Saturday, June 12, 2021

बसपा-शिअद गठबंधन तय करेगा पंजाब की सियासत

भारत की तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी बहुजन समाज पार्टी और पंजाब के क्षेत्रीय दलों की सबसे बड़ी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने आपसी समझौते के तहत 2022 में होने वाले चुनावों में गठबंधन कर भाग लेने का निर्णय लिया है। बसपा दल के साथ समझौते के बजाय जन के साथ समझौता करने को हमेशा प्राथमिकता देती है। इसलिए बसपा का किसी भी दल के साथ प्री पोल एलायंस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है।

हालांकि यह भी सच है कि देशहित व जनहित में, खासकर देश के वंचित जगत किसानों पिछड़ों आदिवासियों और अल्पसंख्यकों की समस्याओं के मद्देनजर, जब-जब जरूरत महसूस हुई है बसपा ने गैर-बराबरी की संस्कृति के पोषक राजनैतिक दलों के अत्याचारों से देश को बचाने के लिए गठबंधन भी किया है।

पंजाब की कांग्रेस सरकार तथा केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा पंजाब के किसानों पर हुए अत्याचार के मद्देनजर ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

यह गठबंधन इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है कि शिरोमणि अकाली दल सिखों की अपनी एक पार्टी है और सिख भारत के अल्पसंख्यकों में शामिल हैं। कहने का मतलब यह है कि बहुजन समाज पार्टी अपने दल में अकलियत समाज को व उनके हितों को प्राथमिकता देती है और "बहुजन" शब्द के दायरे में सिखों समेत पूरा अल्पसंख्यक समुदाय शामिल है। इसलिए यह गठबंधन सैद्धांतिक नजरिए से भी बेहतरीन कदम है।

यह गठबंधन पंजाब में कांग्रेस, भाजपा और वहां पर अपनी पकड़ बनाने की जद्दोजहद कर रही आम आदमी पार्टी के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गठबंधन यदि सफल रहा तो आने वाले समय में पंजाब से कांग्रेस, भाजपा व नई नवेली पार्टियों को लम्बे समय तक के लिए पंजाब से बाहर कर सकती है।

सामान्य तौर पर पंजाब का अपर क्लास व कास्ट, मिडिल क्लास व वंचित जगत के लोग ही कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के वोटर रहे हैं। पंजाब में वंचित जगत की आबादी लगभग एक तिहाई है, ऐसे में बहुजन समाज पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन से पंजाब में एक नया राजनीतिक समीकरण तय होने की पूरी संभावना है।

यह गठबंधन जहां एक तरफ पंजाब की बहुतायत आबादी को एक सूत्र में बांधकर पंजाब की उन्नति में गति देने का काम करेगी, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर भाजपा और आम आदमी पार्टी को किनारे भी लगा सकती हैं।

इस गठबंधन के औपचारिक घोषणा के बाद भारत के तीसरे सबसे बड़ी पार्टी बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष व राष्ट्रीय नेता परम आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी ने पंजाब तथा देश के नाम लिखे अपने ट्विटर संदेश में खुशी जाहिर करते हुए इस गठबंधन को पंजाब के लिए एक नए युग की शुरुआत बताते हुए कहते हैं कि "पंजाब में आज शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी द्वारा घोषित गठबंधन यह एक नया राजनीतिक व सामाजिक पहल है, जो निश्चय ही यहाँ राज्य में जनता के बहु-प्रतीक्षित विकास, प्रगति व खुशहाली के नए युग की शुरूआत करेगा। इस ऐतिहासिक कदम के लिए लोगों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।"

पंजाब में व्याप्त भ्रष्टाचार, किसानों व वंचितों पर हो रहे अत्याचार व बेरोजगारी की तरफ ध्यान दिलाते हुए परम आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी कहती हैं कि "वैसे तो पंजाब में समाज का हर तबक़ा कांग्रेस पार्टी के शासन में यहाँ व्याप्त गरीबी, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी आदि से जूझ रहा है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार दलितों, किसानों, युवाओं व महिलाओं आदि पर पड़ रही है, जिससे मुक्ति पाने के लिए अपने इस गटबन्धन को कामयाब बनाना बहुत जरूरी।"

