इन्तजार हमारे जीवन का
एक अनोखा हिस्सा है। यह एक ऐसा शब्द है जिसका सामना हर किसी को अपनी जिंदगी में करना
ही पड़ता है। जिंदगी में हर चीज एक निश्चित समय अन्तराल के बाद ही मिलती है और ये समयांतराल हमारी सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक स्थिति, राजनितिक और कुदरती नियमों के आपसी तालमेल द्वारा निर्धारित है, इन्ही पर निर्भर करती है। चाहत की शुरुआत और मिलन के बीच के समय अन्तराल को इन्तजार कहते है।
जीवन में इन्तजार का अपना एक अलग ही रंग होता है। इन्तजार का हर
रूप अपने आप में अनोखा और अनुपम होता है। सामान्यतः बिना इन्तजार के इस अदभुद प्रकृति में
कुछ नहीं मिलता है जैसे कि जब माली अपने बाग़ के पेडों की देख-रेख करने साथ उनमे
फल लगाने का इन्तजार भी करता रहता है। जब वही पेड़ बड़े हो जाते है और उनमे बौर
लगने लगता है तो माली कैसा महसूस करता है यह तो सिर्फ वह माली ही जान सकता है,
जिसने इतने मेहनत के बाद अपने इन्तजार का फल पाया है। यहाँ माली से पूछों कि
इन्तजार का फल कैसा होता है।
इन्तजार का मतलब उस भौरें से पूछो जो एक अरसे से फूलों की
कोमल पंखुड़ियों में समा जाने को बेचैन है। इन्तजार की रूप रेखा उस किसान से जानो
जो बरखा रानी की राह देख रहा है।इन्तजार का अर्थ उस माँ से पूछों जिसने अभी अपने
मुन्ने का मुख ही ना देखा हो।
इन्तजार के बगैर तो जीवन में रंग हो ही नहीं सकता है। इन्तजार जितना लम्बा होता है, उसका फल उतना ही मीठा और अनोखा होता है। साथ भी यह भी सच है कि यदि इंतजार के बगैर जीवन की कोई चाहत पूरी भी हो जाये तो उसका मिलना बेमजा हो जाता है, उस आनन्द में वो कसक नहीं होती है, वो सुकून नहीं होता है, वो सुख नहीं होता है, वो चैन नही होता है जो इंतजार के लंबे दुखदायी लम्हे को काटने के बाद मिली चाहत में होता है।
इन्तजार के बगैर तो जीवन में रंग हो ही नहीं सकता है। इन्तजार जितना लम्बा होता है, उसका फल उतना ही मीठा और अनोखा होता है। साथ भी यह भी सच है कि यदि इंतजार के बगैर जीवन की कोई चाहत पूरी भी हो जाये तो उसका मिलना बेमजा हो जाता है, उस आनन्द में वो कसक नहीं होती है, वो सुकून नहीं होता है, वो सुख नहीं होता है, वो चैन नही होता है जो इंतजार के लंबे दुखदायी लम्हे को काटने के बाद मिली चाहत में होता है।
इन्तजार के अपने अलग ही रंग और रूप होते है, लेकिन जो भी होते है वे होते बड़े अनोखे है। इन्तजार दुखद और सुखद दोनों तरह का हो सकता है। इन्तजार अपने आप में
सुख और दुःख दोनों को समेटे रखता है। इस इन्तजार का सही और सच्चा अर्थ तो सिर्फ
एक सच्चा प्रेमी ही बता सकता है।
प्रेम में इन्तजार का अपना एक अलग ही महत्त्व होता है। इन्तजार के बगैर प्रेम की कल्पना असम्भव सी लगती है। प्रेम के बगैर इंतजार की कल्पना का असंभव प्रतीत होना ही, प्रेम में इंतजार के मायने को परिभाषित करता है, प्रेम में इन्तजार को महत्त्व देता है, या यूँ हक़ सकते है कि इन्तजार ही प्रेमियों को जीवंत रखता है। बिना
इन्तजार के प्रेम हो ही नहीं सकता है। प्रेम का नाम जीवन और जीवन नाम ही इन्तजार
