Monday, November 9, 2009

गलती और सजा

आज मै आप को एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ , जिसमे अपनो ने मिलकर किसी अपने को बिना किसी गुनाह के ही सजा दे डाली है | हाँ , दोस्तों ये मेरे ही जीवन की एक कहानी है |
जहाँ तक मुझें याद है , आज तक के जीवन में मैंने ऐसी कोई गलती नहीं की है की जिसके लिए मुझें पछताना पड़ें | बचपन की कुछ गलतियाँ सबसे हो जाती है , जो कि कुछ और नहीं बल्कि छोटे बच्चों की शरारत के सिवा कुछ नहीं है | ये शरारती गलतियाँ तो सबसे हो ही जाती है , जो की नादानी की ही वजह से होती है | इस प्रकार की जो भी गलतियाँ हो गयी है उसके लिए मुझे खेद है परन्तु अनजाने में हुई गलती को तो सब माफ़ ही कर देते है | इस लिए बचपन की उन छोटी - छोटी गलतियों के लिए ( जो कि बस गिनी चुनी चार - पांच ही हो सकती है ) मै माफ़ी मागता हूँ |


जहाँ तक मुझें याद है मैंने आज तक ना किसी से झगडा किया है , ना किसी को जानकर - बुझकर  में दुःख ही पहुचाया है | मैंने गुस्से में कभी - कभी कुछ लोगों को कुछ बातें कहीं है जो कि उन्हें बहुत ही बुरा लगा है | फिर भी गलती मेरी नहीं है क्योकि उन लोगों ने पूरी बात बिना सुने ही अपने मतलब का अर्थ निकल लिया है | मेरी बातों से उन्ही लोगों को दुःख पंहुचा है , जिन लोगो ने मेरी बात को पूरी तरह से नहीं सुनी है | ये तो सब जानते है कि आधा - अधुरा ज्ञान ही सभी मुशिबतों का कारण है , तो फिर यह दोष किसका हुआ | इस तरह कि घटनाएँ मेरी जिंदगी में बहुत ही आयी है , जिसका फल मुझे भुगतना पड़ा है |


हाँ , मै मनाता हूँ कि जिंदगी में हर आदमी सदा एक ही समय पर सबको खुश नहीं कर सकता है | किसी ना किसी को तो नाराज करना ही पड़ता है | इस बात को हम गणित कि भाषा में भी अच्छी तरह से समझ सकते है | इसे समझाने के लिए मै आप को गणित के समीकरण का उदहारण लेता हूँ |

जैसे

Given that x^4 - 5x^3 + 5x^2 + 5x - 6 = 0 . Find X  such that  { x > 0 & x > 2 }
( x - 3 ) ( x - 2 ) ( x - 1 )( x + 1) = 0

यहाँ पर हमें X कि चार वैल्यू मिल रहें है , चारों वैल्यू सही भी है क्योकि चारों वैल्यू समीकरण को संतुष्ट करते है , लेकिन दिए गए प्रतिबन्ध को देखते हुए केवल एक ही वैल्यू सही है |

समीकरण में तीन वैल्यू धनात्मक है , एक ऋणात्मक है | समीकरण में X= -1, 1 , 2 , 3 है परन्तु प्रतिबन्ध के अनुसार केवल X=3 ही धनात्मक और २ से बड़ी है |
मतलब सब कुछ सही है परन्तु प्रतिबन्ध के अनुसार केवल एक ही सही है |

इसी प्रकार मेरे भी जीवन में ऐसा समय आया है , जब मै चौराहे पर खडा हूँ और चुनना केवल एक ही रास्ता है | तब मैंने वही रास्ता चुना जो सबसे सही और न्याय पूर्ण था |
इसी तरह से जब चार लोगों में से एक का चुनाव करना हो तो प्रिय तो सब होते है लेकिन चुनना एक है , ऐसे में बचे तीन का नाराज होना स्वाभाविक है परन्तु मै क्या करू | ऐसे परिस्थिति में मैंने वही किया है जो सर्वाधिक न्यायपूर्ण रहा है | क्योकि मै एक साथ एक ही परिस्थिति में सब को खुश नहीं कर सकता हूँ |

 ऐसी स्थिति में सभी को मौजूद परिस्थितियों में से सबसे न्यायपूर्ण फैसला ही करना करना चाहिए | यहीं मैंने आज तक कि लाइफ में करने कि भरपूर कोशिश कि है |


सदा गीता के रास्ते पर चलने कि कोशिश की है | आज तक मैंने जान-बूझ कर कोई गलती नहीं नहीं की है , किसी को धोखा नहीं दिया है , किसी को नुक्सान नहीं नहीं पहुचाया हूँ , किसी का अहित नहीं सोचा हूँ , फिर भी मुझें कुछ सजा भुगतनी पड़ी है | आज मै शायद इसी दौर से गुजर रहा हूँ | इस समय मै पांच तरफ से घिर चुका हूँ , बहुत ही परेशान हूँ , कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है , मेरे दोस्त ने मुझें ऐसा धोखा दिया है कि शायद ही किसी ने किसी को दिया हो | मैंने उससे सारा रिश्ता नाता तोड़ लिया है | अब हम अजनवी है , लेकिन मै तुमको को कभी भूल नहीं सकता हूँ | मुझें पता है कि हर दुःख के बाद ही सुख आता है , रात के बाद दिन आता है |


नवम्बर ०९,२००९ 

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