दिनांक - अक्टूबर ११, २०१७
प्रिय
बहुजन साथियों,
इतिहास
में चाणक्य नाम का कोई किरदार था ही नहीं! चाणक्य सिर्फ ब्रहम्णों द्वारा लिखे महिमामन्डित
कहानियों के सिवा कहीं नहीं मिलता है! हॉ, सम्राट अशोक के समय में "चपड़"
नाम के विद्वान का उल्लेख सम्राट अशोक के ब्रहमगिरि, जटिंग-रामेश्वरम शिलालेखों मे
जरूर मिलता है (प्रो राजेन्द्र प्रसाद सिंह वी के एस विश्वविद्यालय सासाराम बिहार)!
चाणक्य एक काल्पनिक पात्र है जिसे ब्रहम्णों ने हमारी बुद्ध-अशोक की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक
विरासत को मिटाने के लिए गढ़ा था जबकि महान बौद्धिष्ट
विद्वान "चपड़" का जिक्र हमारे दैनिक जीवन की कहावतों में बहुत ही आम है,
सहज हैं! उदाहारार्थ -समाज में जब कोई बिना जरूरत के अपनी विद्वता दिखाता है, अनावश्यक
रूप से बीच-बीच में ज्यादा बोलता है तो लोग कहते हैं - "ज्यादा चपड़-चपड़ ना करो"!
इस कहावत का "चपड़-चपड" कोई और नहीं बल्कि सम्राट अशोक के शिलालेखों में
दर्ज महान बौद्ध विद्वान "चपड़" ही हैं! ब्रहम्णों ने पुस्तकालयों को जला
डाला, विद्वानों को सूली पर चढ़ा दिया, बौद्ध विहारों को मंदिरों में बदल डाला लेकिन
बहुजनों की बौद्ध संस्कृति को मिटा ना सके! ऊपर लिखी सांस्कृतिक व लोगों के जहन में
रची-बसी कहावत, सम्राट अशोक के शिलालेखों में दर्ज महान बौद्ध विद्वान "चपड़"
का जिक्र, और चाणक्य का 'ऐतिहासिक शोधों व पुरातत्व के सबूत संग्रह से नदारद होना'
निःसन्देह यह साबित करता हैं कि ब्रहम्णों ने ब्रहम्णी चाल के तहत महान विद्वान
"चपड़" को मिटाने के इरादें से अपने ब्रहम्णी षडयंत्रों द्वारा बौद्ध दस्तावेजों
को मिटाकर चाणक्य नामक काल्पनिक विद्वान का उसी तरह सृजन किया जैसे कि इन्हीं ब्रहम्णों
ने अपने काल्पनिक भगवानों का सृजन किया है!
धन्यवाद...
जय भीम.....
जय भीम.....
आपका अपना
रजनीकान्त इन्द्रा
फाउंडर एलीफ
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