Sunday, June 14, 2020

मायायुग की कहानी - बहुजन समाज के लिए एक सबक हैं

फोटोग्राफ उपलब्ध कराने के क्रेडिट सोबरन सिंह, आगरा को जाता हैं।
बहन जी (कु मायावती, प्रधान सम्पादक) ने मीडिया (मायायुग पत्रिका) खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन जिन जिम्मेदार महोदय व टीम (प्रमोद कुरील, कार्यकारी सम्पादक और राम प्रसाद मेहरा, सम्पादक, आदि) पर बहन जी ने जिम्मेदारी सौंपी, वे पत्रिका का सञ्चालन प्रधान सम्पादक के मन मुताबिक नहीं कर सके। मजबूरन बहन जी को ये पत्रिका बंद करनी पड़ी। इस पत्रिका के बन्द होने में प्रमोद कुरील जी की अहम् भूमिका रहीं हैं। प्रमोद कुरील साहब पर मेहरा साहब के खिलाफ षड्यंत्र व दुष्प्रचार का आरोप हैं। इसके बावजूद ये महोदय लोग राज्यसभा जाना चाहते थे। वो मंशा पूरी करना बसपा के लिए उस समय संभव नहीं था। हालांकि बाद में, सपा के वीरेंदर भाटिया की मृत्यु के उपरान्त खाली हुई राज्यसभा सीट पर बहन जी ने एक लोग (प्रमोद कुरील, 2010-2012) को राज्यसभा पहुँचा भी दिया। हालाँकि बाद में, प्रमोद कुरील साहब भी बसपा को छोड़ दिये।
आर पी मेहरा साहब, सम्पादक मायायुग, को बसपा ने उत्तर प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग का सदस्य बनाया गया। इसके बाद अपने कारणों के चलते मेहरा साहब भी पार्टी छोड़कर चले गये। आज कल मेहरा जी कांशीराम रिवाइवल मूवमेंट के नाम से संगठन चला रहे हैं। और, इनका मानना हैं कि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस को पुनः खड़ा पड़ेगा। इसलिए बीजेपी के सत्तारूढ़ होने के बाद से मेहरा साहब काँग्रेस के लिए लिख रहे हैं। कांग्रेस का यथासंभव समर्थन कर रहे हैं।
किस पर विश्वास किया जाए
ऐसे में सवाल पैदा होता कि किस पर विश्वास किया जाए? ये कहानी सिर्फ पत्रिका की नहीं हैं। यदि पार्टी में आर्थिक मुक्ति के आये बहुजन समाज में जन्मे लोगों पर भी गौर किया जाय तो हम पाते हैं कि जिस-जिस पर बहनजी ने विश्वास कर जिम्मेदारी सौंपी, सब ने बहन जी को, बसपा को, बहुजन आन्दोलन को धोखा दिया, गबन किया और बहन जी पर पैसा माँगने के गलत आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी, और बहुजन विरोधी दलों में शामिल हो गये। यही लोग बहन जी पर लगातार झूठे आरोप लगते रहते हैं, और पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहते हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जो पैसा इकट्ठा करते हैं हैं, बहन जी जब जनता द्वारा पार्टी को दिए गए पैसे का हिसाब-किताब मांगती हैं तो ये लोग उल्टा बहनजी पर पैसा मांगने का आरोप लगा देते हैं।
ऐसे लोग अपनी आर्थिक मुक्ति कर लेने के बाद बहन जी, बसपा और बहुजन आन्दोलन को धोखा देकर अन्य दलों का दामन थाम कर मिशन चलाने का दावा करते हुए लगातार ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों को लगातार गुमराह कर रहे हैं। बसपा को छोड़ने वाले जो भी लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप लगते हैं वो सभी इसी तरह के लोग हैं। ये लोग पार्टी के नाम पर जनता से पैसा इकट्ठा कर प्रायः गबन कर लेते हैं। जब इनसे इकट्ठा किये पैसे का हिसाब माँगा जाता हैं तो ये लोग बहन जी पर पैसा मांगने का आरोप मढ़कर पार्टी से भाग जाते हैं। ये लोग जनता और मीडिया को सिर्फ यही बताते हैं कि बहन जी पैसा मांगती हैं, लेकिन ये लोग ये नहीं बताते हैं कि बहन जी कौन सा पैसा मांगती हैं? जबकि हक़ीक़त ये हैं कि बहन जी इनसे पैसा नहीं मांगती हैं बल्कि पार्टी के नाम पर इन्होने जो पैसा इकट्ठा किया हैं, बहन जी उसका हिसाब मांगती हैं। बहन जी जनता द्वारा दिए गए उस पैसे को माँगती हैं जो जनता ने पार्टी को दिया हैं। फिलहाल यही लोग बहन जी पर मिशन से भटकने का आरोप लगाकर लगातार दुष्प्रचार करते रहते हैं। अब बहुजन समाज ही तय करे कि कौन मिशन से भटक गया हैं?
