Friday, February 18, 2022

‘भाजपा बनाम बसपा’ है उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव-2022

भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही है बसपा ==========================================

इन्द्रा साहेब Indra Saheb

==========================================

बसपा के इतिहास को देखते हुए जातिवादी मीडिया, तथाकथित बुद्धिजीवी वर्गों और सत्तारूढ़ भाजपा ने जिस तरह से बसपा के खिलाफ कथानक तैयार किया है, जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया ने विजुअल्स तैयार किया है, उससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव-2022 की असली लड़ाई भाजपा बनाम बसपाहै। इसलिए बसपा की मजबूत स्थित के मद्देनजर भाजपा, जातिवादी मीडिया और तथाकथित विद्वानों द्वारा बसपा से जुड़ने वाले फ्लोटिंग वोट, खासकर मुस्लिम व अन्य एंटी-बीजेपी वोटर्स, को डायवर्ट करने के लिए सपा को जबरन फाइट में दिखाया जा रहा है जबकि तथ्य यह हैं कि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है, और बसपा का अपना कोर वोटर पूरी मजबूती से उसके साथ लगातार बना हुआ है।

बसपा ने 2007 में जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनायीं थी तब उसको 30 फीसदी के आस-पास वोट मिले थे, जब २०१२ में सत्ता से बाहर हुए तो भी उसके पास 25 फीसदी के आस-पास वोट था, और जब भारत और खासकर उत्तर में धार्मिक उन्माद चरम पर थी तब भी बसपा के पास 22.50 फीसदी वोट इसके साथ रहा जबकि समाजवादी पार्टी कांग्रेस व अन्य छोटे-मोटे सभी दलों को जोड़कर भी ना तो सीटे जीतकर हाफ़ सेंचुरी बना पायी और ना ही बसपा से ज्यादा वोट बटोर पायी। साथ ही 2019 में हुए लोकसभा आमचुनाव के बसपा सपा से सीट और कुल वोट के मामले में भी आगे रही है। ऐसे में भी यदि तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा उत्तर प्रदेश की दूसरे नम्बर की पार्टी बसपा को उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव-2022 के सन्दर्भ में कमजोर दिखाया जा रहा है तो यह इनकी निजी स्वार्थ, जातिवादी व कुण्ठित मानसिकता का परिणाम मात्र है।

इन कुण्ठित विद्वानों व विश्लेषकों को यह बात स्वीकारनी होगी कि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है। इसकी अपनी स्वतंत्र राजनीति, रणनीति व कार्यशैली है। यदि फिर भी स्वघोषित एवं तथाकथित बुद्धिजीवियों को लगता है कि बसपा किसी का खेल बिगाड रहीं हैं, या बसपा फाइट में नहीं है, या फिर बसपा खत्म हो चुकी है, तो एक आम इन्सान भी बड़ी आसानी से समझ सकता है कि उनके निर्णय व विश्लेषण निष्पक्ष व विद्वतापूर्ण होने के बजाय उनकी निजी खीझ मात्र है। हमारा स्पष्ट मत है कि बसपा के सन्दर्भ में तथाकथित विद्वानों के विश्लेषण उनकी जातिवादी सोच व निजी कुण्ठा का परिणाम मात्र है।

साथ ही, देश को भी समझने की जरूरत है कि जातिवादी मीडिया एवं तथाकथित बुद्धिजीवी वर्गों द्वारा बसपा की स्वतंत्र अस्मिता को स्वीकार नहीं कर पाना, जातिवादी मीडिया एवं तथाकथित बुद्धिजीवियों की कुंठा को प्रदर्शित करता है। शुरूआती समय से ही मनुवादी रोग व कुण्ठा ने शूद्रों व दलित समाजों में जन्में अधिकारीयों, कर्मचारियों एवं तथाकथित बुद्धिजीवियों को भी जकड़ रखा है। यही वजह है कि बड़े ओहदों पर आरक्षण पाकर बैठे मनुरोग के शिकार व कुण्ठित लोगों के सन्दर्भ में मान्यवर साहेब कहते थे कि बहुजन समाज के अधिकांश अधिकारियों, कर्मचारियों व बुद्धिजीवियों ने हमारे खिलाफ दुष्प्रचार किया था। दुखद है कि यह दुष्प्रचार आज भी बसपा के खिलाफ जारी है।

