आज मै आप को एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ ,
जिसमे अपनो ने मिलकर किसी अपने को बिना किसी गुनाह के ही सजा दे डाली है | हाँ ,
दोस्तों ये मेरे ही जीवन की एक कहानी है |
जहाँ तक मुझें याद है , आज तक के जीवन में
मैंने ऐसी कोई गलती नहीं की है की जिसके लिए मुझें पछताना पड़ें | बचपन की कुछ
गलतियाँ सबसे हो जाती है , जो कि कुछ और नहीं बल्कि छोटे बच्चों की शरारत के सिवा
कुछ नहीं है | ये शरारती गलतियाँ तो सबसे हो ही जाती है , जो की नादानी की ही वजह
से होती है | इस प्रकार की जो भी गलतियाँ हो गयी है उसके लिए मुझे खेद है परन्तु
अनजाने में हुई गलती को तो सब माफ़ ही कर देते है | इस लिए बचपन की उन छोटी - छोटी
गलतियों के लिए ( जो कि बस गिनी चुनी चार - पांच ही हो सकती है ) मै माफ़ी मागता
हूँ |
जहाँ तक मुझें याद है मैंने आज तक ना किसी
से झगडा किया है , ना किसी को जानकर - बुझकर में दुःख ही पहुचाया है | मैंने
गुस्से में कभी - कभी कुछ लोगों को कुछ बातें कहीं है जो कि उन्हें बहुत ही बुरा
लगा है | फिर भी गलती मेरी नहीं है क्योकि उन लोगों ने पूरी बात बिना सुने ही
अपने मतलब का अर्थ निकल लिया है | मेरी बातों से उन्ही लोगों को दुःख पंहुचा है ,
जिन लोगो ने मेरी बात को पूरी तरह से नहीं सुनी है | ये तो सब जानते है कि आधा -
अधुरा ज्ञान ही सभी मुशिबतों का कारण है , तो फिर यह दोष किसका हुआ | इस तरह कि
घटनाएँ मेरी जिंदगी में बहुत ही आयी है , जिसका फल मुझे भुगतना पड़ा है |
हाँ , मै मनाता हूँ कि जिंदगी में हर आदमी
सदा एक ही समय पर सबको खुश नहीं कर सकता है | किसी ना किसी को तो नाराज करना ही
पड़ता है | इस बात को हम गणित कि भाषा में भी अच्छी तरह से समझ सकते है | इसे
समझाने के लिए मै आप को गणित के समीकरण का उदहारण लेता हूँ |
जैसे
Given that x^4 - 5x^3 + 5x^2 + 5x - 6 = 0
. Find X such that { x > 0 & x > 2 }
( x - 3 ) ( x - 2 ) ( x - 1 )( x + 1) = 0
यहाँ पर हमें X कि चार वैल्यू मिल रहें है
, चारों वैल्यू सही भी है क्योकि चारों वैल्यू समीकरण को संतुष्ट करते है , लेकिन
दिए गए प्रतिबन्ध को देखते हुए केवल एक ही वैल्यू सही है |
समीकरण में तीन वैल्यू धनात्मक है , एक
ऋणात्मक है | समीकरण में X= -1, 1 , 2 , 3 है परन्तु प्रतिबन्ध के अनुसार केवल X=3
ही धनात्मक और २ से बड़ी है |
मतलब सब कुछ सही है परन्तु प्रतिबन्ध के
अनुसार केवल एक ही सही है |
इसी प्रकार मेरे भी जीवन में ऐसा समय आया
है , जब मै चौराहे पर खडा हूँ और चुनना केवल एक ही रास्ता है | तब मैंने वही
रास्ता चुना जो सबसे सही और न्याय पूर्ण था |
इसी तरह से जब चार लोगों में से एक का
चुनाव करना हो तो प्रिय तो सब होते है लेकिन चुनना एक है , ऐसे में बचे तीन का
नाराज होना स्वाभाविक है परन्तु मै क्या करू | ऐसे परिस्थिति में मैंने वही किया
है जो सर्वाधिक न्यायपूर्ण रहा है | क्योकि मै एक साथ एक ही परिस्थिति में सब को
खुश नहीं कर सकता हूँ |
ऐसी स्थिति में सभी को मौजूद
परिस्थितियों में से सबसे न्यायपूर्ण फैसला ही करना करना चाहिए | यहीं मैंने आज तक
कि लाइफ में करने कि भरपूर कोशिश कि है |
सदा गीता के रास्ते पर चलने कि कोशिश की है
| आज तक मैंने जान-बूझ कर कोई गलती नहीं नहीं की है , किसी को धोखा नहीं दिया है ,
किसी को नुक्सान नहीं नहीं पहुचाया हूँ , किसी का अहित नहीं सोचा हूँ , फिर भी
मुझें कुछ सजा भुगतनी पड़ी है | आज मै शायद इसी दौर से गुजर रहा हूँ | इस समय मै
पांच तरफ से घिर चुका हूँ , बहुत ही परेशान हूँ , कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ,
मेरे दोस्त ने मुझें ऐसा धोखा दिया है कि शायद ही किसी ने किसी को दिया हो | मैंने
उससे सारा रिश्ता नाता तोड़ लिया है | अब हम अजनवी है , लेकिन मै तुमको को कभी भूल
नहीं सकता हूँ | मुझें पता है कि हर दुःख के बाद ही सुख आता है , रात के बाद दिन
आता है |
नवम्बर ०९,२००९
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