दिनांक
- अक्टूबर २९, २०१७
प्रिय
मूलनिवासी बहुजन साथियों,
ज्ञान,
कला और शिक्षा तीनों अलग-अलग हैं लेकिन सरकार तीनों को एक ही डंडे से हाक रही है! सरकार
की शिक्षा नीति कभी शिक्षा के लिए बनी ही नहीं,यही कारण है कि आज तक सरकार ने शिक्षा
के नाम पर सिर्फ और सिर्फ सूचना व कौसल विकास को बढ़ावा देती आ रही है! किसी
चीज या मुद्दे के बारे सूचना/जानकारी होना ग्यान है, किसी चीज के बारे में प्रयोात्मकरूप
से निपुण होना कला है, और इन सबका नैतिकता पूर्वक समाजहित में इस्तेमाल किया जाना शिक्षा
है! सरकार
में बैठे लोगों सूचना व कौसल विकास को ही शिक्षा समझते आ रहे हैं! यही कारण है कि भारत
ने ग्यान व कला के क्षेत्र में भले ही आगे बढ़ गया हो लेकिन शिक्षा मे फिसड्डी हो गया
है!
खुद को खोने वाले ही दुनिया के दिलों में जिन्दा रहते
हैं! ज्ञान से इन्सान ग्यानी बनता है, और शिक्षा से महान! ज्ञानी और शिक्षा में
अन्तर है! डॉ कलाम ग्यानी थे, जबकि मान्यवर काशीराम साहेब ग्यानी व शिक्षित, दोनों
थे! ज्ञानी तो बहुत मिल जायेंगे, लेकिन शिक्षित विरले ही है! जो शिक्षित है, वही महान
है!
आपका अपना
रजनीकान्त इन्द्रा
फाउंडर एलीफ
No comments:
Post a Comment