Tuesday, June 14, 2022

हुक्मरान बनों

दिनांक : 14.06.2022

हुक्मरान बनों

मान्यवर  साहेब कहते हैं कि 'हुक्मरान बनों'। बहनजी कहती हैं कि 'कौन हार रहा है, कौन जीत रहा है, इस पर अपनी ऊर्जा और समय नष्ट करने के बजाय हमें अपनी सरकार बनाने के लिए काम करना चाहिए'। परन्तु बहुजन भीड़ अपने दोनों महान मार्गदर्शकों के सन्देशों को किनारे करके 'भाजपा हराओं' जैसे नकारात्मक एजेण्डे को अपना लक्ष्य बना लिया जबकि हर स्थिति में बहुजन समाज का लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ 'बसपा लाओ' होना चाहिए।

'भाजपा हराओ' वालों ने भाजपा को हारने के लिए आप, सपा, टीएमसी आदि को जिताना बेहतर समझा जबकि विचारधारा और कार्यप्रणाली के अनुसार ये सब आरएसएस की सहयोगी, समर्थक एवं भाजपा, शिवसेना आदि जितना ही साम्प्रदायिक हैं। 'भाजपा हराओ' वालों की नासमझी ने इनकों कहीं का नहीं छोड़ा। आज ये ना तो सत्ता में हैं और ना विपक्ष हैं। मुस्लिमों और पिछड़ों आदि पर अत्याचारों का बुल्डोजर कहर ढहा रहा है और इनके वोट लेने वाली पार्टियाँ खामोश हैं। इसलिए ये लोग फिर बहनजी की तरफ देख जरूर रहे हैं परन्तु अपनी गलती को स्वीकारने की हिम्मत ना होने और अपनी नासमझी पर पर्दा डालने के लिए बसपा और बहनजी पर आरोप भी लगा रहें है जो कि पुनः इनकी नासमझी और गैर-जिम्मेदाराना सोच एवं बर्ताव को रेखांकित करता है।

फिलहाल पिछले एक दशक के चुनावों में पिछड़े, दलित (गैर-जाटव) और अन्य सभी शोषित तबके ने 'भाजपा हराओं' को लक्ष्य मानकर कार्य किया, वोट किया, और अपने 'हुक्मरान बनो' के एजेण्डे को छोड़ दिया। परिणामस्वरूप 'भाजपा हराओं' के नकारात्मक एजेण्डे ने ही भाजपा को प्रचण्ड बहुमत दे दिया है। साथ ही, भाजपा द्वारा खड़ी की गयी सभी विरोधी परन्तु भाजपा की सहयोगी पार्टियों जैसे कि - आप, सपा, टीएमसी आदि, को कहीं सत्ता तो कहीं विपक्ष का सम्मानित स्थान मिल गया। अब सबसे अहम् सवाल यह है कि 'भाजपा हराओ' वाली भीड़ को क्या मिला?

याद रहे, बहुजन आन्दोलन की वाहक बसपा का उद्देश्य किसी को हराना या जितना नहीं है बल्कि शोषित समाज को हुक्मरान बनाना है। किसी का दमन या शोषण करना नहीं बल्कि 'न्याय - समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व' आधार पर समतामूलक समाज का सृजन कर भारत राष्ट्रनिर्माण करना है।

-     इन्द्रा साहेब



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