Monday, July 25, 2016

दलितों पर बढ़ता अत्याचार व इसका निदान


हमारे प्यारे देशवासियों, 
आज़ादी के दशकों बीत जाने के बाद भी, भारत की सरजमीं पर जातिवादी हिंसा व हत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है। दिन-प्रतिदिन दलितों पर हो रहा शारीरिक और मानसिक जुल्म व अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है। मनुवादी ब्राह्मणी सवर्णों के अत्याचार और जुल्म से सारा भारत जल रहा है। भारत की जमीं धधक रही है , सारा आसमान जल रहा है। भारत की सरजमीं पर मानवता त्राहि-त्राहि कर रही है। मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी गाँधी और इसके चेले कहते थे कि ह्रदय परिवर्तन करेगें लेकिन कहाँ हुआ हृदय परिवर्तन? दलितों का जख्म आज भी हरा है? दलित समाज आज भी उसी मनुवादी ब्राह्मणी चक्की में उसी तरह पिस रहा है जैसा कि पहले पिस रहा था। भारत महाशक्ति बनना चाहता है लेकिन क्या देश की तक़रीबन २०% आबादी को अपाहिज बनाकर भारत महाशक्ति बन सकता है?
साथियों,
अभी ताजा जारी आंकड़ों के मुताबिक, २०१३-२०१६ के दौरान, भारत में दलितों के प्रति हिंसक वारदातों और बलात्कार की निर्मम निकृष्ट और अमानवीय घटनाओं में बहुत तेज बढ़ोत्तरी हुई है| राष्ट्रिय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक, देश के ६ फीसदी और राजस्थान राज्य की १७ फीसदी आबादी दलित समाज की है, लेकिन राजस्थान राज्य में होने वाले ५२ फीसदी से ६५ फीसदी तक के अपराध दलितों के ही खिलाफ होते है, क्यों ? उत्तर प्रदेश में भी वर्ष २०१३ से २०१५ के दौरान दलितों के उत्पीड़न के मामले ७०७८ से बढ़कर ८९४६ हो गए है, क्यों ? यदि हम बिहार राज्य की तरफ रूख करे तो हम पाते है कि बिहार में भी दलितों के प्रति अत्याचार के मामलों में अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी हुई है। राष्ट्रिय अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि  वर्ष २०१३ से २०१५ के दौरान दलित उत्पीड़न के मामले ६७२१ से बढ़कर ७८९३ हो गए है जो बिहार राज्य में दर्ज कुल केस का ४०-४७% है। गुजरात की तो बात ही मत करों वहां पर हो रहे अत्याचार और भी घिनौने है। 
साथियों,
दलितों के खिलाफ हो रहे हिंसा और शोषण की ये बारदातें भारत के लिए कोई नई बात है। लेकिन इन आकड़ों में गौर करने वाली बात ये है ये सारे वो मामले है जो पुलिस स्टेशन में दर्ज हुए। देश की पुलिस का जो रवैया है उससे हम सब अच्छी तरह से वाकिफ है। दलितों के मामलों में तो पुलिस और भी बेरहम और बेदर्द हो जाती है। दलितों के मामलों में केस वही दर्ज होते है जिनमे हत्या, बलात्कार और अन्य तमाम प्रकार के अत्याचार और अनाचार अपनी पराकाष्ठा को पार कर जाते है। कहने का मतलब यह है कि राष्ट्रिय अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट सिर्फ वो आकड़े ही बता रही है जो पुलिस स्टेशन में दर्ज हुए है। लेकिन उन करोड़ों मामलों का क्या जो पुलिस ने दर्ज ही नहीं किये, मनुवादी राजनेताओ और ब्राह्मणी आतंकवादियों ने दर्ज नही होने दिए, आर्थिक कमजोरी और अज्ञानतावश जो मामले दलित समाज के लोग दर्ज नहीं करवा पाये। हमारे कहने का मतलब  यह हो कि दलितों के प्रति अत्याचार के सरकारी आकड़े जब इतने भयावह है तो हकीकत में हो रहे अत्याचारों की सूची कितनी खौफनाक होगी। आज भारत में, दलितों प्रति शोषण, भारत की परंपरा बन गयी है।  
साथियों,
