हमारी
सरकार जिसके तीन अंग है विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका | जनता के हितों कि
रक्षा के सरकार के जिस अंग का सबसे ज्यादा महत्व है वह है हमारी पुलिस और कोर्ट
| मै इलाहाबाद हाई कोर्ट के चारो तरफ चक्कर लगते लोगों को देखता हूँ | सोचता हूँ कि
लोग कोर्ट क्यों आते है ? कितने लोग न्याय के लिए आते है और कितनों को न्याय मिलता
है ? आज तक कोई ऐसा नहीं मिला जो मुझें कोर्ट या पुलिस की सच्चे दिल से सम्मान करता
हो | कोर्ट कानून के दलालों का अड्डा है तो पुलिस सरकारी तंत्र में सबसे बदनाम चेहरा
है | हमारे संविधान ने सबको ताकत दी है सिर्फ न्याय करने के लिए , लेकिन होता क्या
है सब जानते है | पुलिस के ऊपर ढेर सारे आरोप रोज लगते रहते है | किसी ने कभी इसका
मुख्य जड़ जानने की कोशिश ही नहीं की है जैसे की पुलिस जानता से पैसा क्यों लेती है
? ये रिश्वत कहाँ तक जाती है ?
आज हमारी जेलों में करीब ३.७५ लाख कैदी बंद
है जिसमे से २.४५ लाख पर आज तक कोई गुनाह साबित नहीं हो पाया है , क्यों ? जिन पर
गुनाह साबित हो चुका है क्या उन में कुछ निर्दोष भी है ? ये सब यदि आम आदमी जान
जाए तो क्या देश की जनता सरकार पर भरोसा करेगी ? आज तक न्याय पालिका के कुछ ही ऐसे
सही फैसले होगें जिसका देश की पूरी जानता तहें दिल से स्वागत करती है | सब जानता
को ही क्यों बवकूफ बनाते है | जब २.४५ लाख लोगों पर जुर्म साबित नहीं हो पाया है
तो वे किस बात की सजा भुगत रहें है ? क्या कर रही है पुलिस ? मामले आगे क्यों नहीं
बढ़ते है ? कोर्ट को तारीख देने से ही फुर्सत नहीं है और पुलिस को चमचागीरी करने
से | सब जानता का ही शोषण करते है | सब जानता का पैसा है , जानता की कमाई है
फिर भी लोग जानता को हिसाब देने से कतराते है , क्यों ? पुलिस , बडें ऑफिसर , ये
सब बदनाम है रिश्वत के लिए लेकिन क्या हमारी न्यायपालिका इससे परे है |
न्यायपालिका को संविधान ने पॉवर दी है अवमानना की जो इसके सारे
गुनाहों को छिपा लेती है | यह बात हमारे कई जज भी ये बात कह चुके है | आप सब जानते
है की पुलिस रिश्वत लेती है , ऑफिसर रिश्वत लेते है ....ठीक है इसीलिए ये सब बदनाम
है तो क्या सिर्फ न्याय पालिका ही आज का हरिश्चंद है जो ईमानदारी का ताज पहने है |
आज कि जनता यदि किसी से खुश है तो
सिर्फ एक संस्था से वह है भारतीय चुनाव आयोग | आप जब जानते है कि जब चुनाव कि आचार
संहिता लागू होती है तो क्या होता है | आज कि जानता से पूछो तो वह भारतीय चुनाव
आयोग का शासन चाहती है | ये सब कुछ और नहीं बल्कि भारतीय चुनाव आयोग का अपना
कर्तव्य पालन का नतीजा है | जिन आई.ए.एस ऑफिसर को हमारे नेता और न्यायपालिका
भ्रष्ट कहते है उन्ही आई.ए.एस. ऑफिसर द्वारा चलने वाली संस्था है भारतीय चुनाव
आयोग |
यदि सरकार सचमुच जानता के साथ न्याय चाहती
है तो " जज इन्क्वारी बिल " जल्द से जल्द पारित करे और न्याय
पालिका की हद तय करे | पुलिस सुधार का कमीशन बनाने के बजाय देश में असमान बेतन को
ठीक करे क्योकि यही सारे भ्रष्टाचारकी जड़ है | आज प्राइमरी में बैठा मास्टर क्या
करता है सब जानते है , इंजीनियरिंग कॉलेज का टीचर कितने नोबल पुरस्कार जीता है सब
जानते है , मेडिकल कालेज का डाक्टर कितने ध्यान से सरकारी मरीज देखता है सब
जानते है , ऑफिस का बाबू कितना मेहनत करता है सब जानते है , फिर भी इनको बेतन बहुत
कम लगता है , जो आये दिन धरना देते रहते है | फील्ड में शारीरिक और दिमागी मेहनत दोनों की जरूरत होती फिर भी पुलिस और फील्ड वर्कर के बेतन इतने कम क्यों है
?
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