हम आप सब को शारीरिक शोषण के बारे में बताना
चाहते है | वैसे तो शारीरिक शोषण से सब लोग परिचित है | शारीरिक शोषण के बारे में आप सब ने अच्छी तरह से सुने और देखें है | हमारा समाज भारतीय रीति-रिवाजों पर टिका हुआ है | भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ एवं
महानतम संस्कृति है , परन्तु फिर भी इसमे बहुत सारी अमानवीय , कठोर और निर्मम बुराइयाँ है | इन बुराइयों को पहचानने की सख्त जरूरत है , नहीं तो दिन-प्रतिदिन मानवता और इंसानियत की हत्या होती रहेगी | शारीरिक शोषण के कई रूप हो सकते है परन्तु उनमे से एक सबसे
घिनौना रूप है बलात्कार | आप सब जानते है की बलात्कार की प्रक्रिया में
दो पक्ष होते है | १. बलात्कार करने वाला ( प्रायः पुरुष वर्ग )
२. जिसका बलात्कार होता है ( प्रायः स्त्री वर्ग )
सामान्य बलात्कार से आप सब बहुत अच्छी तरह से वाकिफ है | इस तरह के बलात्कार में बलात्कारी सिर्फ और
सिर्फ केवल एक बार ही बलात्कार करता है | इसके बाद क्या होता है आप सब अच्छी तरह से
जानते है जैसे की पंचायत , पोलिस , मेडिकल और कोर्ट के चक्कर | इसमे बलात्कारी को बिना जमानत के सख्त से सख्त सजा होती है , और कभी-कभी फांसी भी हो जाती है | ये सबसे परिचित और सामान्य बलात्कार है , परन्तु इसी बलात्कार का एक और घिनौना , कठोर और सबसे निर्मम रूप है जिसमे शारीरिक और मानसिक बलात्कार होता है , भावनावों का बलात्कार होता है | यही बलात्कार का सबसे घिनौना , कुरूप , निर्दयी और निर्मम रूप है |
इस तरह के बलात्कार में तीन पक्ष होते है... १. बलात्कार करने वाला ( प्रायः पुरुष वर्ग ) २. जिसका बलात्कार होता है (
प्रायः स्त्री वर्ग ) ३. बलात्कार करवाने वाले ( प्रायः माता-पिता और आप यानि कि ये समाज ) । बलात्कार के इस रूप को जानने से पहले आप को
बलात्कार को जानना होगा | बलात्कार क्या होता है ? जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी सहमति के बगैर जबरदस्ती शारीरिक सम्बन्ध
बनाता है , तो ये बलात्कार कहलाता है | इस परिभाषा में " सहमति के बगैर " शब्द का ही सबसे ज्यादा महत्त्व है | बलात्कार कब होता है ? जब शारीरिक सम्बन्ध सहमति के बगैर बनाया जाए | बलात्कार कब नहीं होता है ? जब स्त्री-पुरुष एक-दुसरे कि सहमति से
शारीरिक सम्बन्ध बनाते है , तो यह बलात्कार नहीं होता है | जिस बलात्कार को आप सब जानते है , उसमे प्रायः सिर्फ एक ही अपराधी होता है तथा एक निर्दोष
होता है |
लेकिन हम , आप को एक ऐसे बलात्कार के बारे में बातें जा जा रहे है । जिसमे
दो अपराधी है तथा एक निर्दोष | अपराधी कौन-कौन है ? बलात्कारी और बलात्कार करवाने वाले यानि कि माता-पिता और ये समाज | निर्दोष कौन हैं ? जिसका बलात्कार होता है | जहाँ हम समझते है .... आज हमारे समाज में नब्बे फीसदी से अधिक
बेटियों कि शादी उनकी मर्जी के बगैर होती । घर कि इज्जत और सामाजिक मान मर्यादा के
नाम पर उनकी और उनके प्रेम के अरमानो कि बली चढाई जाती है । ये किस्से पूरे भारत
में बड़े ही सहज है । इस बलात्कार में बलात्कारी को कोई सजा ना
होकर , हमारा समाज उसकी इज्जत करता है | ये कहाँ का न्याय है कि एक बलात्कारी को सजा
तो दूसरे की आव भगत कि जाती है ? यही है बलात्कार का सबसे घिनौना और सबसे
निर्मम रूप जहाँ पर झूठे इज्जत के लिए माता-पिता अपने बेटी का हर पल , हर दिन यानि कि पूरी उम्र बेटी का बलात्कार करवाते है और इस बलात्कार में बेटी
कि सहायता के लिए कोई भी सामने नहीं आता है | यहाँ पर बेटी पूरी तरह से असहाय रहती है | यही है बलात्कार का सबसे घिनौना और निर्मम रूप | ये सदा - सदा मानवता के खिलाफ है | अपने मन मर्जी से बेटी कि शादी करके आप सब अपना बोझ हल्का करते है | इस तरह की शादी में आप सब बेटी कि सौदेबाजी करते है | इस सौदेबाजी में , माँ-बाप द्वारा बेटी एक
ऐसे कोठे पर बिठा दी जाती है जहाँ पर उसका एक ही ग्राहक है , उसका कथित पति । ये पति उसके जिंदगी कि ठेकेदारी लेता है और पूरी उम्र उसका
बलात्कार करता है ।
आप ये नहीं सोचते है कि जिंदगी तो बेटी की है , जीना बेटी को है , तो हम बेटी के अधिकारों का अतिक्रमण क्यों
करे | लेकिन फिर भी आप सब करते है | यह नहीं सोचते है कि सही क्या है , गलत क्या है ? इस तरह के माता-पिता ही अपनी मान मर्यादा के
नाम पर अपनी
ही बेटी
को एक कोठे पर बिठाकर उसका बलात्कार करवाते है | ऐसे माता-पिता और लोग , समाज के लिए कलंक है | ऐसे माता-पिता और समाज के लोग जो अपनी बेटी
का खुद दिन-प्रतिदिन बलात्कार करवाते है , वह तो समाज के उन दरिंदों से भी गए गुजरे है जिनकी वे आए दिन आलोचना करते रहते है|
बेटी को उसका अधिकार दो |
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