दलितों के साथ हर पल, हर शै और हर जगह अत्याचार होता है। चाहे वो विद्यालय हो या फिर विश्वविद्यालय हो, सरकारी कार्यालय हो या फिर प्राइवेट जगत की कंपनिया व संस्थाए हो, गाँव हो या फिर शहर। हर जगह दलितों का शोषण हो रहा है। रोहित विमला की हत्या सांस्थानिक हत्या थी जिसमें बीजेपी के मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी जातिवादी मंत्री शामिल थे। रोहित की क्या गलती थी? यही कि  रोहित दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ों की आवाज को उठने का प्रयास कर रहा था। क्या दबे-कुचले शोषित समाज की आवाज उठाना गुनाह है ? क्या अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करना पाप है? क्या समतामूलक समाज के स्थापना की बात करना जुल्म है? लेकिन हमें बहुत अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि यही मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी समाज की कटु सच्चाई है। 
साथियों,
डेल्टा मेघवाल राजस्थान की एक बच्ची थी जिसके साथ मनुवादी ब्राह्मणी दरिंदों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी, उसकी हत्या स्कूल के दायरे में की गई थी इस लिए ये बलात्कार और निर्मम हत्या भी सांस्थानिक बलात्कार और संस्थानिक हत्या का है। गौ-माँस खाने के नाम पर कर्नाटक और अन्य जगहों पर भी दलितों की हत्या व शोषण हो रहा है। दलित समाज की बेबस व लाचार महिलओं व् बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार हो रहा है। राष्ट्रिय अनुसूचित जाति आयोग के आकड़ों के अनुसार भारत में हर रोज दो दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है। यही नही, घोर जातिवादी राज्य हरियाणा में भगाना की चार बहनों के साथ बलात्कार होता है ? इन दिनों में बलात्कारियों के हौसले इतने बुलन्द है कि जिन लड़कियों के साथ बलात्कार किया उन्ही लड़कियों को बयान वापस लेने का दबाव बनाया गया। जब वो लड़कियाँ नहीं मानी तो उन्ही लोगो ने दुबारा बलात्कार किया। आखिर ये शोषण क्यों? सदियों से सताये हुये दलितो को अर्धनग्न अवस्था में गाड़ी से बांधकर लोहे के सरियों से पिटाई की जाती है। ये ज्यादती पुलिस के सामने होती है और पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है। गो-रक्षको व मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी हिन्दू आतंकवादियों के हौसले इतने बुलन्द थे की उन्होंने ही वीडियो बनाया और वायरल कर दिया। 
साथियों, 
बिहार के मुज्जफर नगर के एक दलित महिला मुखिया के पति की निर्मम पिटाई की गयी। उसके बाद उसके पति को पेशाब पिलाया गया। क्या यही इंसानियत है? लेकिन हां दोस्तों यही अत्याचार और अनाचार मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी धर्म और हिन्दू समाज की घिनौनी सच्चाई है। एक घटना में मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी हिन्दू आतंकवादियों द्वारा एक बच्ची को नंगाकर पिटाई की गई। उसके बाद उसके नंगे बदन के ऊपर पैर रखकर खुलेआम मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी हिन्दू आतंकवादियों ने फोटो खिंचवाया और फोटो को इंटरनेट के जरिये वायरल कर दिया गया। साथियों, यही मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी हिन्दू धर्म है। बाराबंकी में रात के वक्त जब सब सो रहे थे उस रात के वक्त कुछ सवर्णों ने दलित परिवार के घर में घुसकर पिटाई की और उसकी पत्नी को नंगा किया और