है। प्रेम हमें जीवन में सब कुछ सिखा देता है। इसलिए इन्तजार का सच्चा मतलब
सिर्फ एक प्रेमी ही जान सकता है।
हमने आज तक के जीवन में सबसे ज्यादा इन्तजार को ही कोसा है लेकिन जीवन गीत में कुछ ऐसा घटित हुआ कि हमें इन्तजार करने की सी आदत पड़ गयी। अब वही इन्तजार याद
कर-कर के एक अनोखे सुख का अनुभव होता है। हमें याद है कि हम जीवन गीत में दिन भर
इन्तजार करते है। सुबह से शाम और शाम से सुबह कब हो जाती है, पता ही नही चलता है।हमारी जिंदगी में
अब इन्तजार ने अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। सोते समय रात को नीद ही नहीं आती है। यदि सो भी गया तो रात को करीब ११ बजे के आस - पास तक आँखे खुद-बी-खुद खुल जाती है, बेचैनी बढ़ जाती, कल्पना हिलोरे लेने लगती है। इस तरह से फिर शुरू हो जाता है इंतजार का सिलसिला। जीवन गीत में इंतजार को कुछ यूँ कह सकते है कि जीवन में इन्तजार कोई एक घटना नहीं बल्कि एक सिलसिला है। इस इन्तजार का भी अपना एक अनुपम सुख, शांति, सुकून व् आनन्द होता है। इन्तजार का ये दुखदायी पल ही जीवन गीत में हमारी चाहतों के महत्त्व को बढ़ाता है, यही इंतजार उन चाहतों के मायनों को परिभाषित करता है, यही इंतजार उन मन्नतों में मीठास भारत है, यही चाहत उन मुरादों में मुक्कमल जहाँ की खुशियाँ का एहसास कराता है।
इस अनोखे सुखद पल का मतलब तो सिर्फ एक प्रेमी ही जान सकता है। ये इन्तजार भी कितना अजीब होता है जो हर कदम में उनकी आहट सुनवाता है। दरवाजा खोला तो कोई और होता है, इसके बाद फिर शुरू हो जाता है इन्तजार का अगला पड़ाव। आँखों में इन्तजार की अपना अलग ही अंदाज होता है जिसमे बंद आँखे सदा जगती रहती है। हवा के झोकों में किसी खुशबू आती है। जब बसंत के महीने में मंद-मंद बयार चल रही होती है तो ये इन्तजार कितना दुःखदाई होता है, ये बयाँ करना कागज और कलम के बस की बात नहीं है। बसंत के उन झोकों के बीच इन्तजार कितना पीड़ादायी होता है कि बयाँ करना मुमकिन नहीं है।
इस अनोखे सुखद पल का मतलब तो सिर्फ एक प्रेमी ही जान सकता है। ये इन्तजार भी कितना अजीब होता है जो हर कदम में उनकी आहट सुनवाता है। दरवाजा खोला तो कोई और होता है, इसके बाद फिर शुरू हो जाता है इन्तजार का अगला पड़ाव। आँखों में इन्तजार की अपना अलग ही अंदाज होता है जिसमे बंद आँखे सदा जगती रहती है। हवा के झोकों में किसी खुशबू आती है। जब बसंत के महीने में मंद-मंद बयार चल रही होती है तो ये इन्तजार कितना दुःखदाई होता है, ये बयाँ करना कागज और कलम के बस की बात नहीं है। बसंत के उन झोकों के बीच इन्तजार कितना पीड़ादायी होता है कि बयाँ करना मुमकिन नहीं है।
जीवन में हर चीज का एक रंग होता है पर प्रेम रंग सबसे प्यारा ,
अदभुद और अनोखा होता है। प्रेम की शुरुआत ही इन्तजार से होती है| इन्तजार ही
प्रेम का एहसास है। इन्तजार ही प्रेम का शुरुआत होता है। इन्तजार अनोखे ,
सर्वशक्ति और अदभुद प्रेम का एक विचित्र अंग है।
आओ, हम भी करे जतन अपने ईष्ट को पाने का और करे इन्तजार उस ईष्ट के मिलने का.....
आओ, हम भी करे जतन अपने ईष्ट को पाने का और करे इन्तजार उस ईष्ट के मिलने का.....
Rajani Kant Indra
जनवरी ०९, २०१०