०४ जनवरी
१९४५ के दिन कलकत्ता में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के अंग्रेजी साप्ताहिक मुख्य पत्र
पीपल हेराल्ड का प्रकाशन बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर के ही हाथों हुआ। इस अवसर पर बाबा
साहेब ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि -
"हमारे
देश में स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व इन सिद्धांतों की स्थापना के अस्पृश्य समाज का
पक्ष ही असली जंग लड़ रहा हैं।"[1]
बाबा
साहेब की ये आज भी उतनी ही सत्य हैं जितनी कि तब थी। आज भी भारत में अपने साथ हुए अन्याय
अत्याचार को भूलकर समतामूलक समाज के निर्माण के लिए यदि कोई जद्दोजहद कर रहा हैं तो
वह देश का दलित (अस्पृश्य) समाज ही हैं।
अब महत्वपूर्ण
सवाल ये बनता हैं कि बहुजन समाज की अन्य जातियां किस दम्भ में चूर हैं जो भारत राष्ट्रनिर्माण
के लिए दलितों का साथ देने से कतरा रहीं हैं? जबाव शायद आपका भी यहीं हैं कि अन्य जातियाँ
दलितों (अस्पृश्यों) से उतनी ही घृणा करती हैं या उससे भी ज्यादा जितना कि ब्राह्मण-सवर्ण
करता हैं।
फिलहाल
बहुजन समाज के गैर-दलित तबके को दलितों के साथ कंधे से कन्धा मिलकर बहुजन समाज को इकठ्ठा
करने में दलितों की मदद करनी चाहिए। जिससे
कि हम सब बहुजन (पिछड़े, दलित, आदिवासी एवं धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक समुदाय) समाज
के लोग मिलकर आने वाले निकट भविष्य में संविधान सम्मत भारत का बुद्ध-अशोक-रैदास-अम्बेडकर-काशीराम का भारत
बना सकें।
रजनीकान्त इन्द्रा (Rajani Kant Indra)
एमएएच, इग्नू-नई दिल्ली
संदर्भ –
[1]
अम्बेडकर, बी आर, बाबा साहेब डॉ आंबेडकर सम्पूर्ण वांड्मय (२०१९), खण्ड-३९, भाग-२,
डॉ आंबेडकर प्रतिष्ठान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली,
पृष्ठ संख्या-४२३
No comments:
Post a Comment