उसकी तस्बीर का प्रिंटआउट निकलकर उसे पूरे गांव में चिपका दिया। लेकिन किसी नेता, मंत्री, स्वघोषित निष्पक्ष जज ने मामले का संज्ञान तक नहीं लिया। इन मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी हिन्दू आतंकवादियों की हिम्मत इतनी बाद गयी कि उन्होंने एक ऐसी महिला के बारे में अपशब्द कहा जिनके शौर्य, प्रशासन क्षमता और सहसपूर्ण निर्णय व मर्दानगी के किस्से मर्दों में बड़े शौक से कहे जाते है, जिसके शासन का पूरा देश लोहा मानता है , जो चार बार भारत के सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश की मुखिया रह चुकी है, जो कई बार राज्यसभा और लोकसभा की सदस्य रह चुकी है, जिन्हें दुनिया  प्यार से आयरन लेडी बहन कुमारी मायावती कहती है। 
साथियों,
दलितों के साथ हो रहे अत्याचार की कोई इंतहा नहीं है। दुनिया के इतिहास के पास भी ऐसा उदाहरण नहीं है जो दलित समाज की बेबसी, लाचारी और तकलीफ की बराबरी कर सके या फिर हमारे दुःख-दर्द और हमारी तकलीफों को बया  कर सके।  
साथियों,
हमारे दुखों का रहस्य, हमारे बेबसी और लाचारी का अंत, हमारे लोगों पर हो रहे अत्याचारों का तोड़ बाबा साहेब के उसी मन्त्र में निहित है जिसमे बाबा साहेब ने कहा है "राजनितिक सत्ता वह मास्टर चाभी है जिससे हम अपने लिए अवसर के सारे दरवाजे खोल सकते है।" मतलब यह है कि हमारे शोषण को ख़त्म करने का आधार - देश की शासन-प्रशासन व्यवस्था व देश के अन्य सभी क्षेत्रों के हर स्तर पर हमारे समुचित प्रनिधित्व, सक्रिय  भागीदारी और जाति व्यवस्था के उन्मूलन में निहित है। हमें देश के शासन, प्रशासन, संसद, कार्यपालिका, न्यायपालिका, विश्वविद्यालय, उद्योगालय, मीडिया, सिविल सोसाइटी और अन्य सभी क्षेत्रों में अपनी समुचित स्वप्रतिनिधित्व और सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना ही होगा। 
साथियों,
हम पूरी दृढ़ता से इस बात को एक बार फिर से दोहराते कहते है कि हमारी हर समस्या का समाधान व निदान सिर्फ और सिर्फ देश के हर क्षेत्र के हर स्तर पर समुचित स्वप्रतिनिधित्व और सक्रिय भागीदारी और जाति के उन्मूलन में ही निहित है जिसे आज़ादी इतने साल बाद भी इस देश की मनुवादी वैदिक ब्राह्मणी सरकार लागू नहीं कर पायी है। इसलिये देश के हर क्षेत्र के हर स्तर पर अपने समुचित स्वप्रतिनिधित्व और सक्रिय भागीदारी को लागू करवाने के लिए हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। इसी में हमारी, हमारे समाज की और हमारे लोगों की आज़ादी निहित है। 
साथियों,
जब हमारे लोग देश के हर क्षेत्र के हर स्तर पर होगें तभी, हमारे अधिकार, हमारे समाज का स्वाभिमान, हमारे लोगों और हमारे समाज की मातृ शक्ति का सम्मान सुरक्षित होगा। हमारे समाज को स्वाभिमान कोई गैर नहीं दे सकता है, हमारे अधिकारों की रक्षा कोई गैर नहीं कर सकता है, हमारे लोगों का सम्मान कोई गैर नहीं लौट सकता है, हमारा समुचित प्रनिधित्व कोई और नहीं कर सकता है। ये सब हम सब को मिलकर ही करना है। हम सब को ही अपने सम्मान, स्वाभिमान और मूलभूत मानवाधिकार के लिए लड़ना होगा। हमें अपना प्रतिनिधित्व खुद करना होगा। ये लड़ाई हमारी है, इसलिए इस लड़ाई में अगुवाई भी हमें ही करनी होगी। ये महायुद्ध हमारा है इसलिए इस महायुद्ध का महासेनापति हमें ही बनना होगा।
जय भीम, जय भारत!!! 

रजनीकान्त इन्द्र 
सितम्बर २५, २०१६ 

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