मनुवाद-नाजीवाद के कहर
में १४ अप्रैल कैसे मनायें?
सर्वविदित हैं कि भारत में पिछले लगभग सात
सालों से देश में मनुविधान के तहत नाज़ीवाद-फांसीवाद कायम हैं। इस दौरान
संविधान और लोकतान्त्रिक मूल्यों को पूरी तरह से नाकर दिया गया हैं। संविधान की
प्रस्तावना से "समाजवाद" जैसे शब्द को हटाने के लिए राज्यसभा में
आरएसएस संघी राकेश सिन्हा द्वारा मोशन मूव किया जा चुका हैं।
कोरोना आपातकाल में शासन-प्रशासन और पुलिस के साथ
मनुवादियों का अमानवीय, असंवेदनशील और क्रूरतापूर्ण रवैया बहुजनों को
कोरोना से पहले ही दफ़न कर रहा हैं। मनुवादी-नाजीवादी सरकार के मनु-नीतियों और
नाज़ी फरमान के परिणामस्वरूप अब तक तीस से ऊपर बहुजनों की जान जा चुकी
हैं।
ऐसे में अम्बेडकर माह (अप्रैल) भी
शुरू हो चुका हैं। न्याय-समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व-करुणा के
सन्देश का वाहक विश्व मानव समाज का अम्बेडकर महापर्व (१४
अप्रैल) नज़दीक हैं।
इस समय देश की हालत बहुत नाजुक हैं। देश का
संविधान और लोकतान्त्रिक मूल्य आईसीयू में पहुँच चुका हैं। बहुजन समाज के लिए
इस आपातकाल में अम्बेडकर महापर्व को मनाने में एहतियात
बरतने की सख्त जरूरत हैं। इस बार आप लोग सोशल गैदरिंग से बचें। सोशल मिडिया
पर ऐसी पोस्ट करने बचें जिसकों आधार बनाकर मनुवादी लोग मनुवादी
शासन-प्रशासन-पुलिस के माध्यम से आपको परशान कर सकें। सेमिनार,
भाषण, मंच, नाट्य आयोजन आदि से बचें। ऐसा कोई कार्य ना कीजिये जिससे कि आपको, आपके
परिवार को और बहुजन समाज को कोई क्षति हो।
आप सब को याद रखना चाहिए कि महामारी कोई भी उसका
शिकार देश का वंचित जगत ही बनता हैं। लोग कहते हैं कि महामारी जाति देखकर प्रहार
नहीं करती हैं। ये वक्तव्य सुनने में जरूर कर्ण-प्रिय लगती हैं लेकिन हकीकत
में ये बात पूरी तरह से गलत हैं। सामाजिक संरचना के उच्च पायदान पर बैठे लोगों द्वारा
अपने हित मात्र में ऐसे अफवाह फैलाई जाती हैं कि महामारी जाति देखकर प्रहार
नहीं करती हैं।
आप खुद विश्लेषण कीजिये इस कोरोना महामारी के
दौरान सबसे ज्यादा प्रताड़ित समाज कोई और नहीं बल्कि अपना बहुजन समाज ही हैं। आप
पड़ताल कीजिये कि इस महामारी में कितनेब्राह्मण-सवर्ण मारे गए
हैं? बड़े-बड़े शहरों से अपने गांव लौटने वाले, उनमे से रिश्ते में
दम तोड़ने वाले कौन लोग हैं? किस समाज के हैं? ऐसे में महामारी कोई भी हो,
मनुवादी सरकारी नीतियाँ बहुजन समाज के खिलाफ ही होती हैं। ऐसी महामारी की मार
भी बहुजन समाज पर ही पड़ती हैं।
यदि इस समय बहुजन समाज का कोई भी बुद्धिजीवी
विश्लेषण करे और लोगों को इस तथ्य से अवगत कराये तो मनुवादी सरकारी मशीनरी और समाज
के लोग उसे देश्द्रोही और मानवता और समाज का दुश्मन करार कर ज़िंदा दफ़न कर देगें।
इस समय खुद बहुजन समाज के लोग भी साथ देने को सामने नहीं आयेगें। ऐसे में ऐसे
मुद्दों पर शांतिपूर्वक अध्ययन कर उसको लिपिबद्ध करना ज्यादा अहम् होता हैं। आपके
साथ इस महामारी में घटित हो रहीं हर घटना एक अहम् दस्तावेज के रूम में सुरक्षित
रखना अति आवश्यक हैं।
इस समय सारी अदालते बंद हैं। यदि मनुवादियों की
शिकायत पर प्रशासन ने आपको गिरफ्तार कर लिया तो आपको जमानत भी नहीं मिलेगी। नतीजा,
आप परेशान होगें, आपका परिवार परेशान होगा, और विश्व मानवता का
वाहक बहुजन समाज परेशान होगा। याद रहें मनुवादी ताकतें, आपको परशान
करने को प्रतिबद्ध हैं। ऐसे में आपकी सुरक्षा आपके हाथ में हैं।
ऐसे में सभी मानवताप्रिय लोगों से
अपील हैं कि आप सब न्याय-समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व-करुणा के
संदेशवाहक आंबेडकर महापर्व को अपने घरों पर तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन और
मिठाईयां बनाये-खायें, परिवार के साथ घर के अंदर बुद्ध वंदना, त्रिशरण, पञ्चशील,
२२ प्रतिज्ञा करते हुए अपने परिवार को बहुजन महानायकों के जीवन संघर्ष से अवगत
करायें। कोरोना महामारी सम्बन्धी बहन जी के आदेश (हैण्ड
वाशिंग, फिजिकल डिस्टैन्सिंग आदि) का पूर्ण पालन करते हुए इस
दौर-ए-मुशीबत में आप लोग अम्बेडकर महापर्व को घर-घर मनाते हुए न्याय-समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व-करुणा के
सन्देश दुनिया को प्रकाशित कर संवैधानिक-लोकतान्त्रिक मूल्यों को पुनः स्थापित
कर नए भारत का सृजन करें।
रजनीकान्त इन्द्रा,
एलीफ (A-LEF)
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