सीख
मायायुग के इस हश्र के बाद उन लोगों को सबक मिलना चाहिए जो लोग बहन जी बहुजन मीडिया ना खड़ा करने का आरोप लगाते है। लोगों को ज्ञात होना चाहिए कि बहन जी हर संभव प्रयास कर रहीं है कि बहुजन मूवमेंट को बेहतर बनाया जाए। लेकिन बहुजन समाज के स्वार्थी, बिके हुए व चमचे किस्म के लोगों ने शुरू से लेकर आज तक बहन जी को धोखा देने का कार्य किया हैं। जिसकी वजह से आंदोलन में थोड़ा बहुत बाधा उत्पन्न हो जाती हैं। इन सबके बावजूद बहन जी सतत संघर्ष करते हुए दिन प्रतिदिन बहुजन आंदोलन को नए आयाम की तरफ कदम दर कदम अग्रसर हैं।
आन्दोलन के नेतृत्व पर भरोसा बनाये रखना होगा
बसपा राजनैतिक दल होने के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति का आन्दोलन हैं जिसका लक्ष्य भारत में समतामूलक समाज का सृजन करना हैं। इसलिए बसपा व उसके नेतृत्व की तुलना अन्य दलों व उनके नेतृत्व से करना अनुचित होगा। साथ ही बहुजन समाज के युवाओं को समझना होगा कि ये आन्दोलन एक-दो दिन में पूरा होने वाला नहीं हैं। ये भी सच हैं राजनैतिक सत्ता के बगैर इस आन्दोलन को मुकम्मल मुक़ाम तक पहुँचाना मुमकिन नहीं हैं। इसलिए राजनैतिक सत्ता को हथियार बनाकर इस आन्दोलन को इसके लक्ष्य तक पहुँचाया जा सकता हैं। इसके लिए सबसे जरूरी हैं अपने आन्दोलन के नेतृत्व पर भरोसा।
बहुजन समाज के अपने आन्दोलन व नेतृत्व के सन्दर्भ में, रविवार ०६ मई १९४५ को अखिल भारतीय शेड्युलकास्ट फेडरेशन के तीसरे अधिवेशन के लिए बनाये गए विशाल साध्वी रमाबाई अम्बेडकर नगर में अखिल भारतीय महिला परिषद् के अधिवेशन के बाद डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर ने वहाँ उपस्थित डेढ़ लाख जान समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा था कि "आन्दोलन की मजबूती के लिए सभी कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वे अपने वरिष्ठों (नेतृत्व) के आदेशों को बिना शिकायत स्वीकार करें[1]" ये सिर्फ सत्ता मात्र की लड़ाई नहीं हैं बल्कि बसपा की लड़ाई सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति की लड़ाई हैं। इसलिए इस जंग में बहुजन समाज को अपने नेतृत्व पर विश्वास को लगातार बनाये रखना होगा।
बहुजन युवाओं से अपील
बहुजन युवाओं का लगातार मार्गदर्शन करते आ रहे सुविख्यात समाज विज्ञानी प्रो विवेक कुमार सर हमेशा कहते हैं कि "मान्यवर साहेब अपने कैडर में बताते थे कि नकारात्मक प्रचार भी प्रचार होता है"। इसलिए हम सबको अपने प्रतिद्वंद्वियों व बहुजन समाज को धोखा देने वालों पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए। आगे मान्यवर साहेब के हवाले से प्रो विवेक सर बताते हैं कि "यदि विचारों को लगातार ना मांजा जाय तो विचार मर जाते हैं।" इसलिए बहुजन युवाओं को चाहिए कि अपनी ऊर्जा व समय का सदुपयोग अपने बहुजन आंदोलन की वैचारिकी को मांजने, अपनी बहुजन हुकूमत की उपलब्धियों व बहुजन वैचारिकी को जन-जन तक पहुंचाते हुए 'ना बिकने वाले बहुजन समाज' के सृजन में लगाना चाहिए।
रजनीकान्त इन्द्रा
संदर्भ -

[1] बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर, बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर संपूर्ण वाड़्मय, खंड-39 भाग -2, पृष्ठ संख्या-434, डॉक्टर अंबेडकर प्रतिष्ठान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली (2019)

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