दिनांक
- अक्टूबर १८, २०१७
प्रिय बहुजन साथियों,
आज "देशहित"
एक जुमला बनकर रह गया है! आज "देशहित" जैसे शब्दों का कोई मायने नही रह गया
है! "देशहित" शब्द ठगों का औज़ार बन गया है! "देशहित" वह फेकू
जुमला है जिसके सामने देश की ज़रूरी जरूरतें खुद-ब-खुद सिसक-सिसक कर दम तोड़ रही है,
"देशहित" के नाम पर संविधान को ताख पर रखकर मनुवाद की सत्ता स्थापित की जा
रही है, सम्प्रदायिकता व जातिवाद को और मजबूत किया जा रहा है, लोकतंत्र को तानाशाही
में तब्दील करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है, मनवाधिकारों का हनन और मानव की हत्या की जा रही है! ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि या तो जनता
"देशहित" का नाम सुनकर देशवासियों के मुद्दे भूल जाती है या फिर देशद्रोही
ना घोषित कर दिये जाए इसलिए ख़ामोश रहती है, लेकिन जनता को याद रखना चाहिए कि
"देशहित" नामक फेकू जुमला ही देश के सबसे बड़े देशद्रोहियों का सबसे बड़ा
हथियार है! उंचे स्वर और लम्बी तान मे देश व देशहित का गान करने वाला ही सबसे बड़ा
देशद्रोही है, उदाहारार्थ - ब्रहम्णी बीजेपी और ब्रहम्णों का गुलाम फेकू (नरेन्द्र
दामोदर मोदी)!
धन्यवाद...
जय भीम...
जय भीम...
आपका अपना
रजनीकान्त इन्द्रा
फाउंडर एलीफ
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