कहा जाता है कि इस दुनिया में मानव का दो बार नया जन्म होता है - पहेली बार जब वह माँ के गर्भ से बाहर की दुनिया में आता है , दूसरा जब मानव अपना गृहस्थ जीवन शुरू करता है | गृहस्थ जीवन के पहेले तो मानव कि देख-रेख और उसका ख्याल पूरी तरह से माता - पिता रखते है | इसी तरह गृहस्थ जीवन में मानव अपने जीवन साथी के साथ अपनी जिम्मेदारी खुद सभालाता है | गृहस्थ जीवन कि शुरुआत शादी जैसे पवित्र बंधन से शुरू होती है | आज का मानव शादी के रिश्ते कि अहमियत को भूलता जा रहा है |
शादी वह पवित्र बंधन है जो सिर्फ और सिर्फ विश्वास और प्रेम पर टिका होता है | ऐसा कहा जाता है कि इसी रिश्ते में एक लड़की अपना घर , माता-पिता,भाई-बहन को छोड़ कर आप के पास आती है , लेकिन मेरे ख्याल से यदि देखा जाए तो वह कुछ भी छोड़ कर नहीं आती है क्योकि इस दुनिया में कोई भी कार्य घाटे का नहीं हो सकता है | पति - पत्नी का रिश्ता ही एक ऐसा रिश्ता है जो समय-समय पर जरूरत के अनुसार अपने रूप बदलता रहता है | एक आदमी के लिए पत्नी ही एक ऐसी दोस्त है जो समय-समय पर आपके लिए नए-नए रूप धारण करती है | इसी तरह एक औरत के लिए पति है एक ऐसा दोस्त है जो समयानुसार अपने रूप बदल कर कई रिश्तों को सार्थक करता है |
उदहारण स्वरुप -
जब कोई बच्चा छोटा होता है तो उसकी देख-भाल माता जी करती है लेकिन जब वही बच्चा बड़ा हो जाता है तो अक्सर उसकी पूरी देख-भाल पत्नी करती है | मेरे कहने का मतलब यह है कि जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो जो काम बच्चे के माता जी करती थी , आज वही काम पत्नी आपके लिए कर रही है | यह संसार कुछ भी हो जाए लेकिन सदा कर्म प्रधान ही रहेगा | यदि अब हम माँ के कर्म को ( देख-भाल ) को पत्नी के कर्म से जोड़े तो , हम पाते है कि पत्नी आपके लिए माँ का रूप है , मतलब कि पत्नी का रिश्ता माँ के रिश्ते को भी समाहित किये हुए है |
जो समय बचपन में हम भाई-बहन के साथ बिताते थे , आज वही हम पत्नी के साथ बिता रहे है | यहाँ भी एक समानता है - पत्नी का रिश्ता अपने आप में भाई-बहन के प्यार को भी जोड़े हुए है |
जब हमे अपने पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए काम-योग का प्रयोग करना पड़ता है तो पत्नी ही साथ देती है |
पत्नी ही पति कि सबसे अच्छी दोस्त होती है जो पति के हर सुख-दुःख में साथ देती है इसी लिए पत्नी को जीवन साथी भी कहा जाता है |
यदि हम देखे तो पाते है कि पत्नी का ही एक ऐसा रिश्ता है जो संसार का हर रिश्ता अपने आप में समाहित किये हुए है | इसी तरह पति भी पत्नी के लिए समय के अनुसार विभिन्न रूप में सामने आता है |
पति , पत्नी के लिए खाने-पीने और पालन पोषण कि सामग्री जुटता है जो कि एक पिता का कार्य है , इस तरह से इस समय पति , पत्नी के लिए एक पिता कि भूमिका निभाता है |
कठिन समय में पति पत्नी कि देख- भाल उसी तरह से करता है जैसा कि एक माँ अपने बेटी के लिए करती है , तो यहाँ उस पत्नी के लिए उसका पति ही माँ है |
दोनों एक दूसरे के दोस्त तो है ही - इसी कारण ये एक-दूसरे के जीवन साथी कहलाते है |
जो समय बचपन में पति-पत्नी अपने-अपने भाई-बहन के साथ बिताते थे , आज वही हम पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ बिता रहे है | इस तरह से पति-पत्नी आपस में भाई बहन के प्यार को भी जिन्दा रखते है |
इस प्रकार से हम कह सकते है कि लड़की शादी के बाद वास्तव में जो कुछ छोड़ कर आती है वह सिर्फ कुछ यादे ही होती है , बाकी उसे अपने पति में हर रिश्ता ( माता-पिता , भाई-बहन , दोस्त या सहेली ) मिल जाता है , और इन सब के साथ जीवन भर साथ निभाने वाले जीवन साथी का रिश्ता तो वोनस है |
लेकिन आज तो लोग शादी जैसे पवित्र रिश्ते कि अहमियत को पूरी तरह भूल कर एक मशीन कि तरह जीवन बिता रहे है | शादी जैसे पवित्र रिश्ते को लोग सेक्स का मात्र एक वैधानिक जरिया मानते है | पत्नी में छुपे माता-पिता , भाई - बहन , बेटी और दोस्त के रिश्तो को याद ही नहीं रख पाते है | आज कि पीढ़ी सेक्स तो मौज मस्ती का साधन मात्र मानती है जबकि सेक्स अपनी पीठी या फिर मानव जाति को आगे बढ़ाने का एक कुदरती क्रिया मात्र है | शादी में समाहित रिश्तों को नजर अंदाज करने के कारण ही आये दिन तलाक जैसे शब्दों से मानव का सामना होता रहता है| शादी और सेक्स का सही ज्ञान ना होने के कारण ही आज कोई भी ना तो रिश्तों को है और ना रिश्तों की | जीवन को जानने और समझाने के लिए हमें प्रेम और विशवास रिश्तों और सेक्स के अहेमियत और उनके मतलब समझाने होंगे | भारतीय उच्चतम न्यायाल ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि विवाह सिर्फ यौन संतुष्टि का जरिया मात्र नहीं है। यह एक पवित्र बंधन है और इसकी सामाजिक प्रासंगिता है । यदि जीवन को समझना और जानना है तो प्रेम , विश्वास , सेक्स और रिश्तो के अहमियत और उनकी प्रशंगिकता को समझो और जानो | यदि आप इन सब को जान गए तो आप का जीवन अपने आप खुशियों से भर जायेगा |
याद रहे ...
पति-पत्नी ( प्रेम ) का ही एक ऐसा रिश्ता है जो हर रिश्ते को अपने में समाहित किये हुए है |
रजनीकान्त इन्द्रा
इन्जिनीरिंग छात्र, एन.आई.टी-ए
(मार्च ३१, २०१०)
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