Sunday, January 23, 2011

सही समय पर सही निर्णय ही जीवन है


मानव का सबसे बड़ा शत्रु उसका डर | इस डर की वजह से मानव निर्णय लेने में समय लगता है| इस समय के नुकसान की भरपाई तो नहीं की जा सकती है | निर्णय में देरी का मतलब - समय का नुक्सान और दिमाग की चिंता को बढावा देना है| चिंता चिता से भी कतारनाक होती है| चिंता ग्रस्त दिमाग कभी भी अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग नहीं कर सकता है| 
मानव को हर पल कोई ना कोई निर्णय लेना ही होता है | यहाँ तक की आज हमें क्या खाना है , कब सोना है , क्या पहनना है , क्या करना है , किससे मिलाना है , क्यों मिलाना है , कहाँ और क्यों जाना है , भविष्य में क्या करना है , अभी क्या करना है ? इस तरह के सवालों का सामना रोज होता है | इन सवालों का उत्तर ही निर्णय है | ये सवाल तो रोजमर्रा की जिंदगी के है | परन्तु कुछ निर्णय और भी होते है जैसे कि दाखिला किस कालेज में लेना है , क्या पढ़ना है , कौन सी  अनुकारी करनी है ,दोस्ती किससे होनी चाहिए , दोस्ती का मतलब क्या होता है , शादी किससे करनी है , कौन हमारे और हमारे प्रेम के लिए बेहतर है | ये  बुत ही महत्वपूर्ण होते है जो कि हमारा जीवन तय करते है | इन सवालों का जब लोग बहुत दिनों तक सोचने के बाद लेते है | फिर भी उनका निर्णय गलत हो जाता है | इसका कारण उनके मन का डर , वैज्ञानिक और विश्लेषण युक्त सोच का आभाव है | इससे निर्णय लेने में देरी तो होती ही है , साथ में समय का भी बहुत निकसान होता है | इस लिए मानव को अपनी सोच सही और तर्क संगत रखनी चाहिए | मन में डर नहीं होना चाहिए |
 निर्णय में देरी का मतलब - अपने आप पार विश्वास का ना होना , वैज्ञानिक दृष्टिकोण का आभाव और  डर है | मानव को सबसे पहेली अपनी सोच को वैज्ञानिक और विश्लेषण युक्त बनाना चाहिए | मन में भरे डर को दूर करना चाहिए जो कि सही सोच से ही संभव है | यदि आपकी सोच सही और आप डर से मिक्त होगें तो आपका अपने ऊपर विश्वास बढेगा | ये विश्वास ही आपके निर्णय लेने कि क्षमता को बढ़ाएगा |
मानव को अपनी सोच ओ वैज्ञानिक और विश्लेषण युक्त बनानें के लिए मानवधिकारो को ध्यान में रखते हुए , समाजिक क्रिया-कलापों का अध्ययन करना चाहिए | क्योकि समाज में बहुत सारी बुराइयाँ है जो कि तर्क संगत भी लगाती है परन्तु पूरी तरह से असंगत और मानवाधिकारों कि कव्र पार बनी होती है | मानव की इस तरह ही बुराइयों से बचाते हुए , समाज का समुचित अध्ययन कारण चाहिए | मानव जीवन में शक्षा का सही स्रोत हमारी प्रकृति है | यदि मानव प्रकृति के नियमों को समझते हुए समाज का अध्ययन करे तो उसका विचार पूरी तरह से वैज्ञानिक ही होगा | क्योकि प्रकृति में कोई भी चीज बेकार की नहीं है | हर किसी का कोई ना कोई महत्त्व  है | मानव को जरोरत है इन सभी के कार्यों और इनकी उपयोगिता को पहचनाने की | अतः मानव को सिर्फ और सिर्फ प्रकृति से ही शिक्षा लेनी चाहिए| प्रकृति ही हमारा गुरु है|
 यदि मानव प्रकृति के नियमों को समझ जाए , तो उसके मन का डर अपने आप ही दूर हो जायेगा| इस डर क्र दूर होने का मतलब है - सही समय पार सही निर्णय का आना| सही समय पार सहीं निर्णय ही मानव उन्नति का एक मात्र मार्ग है|
रजनीकान्त इन्द्रा 
इन्जिनीरिंग छात्र, एन.आई.टी-ए 
(जनवरी २३, २०११)

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