भारत गांवों का देश है | अतः ग्रामीण आँचल के विकास के बाद ही भारत का विकास
संभव है ,क्योकि सामान्य तौर पर पूँजीवाद में समूचे भारतवर्ष का विकास न होकर देश की
सारी संपति कुछ ही लोगों तक सीमित होकर रह जाती है | इस तरह का असंतुलित पूँजीवाद ही
देश में गरीबी को जन्म देती है | इसी कारण देश की चमक - दमक में गरीबों की झुग्गी झोपडी
बाधक बनती है नतीजा - अतिकर्मण | ये गरीब बेचारे जाये तो कहाँ जाये ? पहेले से ही खाने
को कुछ ढंग का था ही नहीं और अब घर से भी बेघर ! इसका नतीजा यह है - कि सरकार देश की
गरीबी देखकर नहीं , देश के गरीबों को देख कर शर्म करती है । इससे सिर्फ और सिर्फ नक्शल और आतंकवाद जैसी समस्याओं का जन्म होता है , जो कि देश कि उन्नति , विकास
और शांति में बाधक है | फ़िलहाल हमारी भारत सरकार इस तरफ ध्यान तो दे रही है परन्तु जो कुछ भी हुआ है
वह पर्याप्त नहीं है |
देश की पूँजी का संतुलित फैलाव सम्पूर्ण भारत पर होना चाहिए , जिससे कि ना
तो कोई गरीब हो और ना ही गरीबी | इसके लिए भारत सरकार द्वारा भारतीय प्रशासन , भारतीय
न्याय प्रणाली , भारतीय निर्वाचन और भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रो में शीघ्र
सुधार की सख्त जरूरत है ।
जहाँ तक भारतीय प्रशासन की बात है
, भारत सरकार को पुलिस सुधार करके , जनता को पुलिस उत्पीड़न से बचाना चाहिए । आज भी
हमारी पुलिस गुलामी के दिनों में खीची गयी लकीरों पर चल रही है । देश की आजादी के इतने
सालो बाद भी हमारी जनता , कानून और जनता के रक्षक पुलिस वालों के साथ ही सबसे ज्यादा
असुरक्षित महसूस करती है । आज भी ग्रामीण भारत में , बिना रिश्वत के रिपोर्ट नहीं लिखी
जाती है । पुलिस द्वारा जनता के उत्पीड़न की कहानी वैसे ही है जैसे कि अंग्रेजो द्वारा
भारत की थी । यदि सरकार पुलिस में समुचित सुधार कर लेती है तो छोटे - मोटे मामलों के
निपटारा निचले स्तर पर ही हो जायेगा , जो कि न्यायपालिका में बढ़ते फाइलो की संख्या
पर अंकुश लगाने में मददगार साबित होगा ।
आगे , फिर भारत सरकार ने भूमि सुधर सम्बधी नियम और कानून तो बनाये लेकिन उन
पर कितना अमल हुआ | इसका कोई उचित मापदंड और रिकार्ड नहीं है । हमारी प्रदेश सरकारों
को सबसे पहले भूमि सुधार की तरफ ध्यान देना चाहिए क्योकि देश की दो - तिहाई से ज्यादा
जनसँख्या आज भी गावों में ही निवास कराती है , जिसका मुख्य स्रोत कृषि ही है । उसर सुधर
अधिनियम का पालन देश की मांग और कृषि अर्थव्यवस्था की जरूरत के अनुरूप होना चाहिए । भारत सरकार को ग्रामीण मंत्रालय के अतिरिक्त
भारतीय ग्रामीण सुधार आयोग जैसा एक सशक्त एवं प्रभावशाली आयोग का
गठन करना चाहिए । जिससे की ग्रामीण योजनाओ की समुचित देख-रेख और सही संचालन हो सके
| आयोग की कार्य प्रणाली और कार्य क्षेत्र
जिला , मंडल , प्रदेश , और राष्ट्रिय स्तर का होना चाहिए |
ग्रामीण भारत में शिक्षा व्यवस्था की बीमार हालत पर उचित ध्यान देते हुए
, प्राइमरी , माधयमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था पर तत्काल ध्यान और सुधार की सख्त आवश्यकता है । शिक्षा का अधिकार कानून एक
सराहनीय कदम है परन्तु शिक्षकों कि कमी , स्कूल और विद्यालयों की संख्या देश की जरूरत
के अनुरूप बनायीं जानी चाहिए ।
न्याय पालिका में खेती से सम्बंधित मामलों की सुनवाई एक निश्चित समय सीमा
के अंदर ही पूरी होनी चाहिए जिससे कि हमारा किसान कचहरी के चक्कर लगाने के बजाय अपने
कृषि कार्यो पर उचित ध्यान दे सके । हमारी न्याय प्रणाली को सस्ती बनाया जाना चाहिए
, जिससे किसान अपनी कमाई का हिस्सा अपने विकास में लगाये , ना कि वकीलों की जेब भरने
में | इसके साथ ही देश की न्याय पालिका में
फैले भ्रष्टाचार से हम सब अच्छी तरह से वाकिफ है । आज तक किसी भी सरकार ने इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है जो कि आज
देश के हर तबके और अर्थव्यवस्था के
हर क्षेत्र की मांग है | आज समय की मांग है कि देश कि न्याय व्यवस्था में सुधर कर
, न्याय पालिका के भ्रस्टाचार को ख़त्म किया जाये । निचले स्तर पर जजों की जबाबदेही और पारदर्शी कार्यप्रणाली आज देश
के बेहतर प्रशासन के लिए जरूरी है ।
जहाँ तक भारतीय अर्थव्यस्था की बात है देश की बढती जनसँख्या को देखते हुए रोजगार के ज्यादा से ज्यादा
अवसर उपलब्ध जाये अर्थात जिसकी जैसी काबिलियत उसको वैसी नौकरी | प्राइवेट क्षेत्र में
ग्रामीणों को वरीयता एक बेहतर विकल्प हो सकता है । १९९१ के बाद का अर्थव्यवस्था में
सुधर डॉक्टर मनमोहन सिंह द्वारा किया गया सराहनीय कदम था । देश में अभी और आर्थिक सुधार की जरूरत है । हमारी संसद को देश के हित में सोचते
हुए आर्थिक सुधार के लिए बेहतर कदम उठाने चाहिए ।
चुनाव
आयोग द्वारा निगेटिव वोटिंग और नोटा को लागू करने का सशक्त प्रयास , राजनीत के अपराधीकरण
को रोकने का एक बेहतर विकल्प हो सकता है । चुनाव सुधार से देश को ऐसे प्रतिनिधि मिलेगें
जो को वास्तव में जनता के प्रतिनिधि होगे ना कि किसी दिखावे के । इस लिए हमारे देश
को चुनाव में सुधार की सख्त जरूरत है ।
कुल मिलाकर , भारत सरकार को देश के हर क्षेत्र में ध्यान देना चाहिए लेकिन
देश उचित विकाश तभी सम्भव है जब हमारा ग्रामीण भारत विकास करेगा ।
शिक्षित गाँव , शिक्षित भारत |
सशक्त गाँव , सशक्त भारत ||
~ रजनी कान्त इन्द्रा
Oct.
09 , 2009
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