Sunday, March 28, 2010

आत्महत्या या सामूहिक हत्या


आज कल किसी लड़की - लडके या फिर किसी भी उम्र के इंसान द्वारा की गयी आत्महत्या की खबरे अखबारों में मिल ही जाति है | इसी तरह आज ( मार्च २७ , २०१० ) हम  जब अकबरपुर से सुलतानपुर के लिए जा रहे थे , तो  महारुआ में एक शादी - शुदा लड़की के आत्महत्या की खबर सुनी | सड़क पर खूब भीड़ - भाड़ थी | लोग तरह - तरह की बातें कर रहे थे | उत्तर-प्रदेश पुलिस अपना काम कर रही थी , वही जो आजतक करती आयी है , फाइल बना कर दफ़न कर देना | मेरे साथ बस में सफ़र कर यात्री भी उस मासूम लड़की के बारे में तरह - तरह की बाते चटकारे ले कर कर रहे थे |
लोग तरह - तरह की बातें करके लड़की को कोस रहे थे | कुछ लोग कह रहे थे कि उस लड़की ने आत्महत्या करके माँ बाप और घर वालों को रोने के लिए छोड़ दिया | इसी तरह तमाम तरह कि बातें कर रहे थे | सबसे खास बात है कि बस में सफ़र कर रही औरतें भी उस लड़की को कोस रही थी | 

हम बस में बैठे सभी लोगों कि बाते बडें ही ध्यान से सुन रहे थे | कोई भी उस लड़की के आत्महत्या करने के कारण के बारे में नहीं सोच रहा था | हमारे  ख्याल से कोई ना कोई तो कारण रहा ही होगा | आखिर कोई इतनी आसानी से आत्महत्या तो नहीं करता है | क्यों कोई कुदरत के दिए इस जीवन को इतनी आसानी से ख़त्म कारण चाहता है ? हमारी पुलिस भी इस तरह के मामलों को बड़ी ही आसानी से निपटती है , ऐसे कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो | घर वाले , आस-पड़ोस के लोग उस मासूम को कोस कर अपनी भड़ास निकल लेते है | सबसे दुःख कि बात ये है कि लोग जानते ही नहीं ये जो कुछ भी हुआ , शायद आत्महत्या ना होकर सामूहिक हत्या हो | सबसे पहले मै आपको हत्या , आत्महत्या और सामूहिक हत्या और वध के बारे में बताना चाहता हूँ | 

जब कोई अपने स्वार्थ के लिए किसी निर्दोष की हत्या करता है , तो यह सामान्य तौर पर हत्या कहलाती है | जब किसी व्यक्ति से कोई गलती हो जाए और वह खुद को माफ़ ना कर सके और अपनी जान दे - दे तो यह आत्महत्या कहलाती है | जब समाज के लोगों के कारण कोई इंसान अपनी जान खुद अपने हाथों कुर्वान कर दे तो यह भी सामूहिक हत्या कहलाती है | इस सामूहिक हत्या में समाज के लोग अप्रत्यक्ष रूप से हत्या करते है | 

हमारे समाज में अज्ञानता कि कालिख इतनी काली है कि सच्चाई और सत्कर्म कि सफ़ेद स्याही उसका रंग नहीं बदल सकती है | यही आज हो रहा  है | 

जरा सोचो कि उस लड़की ने आत्म हत्या क्यों की ? हो सकता हो की उसके ससुराल वाले उसको परेशान करते रहे हो | उसका पति उसे बात बात पर पीटता हो | घर वाले दहेज़ की मांग कर रहे हो |  घर वालों की झूठी इज्जत को बनाये रखने के लिए वह ये बात किसी और से ना कह सकी हो या फिर किसी ने उसकी ना सुनी हो | वो लड़की प्यार किसी और से करती हो और उसकी शादी उसकी मर्जी के किलाफ़ घर वालों ने कर दी हो | 

इस तरह के कई कारण हो सकते है | जिसकी जांच होनी चाहिए | लेकिन हम कर क्या सकते है | हमारी पुलिस भी तो किसी लफड़े में नहीं फसन चाहती है , सो आसानी से फाइल बनायीं और दफ़न कर दी | हमारे देश का महिला आयोग है सिर्फ कागज पर कागजी कारवाही करने के लिए  । 

अगर उस लड़की ने ससुराल वालों के कारण आत्महत्या की हो तो यह ससुराल वालों ने मिलकर उसकी सामूहिक हत्या की है | यदि घर वालों ने उसकी मर्जी के खिलाफ शादी की हो तो घर वाले ही उसके हत्यारे है | इसकी जांच अच्छी तरह से होकर ससुराल वाले हो या मायके वाले उन सब को सजा मिलनी चाहिए जो की शायद आज तक कभी सुनाने ने नहीं आया है | ये सारी हत्याए इतने लोग मिल कर करते है और उनके खिलाफ कुछ नहीं होता है | यही कारण है की संसद में महिला आरक्षण बिल ठीक है | लेकिन आरक्षण देने से कुछ नहीं होने वाला है | इन सब मामलों की जांच होनी चाहिए और ससुराल और मायके वालो कि  , जो भी दोषी हो , सजा तो मिलनी ही चाहिए | यही नारी जाति का सम्मान और उसका अधिकार भी है | यदि ऐसा नहीं हुआ तो ये हत्याए प्रतिदिन होती रहेगीं | इसके लिए शायद नया कानून बनाना पड़े तो ठीक है लेकिन कानून से कुछ नहीं होगा उसका सख्ती से पालन होना चाहिए जो कि हमारे पुलिस का काम है | न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी बहुत जरूरी है |

इन सबके लिए हमारी सरकार क्र साथ-साथ मानव जाति को जगाना होगा , विशेष कर महिलाओ को | यदि ऐसा हुआ तो ही नारी जाति का उद्धार हो सकता है | यदि पुलिस अपना काम सही से करे तो आम आदमी को कोर्ट जाने कि जरूरत ही नहीं है | इसलिए सबसे ज्यादा जिम्मेदारी हमारी पुलिस कि बनती है | इसलिए पुलिस सुधार को अमल में लाकर लागो करना चाहिए | तभी हमति नारी जाति का और भारतवर्ष का कल्याण होगा |


Er. Rajani Kan Indra 

March 28 , 2010

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