Thursday, September 10, 2015

दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश-राष्ट्रकूट

01.  राष्ट्रकूट राजवंश का संस्थापक दन्तिदुर्ग था।
02.  इनकी राजधानी मनकिर या मान्यखेत (वर्तमान मालखेड़,शोलापुर के निकट) थी।
03.  राष्ट्रकूट वंश के प्रमुख शासक थे---कृष्ण प्रथम,ध्रुव,गोविन्द तृतीय, अमोघवर्ष, कृष्ण द्वितीय,इ न्द्र तृतीय एवम् कृष्ण तृतीय ।
04.  एलोरा के प्रशिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण कृष्ण प्रथम ने करवाया था ।
05.  ध्रुव राष्ट्रकूट वंश का पहला शासक था,जिसने कन्नौज पर अधिकार करने हेतु त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया और प्रतिहार नरेश वत्सराज एवम् पाल नरेश धर्मपाल को पराजित किया ।
06.  ध्रुव को 'धारावर्ष' भी कहा जाता है ।
07.  अमोघवर्ष जैनधर्म का अनुयायी था। इसने कन्नड़ में कविराजमार्ग की रचना की ।
08.  आदिपुराण के रचनाकार---जिनसेन ।
09.  गणितासार संग्रह के लेखक---महावीराचार्य ।
10.  अमोघवृति के लेखक ---सक्तायना ।
11.  जिनसेन, महावीराचार्य एवम् सक्तायान अमोघवर्ष के दरबार में रहते थे ।
12.  इन्द्र तृतीय के शासनकाल में अरब निवासी अलमसूदि भारत आया ,इसने तत्कालीन राष्ट्रकूट शासकों को भारत का सर्वश्रेष्ठ शासक कहा ।
13.  राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक कृष्ण तृतीय था ।इसी के दरबार के कन्नड़ भाषा के कवि पोन्न रहते थे जिन्होंने शान्तिपुराण की रचना की ।
14.  एलोरा एवम् एलिफेंटा (महाराष्ट्र) गुहामन्दिरों का निर्माण राष्ट्रकूटों के समय ही हुआ ।
15.  एलोरा में 34 शैलकृत गुफ़ाएँ है ।इनमें 1 से 12 तक बौद्धों ,13 से 29 तक हिन्दुओं एवम् 30 से 34 तक जैन गुफ़ाएँ है ।
16.  राष्ट्रकूट शैव ,वैष्णव ,शाक्त सम्प्रदायों के साथ-साथ जैन धर्म के भी उपासक थे ।
17.  राष्ट्रकूटों ने अपने राज्यों में मुसलमान व्यापारियों को बसने तथा इस्लाम के प्रचार की स्वीकृति दी थी ।

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