Tuesday, February 11, 2020

मुँह में अंबेडकर बगल में राम


सुन लो भैया, बहुजन की आवाज,
मुँह में अंबेडकर बगल में राम।
अब नहीं गलेगी तुम्हारी दाल।।

रैदास नगर का कर दिया भदोही नाम,
पंचशील नगर को हापुड़,
भीमनगर को दे दिया सम्भल नाम,
अम्बेडकर पार्क की जमीं छीनकर,
लिख डाला जनेश्वर लोहिया नाम
ऐसे ओछे कर्मन् से, आती ना तुमको लाज,
सुन लो भैया, बहुजन की आवाज,
मुँह में अंबेडकर बगल में राम।
अब नहीं गलेगी तुम्हारी दाल।।

क्षत्रिय बनने के चलते, दलितों पर किया अत्याचार,
पिछड़ों को दूर कर दिया बुद्ध-फूले-अंबेडकर से,
छीन लिया उनके प्रमोशन में आरक्षण का अधिकार,
भर दिया उनमें लोहिया के गांधीवाद का जहर,
और लूट लिया उनके जीवन का चमकता सहर,
जातिवाद संग सांम्प्रदायिकता बढ़ाया
वंचितों की अस्मत लूटी, जमीं छीनीकर,
मुस्लिमो को दे दिया दंगों की सौगात,
ऐसे ओछे कर्मन् से, आती ना तुमको लाज,
सुन लो भैया, बहुजन की आवाज,
मुँह में अंबेडकर बगल में राम।
अब नहीं गलेगी तुम्हारी दाल।।

रहोगे शूद्र भले ही लिख लो चाहे सिंह नाम,
ललई को भुला दिया करके गंगा का स्नान,
कांशीराम से कैसी नफ़रत,
जो बदल दिया अरबी-फारसी विश्वविद्यालय का नाम,
गफलत में खुद को क्षत्रिय समझे, ऐसे ही बंट गया सारा जहान,
भूल गए महानायकों को, ढहाने का प्रण कर लिया अम्बेडकर पार्क,
ऐसे ओछे कर्मन् से आती ना तुमको लाज,
सुन लो भैया, बहुजन की आवाज,
मुँह में अंबेडकर बगल में राम।
अब नहीं गलेगी तुम्हारी दाल।।
✓✓रजनीकान्त इन्द्रा ✓✓
10.02.2020

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