद है जिसमे से २.४५ लाख पर आज तक कोई गुनाह साबित नहीं हो पाया है , क्यों ? जिन पर गुनाह साबित हो चुका है क्या उन में कुछ निर्दोष भी है ? ये सब यदि आम आदमी जान जाए तो क्या देश की जनता सरकार पर भरोसा करेगी ? आज तक न्याय पालिका के कुछ ही ऐसे सही फैसले होगें जिसका देश की पूरी जानता तहें दिल से स्वागत करती है | सब जानता को ही क्यों बवकूफ बनाते है | जब २.४५ लाख लोगों पर जुर्म साबित नहीं हो पाया है तो वे किस बात की सजा भुगत रहें है ? क्या कर रही है पुलिस ? मामले आगे क्यों नहीं बढ़ते है ? कोर्ट को तारीख देने से ही फुर्सत नहीं है और पुलिस को चमचागीरी करने से | सब जानता  का ही शोषण करते है | सब जानता का पैसा है , जानता की कमाई है फिर भी लोग जानता को हिसाब देने से कतराते है , क्यों ? पुलिस , बडें ऑफिसर , ये सब बदनाम है रिश्वत के लिए लेकिन क्या हमारी न्यायपालिका इससे परे  है | न्यायपालिका को संविधान ने  पॉवर दी है अवमानना की  जो इसके सारे गुनाहों को छिपा लेती है | यह बात हमारे कई जज भी ये बात कह चुके है | आप सब जानते है की पुलिस रिश्वत लेती है , ऑफिसर रिश्वत लेते है ....ठीक है इसीलिए ये सब बदनाम है तो क्या सिर्फ न्याय पालिका ही आज का हरिश्चंद है जो ईमानदारी का ताज पहने है |
 आज कि जनता यदि किसी से खुश है तो सिर्फ एक संस्था से वह है भारतीय चुनाव आयोग | आप जब जानते है कि जब चुनाव कि आचार संहिता लागू होती है तो क्या होता है | आज कि जानता से पूछो तो वह भारतीय चुनाव आयोग का शासन चाहती है | ये सब कुछ और नहीं बल्कि भारतीय चुनाव आयोग का अपना कर्तव्य पालन का नतीजा है | जिन आई.ए.एस ऑफिसर को हमारे नेता और न्यायपालिका भ्रष्ट कहते है उन्ही आई.ए.एस. ऑफिसर द्वारा चलने वाली संस्था है भारतीय चुनाव आयोग |
यदि सरकार सचमुच जानता के साथ न्याय चाहती है तो " जज इन्क्वारी बिल "  जल्द से जल्द पारित करे और न्याय पालिका की हद तय करे | पुलिस सुधार का कमीशन बनाने के बजाय देश में असमान बेतन को ठीक करे क्योकि यही सारे भ्रष्टाचारकी जड़ है | आज प्राइमरी में बैठा मास्टर क्या करता है सब जानते है , इंजीनियरिंग कॉलेज का टीचर कितने नोबल पुरस्कार जीता है सब जानते है , मेडिकल कालेज  का डाक्टर कितने ध्यान से सरकारी मरीज देखता है सब जानते है , ऑफिस का बाबू कितना मेहनत करता है सब जानते है , फिर भी इनको बेतन बहुत कम लगता है , जो आये दिन धरना देते रहते है | फील्ड में शारीरिक और दिमागी मेहनत  दोनों की  जरूरत होती फिर भी पुलिस और फील्ड वर्कर के बेतन इतने कम क्यों है ?  


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