पंजाब के बदलते राजनीतिक व सामाजिक समीकरण के मद्देनजर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्षा परम आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी पंजाब के लोगों से अपील करते हुए कहती हैं कि "पंजाब की समस्त जनता से पुरज़ोर अपील है कि वे अकाली दल व बी.एस.पी. के बीच आज हुये इस ऐतिहासिक गठबन्धन को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए यहाँ सन् 2022 के प्रारम्भ में ही होने वाले विधानसभा आमचुनाव में इस गठबन्धन की सरकार बनवाने में पूरे जी-जान से अभी से ही जुट जाएं।"

फिलहाल, सोशल मीडिया, टेलीविजन चैननों व लोगों के बीच यह ऐतिहासिक गठबंधन चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। इस ऐतिहासिक गठबंधन के संदर्भ में सुप्रसिद्ध राजनैतिक विश्लेषक प्रोफेसर विवेक कुमार कहते हैं कि "1996 के बाद पंजाब में बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन शिरोमणि अकाली दल से फिर हुआ। यह गठबंधन इस लिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह प्री पोल अलाइंस है, पोस्ट पोल अलाइंस नहीं। ये बात और है की आज से 25 वर्ष पहले मान्यवर कांशीराम जी के अगुवाई में लोक सभा के चनावों में यह प्री पोल अलाइंस हुआ था और अब बहनजी के नेतृत्व में यह प्री पोल अलाइंस विधान सभा के चुनावो के लिए हो रहा है।"

हमारे बहुजन समाज का युवा अक्सर बसपा की राजनीति को समझने के बजाय अक्सर लोगों द्वारा गुमराह कर दिया जाता है। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि राजनीति की समझ को विकसित कर रहा युवा अभी फ्री पोल और पोस्ट पोल अलाइंस के फर्क को बारीकी से समझ नहीं पाता है। यही वजह है कि प्रोफेसर विवेक कुमार देश के युवाओं एवं खासकर बहुजन युवाओं को सचेत करते हुए कहते हैं कि "बहुजनो को प्री पोल अलाइंस और  पोस्ट पोल अलाइंस में अंतर अवश्य ही समझना चाहिए क्योंकि आज तक बसपा ने प्री पोल अलाइंस कुछ ही दलों से किया है - जैसे कांग्रेस, सपा, एसएडी, INLD, JDS आदि।"

बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने पंजाब पहुंचकर शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व के साथ मिलकर इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा की। इसके पश्चात बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने अपने मोबाइल फोन से शिरोमणि अकाली दल प्रमुख श्री प्रकाश सिंह बादल की परम आदरणीया बहन जी से बात करवाई। बातचीत के दौरान भारत महानायिका परम आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी ने और श्री प्रकाश सिंह बादल ने एक दूसरे का कुशल-मंगल पूछा, स्वास्थ्य पर चर्चा की और बदलते पंजाब की जरूरत के मुताबिक नए सामाजिक व राजनैतिक समीकरण को तय करने के लिए एक दूसरे को बधाई दी।

पंजाब में हुआ बसपा-शिअद गठबंधन आने वाले समय में जहां पंजाब की सियासत के समीकरण तय करते हुए पंजाब की जनता को पंजाब की बेहतरीन तकदीर लिखने का मौका दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में उत्तर प्रदेश के युवाओं में एक नया जोश एवं उमंग भरने का काम करेगा।

इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि पंजाब का विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणामस्वरूप यदि पंजाब और उत्तर प्रदेश में सरकारें बनती है तो इसका सीधा फायदा 2023 में होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।

रजनीकान्त इन्द्रा

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