आज
कल किसी लड़की - लडके या फिर किसी भी उम्र के इंसान द्वारा की गयी आत्महत्या की खबरे
अखबारों में मिल ही जाति है | इसी तरह आज ( मार्च २७ , २०१० ) हम जब अकबरपुर से सुलतानपुर
के लिए जा रहे थे , तो महारुआ में एक शादी - शुदा लड़की के आत्महत्या की खबर
सुनी | सड़क पर खूब भीड़ - भाड़ थी | लोग तरह - तरह की बातें कर रहे थे | उत्तर-प्रदेश
पुलिस अपना काम कर रही थी , वही जो आजतक करती आयी है , फाइल बना कर दफ़न कर देना |
मेरे साथ बस में सफ़र कर यात्री भी उस मासूम लड़की के बारे में तरह - तरह की बाते चटकारे
ले कर कर रहे थे |
लोग तरह - तरह की बातें करके लड़की को कोस
रहे थे | कुछ लोग कह रहे थे कि उस लड़की ने आत्महत्या करके माँ बाप और घर वालों को
रोने के लिए छोड़ दिया | इसी तरह तमाम तरह कि बातें कर रहे थे | सबसे खास बात है
कि बस में सफ़र कर रही औरतें भी उस लड़की को कोस रही थी |
हम बस में बैठे सभी लोगों कि बाते बडें ही
ध्यान से सुन रहे थे | कोई भी उस लड़की के आत्महत्या करने के कारण के बारे में
नहीं सोच रहा था | हमारे ख्याल से कोई ना कोई तो कारण रहा ही होगा | आखिर कोई इतनी
आसानी से आत्महत्या तो नहीं करता है | क्यों कोई कुदरत के दिए इस जीवन को
इतनी आसानी से ख़त्म कारण चाहता है ? हमारी पुलिस भी इस तरह के मामलों को बड़ी ही
आसानी से निपटती है , ऐसे कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो | घर वाले , आस-पड़ोस के लोग
उस मासूम को कोस कर अपनी भड़ास निकल लेते है | सबसे दुःख कि बात ये है कि लोग
जानते ही नहीं ये जो कुछ भी हुआ , शायद आत्महत्या ना होकर सामूहिक हत्या हो | सबसे
पहले मै आपको हत्या , आत्महत्या और सामूहिक हत्या और वध के बारे में बताना चाहता
हूँ |
जब कोई अपने स्वार्थ के लिए किसी निर्दोष
की हत्या करता है , तो यह सामान्य तौर पर हत्या कहलाती है | जब किसी व्यक्ति से
कोई गलती हो जाए और वह खुद को माफ़ ना कर सके और अपनी जान दे - दे तो यह आत्महत्या
कहलाती है | जब समाज के लोगों के कारण कोई इंसान अपनी जान खुद अपने
हाथों कुर्वान कर दे तो यह भी सामूहिक हत्या कहलाती है | इस सामूहिक हत्या में समाज
के लोग अप्रत्यक्ष रूप से हत्या करते है |
हमारे समाज में अज्ञानता कि कालिख इतनी
काली है कि सच्चाई और सत्कर्म कि सफ़ेद स्याही उसका रंग नहीं बदल सकती है | यही आज
हो रहा है |
जरा सोचो कि उस लड़की ने आत्म हत्या क्यों
की ? हो सकता हो की उसके ससुराल वाले उसको परेशान करते रहे हो
| उसका पति उसे बात बात पर पीटता हो | घर वाले दहेज़ की मांग कर रहे हो
| घर वालों की झूठी इज्जत को बनाये रखने के लिए वह ये बात किसी और से ना कह सकी
हो या फिर किसी ने उसकी ना सुनी हो | वो लड़की प्यार किसी और से करती हो और उसकी
शादी उसकी मर्जी के किलाफ़ घर वालों ने कर दी हो |
इस तरह के कई कारण हो सकते है | जिसकी जांच
होनी चाहिए | लेकिन हम कर क्या सकते है | हमारी पुलिस भी तो किसी लफड़े में नहीं
फसन चाहती है , सो आसानी से फाइल बनायीं और दफ़न कर दी | हमारे देश का महिला आयोग
है सिर्फ कागज पर कागजी कारवाही करने के लिए ।
अगर उस लड़की ने ससुराल वालों के कारण
आत्महत्या की हो तो यह ससुराल वालों ने मिलकर उसकी सामूहिक हत्या की है | यदि घर
वालों ने उसकी मर्जी के खिलाफ शादी की हो तो घर वाले ही उसके हत्यारे है | इसकी
जांच अच्छी तरह से होकर ससुराल वाले हो या मायके वाले उन सब को सजा मिलनी चाहिए जो
की शायद आज तक कभी सुनाने ने नहीं आया है | ये सारी हत्याए इतने लोग मिल कर करते
है और उनके खिलाफ कुछ नहीं होता है | यही कारण है की संसद में महिला आरक्षण बिल
ठीक है | लेकिन आरक्षण देने से कुछ नहीं होने वाला है | इन सब मामलों की जांच होनी
चाहिए और ससुराल और मायके वालो कि , जो भी दोषी हो , सजा तो मिलनी ही चाहिए
| यही नारी जाति का सम्मान और उसका अधिकार भी है | यदि ऐसा नहीं हुआ तो ये हत्याए
प्रतिदिन होती रहेगीं | इसके लिए शायद नया कानून बनाना पड़े तो ठीक है लेकिन कानून
से कुछ नहीं होगा उसका सख्ती से पालन होना चाहिए जो कि हमारे पुलिस का काम है |
न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी बहुत जरूरी है |
इन सबके लिए हमारी सरकार क्र साथ-साथ मानव
जाति को जगाना होगा , विशेष कर महिलाओ को | यदि ऐसा हुआ तो ही नारी जाति का उद्धार
हो सकता है | यदि पुलिस अपना काम सही से करे तो आम आदमी को कोर्ट जाने कि जरूरत ही
नहीं है | इसलिए सबसे ज्यादा जिम्मेदारी हमारी पुलिस कि बनती है | इसलिए पुलिस
सुधार को अमल में लाकर लागो करना चाहिए | तभी हमति नारी जाति का और भारतवर्ष का
कल्याण होगा |
Er. Rajani Kan Indra
March 28 , 2010
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