इन सब के बावजूद घर के बाहर व भीतर की समस्त चुनौतियों से पूरी बहादुरी के साथ लड़ते हुए बसपा ने ना सिर्फ कुण्ठित व जातिवादी मानसिकता से पीड़ित गाल बजाते लोगों को बल्कि तथाकथित राजनैतिक विश्लषकों को भी गलत साबित करके 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकारी बनायी है।

फिलहाल, उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव-2022 के सन्दर्भ में तथ्य यह है कि बसपा का खेल सपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियां बिगाड़ कर भाजपा को जिताने के लिए काम कर रही है क्योंकि सपा फाइट में तीसरे नम्बर पर है और भाजपा के सत्ता में रहने से हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण बना रहेगा और इसका फायदा भाजपा के साथ-साथ सपा को मिलेगा। इसलिए सपा भाजपा की बी टीम के तौर पर पूरी सिद्धत से कार्यरत है।

भाजपा को सपा के साइलेंट समर्थन के मद्देनजर ही पश्चिम के शुरूआती दोनों चरणों के चुनावों में भाजपा को सत्तारूढ़ होने से रोकने के लिए मुस्लिम ने लगभग एकमुश्त और जाट व अन्य वर्गों ने भी लगभग दो-तिहाई समर्थन बसपा को दिया है। पश्चिम के मुस्लिमों की इस बुद्धिमत्तापूर्ण समर्थन का असर पूर्वांचल के मुस्लिमों पर साफ-साफ झलक रहा है। इसलिए भाजपा के शासनकाल में पीड़ित सम्पूर्ण मुस्लिम वर्ग व सपा के गुण्डाराज से भयभीत अतिपिछड़ा व सवर्ण तबका बसपा की तरफ रुख कर चुका है।

मौजूदा उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव-2022 में जिस तरह से बसपा ने शान्तिपूर्वक 500 से अधिक जनसभाएं की, सामाजिक ताने-बाने का पूर्ण ख्याल रखते हुए राजनैतिक क्रमचय-संचय के द्वारा टिकटों का वितरण किया है, और जब भाजपा, कांग्रेस और सपा अपने अन्दर के कलह से जूझ रहे हैं ऐसे में बसपा अपने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के माध्यम से हर घर में पहुँचकर बसपा के कार्यकाल में किये गए ऐतिहासिक कार्यों व संविधान सम्मत शासन के आधार पर वोट की अपील कर रही है, जिस तरह से प्रतिदिन बहनजी अपनी विशाल चुनावी जनसभाओं में दलित, आदिवासी, पिछड़े, अतिपिछड़े, अल्पसंख्यक, गरीब सवर्ण, किसानों, फौजियों, राज्यकर्मियों, मेहनतकश वर्गों, महिलाओं, छात्रों, बेरोजगारों की समस्याओं को ना सिर्फ रेखांकित कर रहीं है बल्कि उसके समाधान पर जोर देते हुए सुन्दर व समृद्ध उत्तर प्रदेश का ख़ाका खींच रहीं हैं, जिस तरह बसपा ने उत्तर प्रदेश में कानून द्वारा कानून का राजस्थापित करते हुए गरीबों के लिए मुफ्त शिक्षा संग वजीफा, उन्नत व सस्ती स्वास्थ सेवा मुहैया कराया है, सर्वसमाज के हितों को ध्यान में रखते हुए 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' की नीति के तहत कार्य किया है, उससे साफ़ जाहिर होता है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव-2022 के परिणाम तमाम एक्जिट पोल, सर्वे व तथकथित राजनैतिक विश्लेषकों के विश्लेषण को गलत साबित करेगें। उत्तर प्रदेश की आमजनता के रुख से पूरे आसार है कि बसपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है।

===========================================================

(इन्द्रा साहेब : शोध ग्रन्थ 'मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन - सिद्धान्त एवं सूत्र' के लेखक हैं)

============================================================


No comments:

Post a Comment