ब्रहम्णी
संगठनों द्वारा फण्डित बहुजन समाज के स्वार्थी लोगों का कहना है कि माननीया बहन जी
ने बाबा साहब के मिशन को डूबा दिया है जबकि हकीकत ये है कि बाबा साहेब के मिशन को आगे
बढ़ाने में सबसे अहम योगदान ही मान्यवर साहेब व माननीया बहन जी ने दिया है! सन्
1978 से लेकर आज तक बाबा साहेब के मिशन के प्रति निष्ठावान माननीया बहन जी ने मान्यवर
साहेब के दिशानिर्देश में बाबा साहेब की स्वीकृति को बहुजन समाज के घर में ही नहीं
बल्कि बहुजनों के जहन में स्थापित कर दिया है!
राजनीति
में किसी से कभी भी 24 कैरेट की उम्मीद करना नेतृत्व के प्रति नाइंसाफी है, और ऐसी
उम्मीद करने वालों की राजनीति के प्रति अनभिग्यता का परिचायक है! ये सत्य है कि भारत
में सामाजिक परिवर्तन के अहम लक्ष्य को पाने के लिए राजनीति सबसे सशक्त माध्यम है!
यही कारण है कि बाबा राजनैतिक सत्ता को गुरू किल्ली कहते हैं! मान्यवर साहेब व बहन
जी इसी राजनैतिक सत्ता के लिए सकल बहुजन समाज में जागरूकता लाकर बहुजन की हुकूमत स्थापित
कर बहुजनों की राजनैतिक पहचान को दुनिया के पटल पर सशक्त रूप से स्थापित करते हैं!
भारत
जैसे हजारों जातियों में बंटे समाज में सबकों एक मंच पर लाकर गुरू किल्ली को पाना इतना
आसान नहीं है जितना लोग समझ रहें हैं! बहुजनों को इक्ट्ठा करने में ही लगभग 18 साल
लगे साथ ही साथ बहुत सारे राजनैतिक समीकरण तय करने पड़े, सैद्धान्तिक लक्ष्य को पूरा
करने के लिए राजनैतिक क्रमचय-संचय करने पड़े तब जाकर पहली बार भारत की सर्वाधिक आबादी
वाले उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर वंजित समाज की सत्ता स्थापित हो सकी है! फिर सत्ता
अख्तियार कर बहन जी ने बहुजन नायकों-महानायकों-नायिकाओं-गुरूओं-संतों को भारत के इतिहास
में दिलाया, लोगों के जहन तक पहुंचया! भारत में एक मुश्त तौर पर सभी बहुजन नायकों-महानायकों-नायिकाओं-गुरूओं-संतों-क्रांतिकारियों-विद्वानों
को स्थापित करने का इतना महानतम् कार्य सिर्फ और सिर्फ माननीया बहन जी ने ही किया है!
भारत
में आज वंचित बहुजन गर्व से जय भीम कहते हैं, ये गौरव भी बहन जी सत्ता का ही प्रतिफल
है! बहन जी ने सभी बहुजन नायकों-महानायकों-नायिकाओं-गुरूओं-संतों-क्रांतिकारियों-विद्वानों
के नाम पर विश्वविद्यालय, इंजिनियरिंग कॉलेज, ईण्टर कॉलेज, पॉलीटेक्निक कॉलेज, मेडिकल
कॉलेज, संस्थाएं, रोड, गली-मुहल्ले, जिला, तहसील, भवन आदि बनवाकर बहन जी ने भारत निर्माण
में बहुजन समाज द्वारा दिये गए योगदान से दुनियां को परिचित कराया! स्कूल के पाठ्यक्रम
में बहुजनों के महापुरूषों को शामिल कर सभी बच्चों को बहुजन इतिहास व योगदान से परिचित
कराया है!
माननीया
बहन जी पर जो लोग बाबा साहेब के मिशन को डूबा देने का आरोप लगाते हैं उन लोगों का बाबा
साहेब के मिशन का ग्यान ही नहीं है! बाबा साहेब का मिशन है भारत में न्याय-समता-स्वतंत्रता-बंधुता
पर आधारित समाज की स्थापना करना! राजनैतिक सत्ता इस लक्ष्य के संदर्भ में एक अहम पहलू
मात्र है, माध्यम मात्र है, लक्ष्य नहीं! बाबा साहेब ने राजनैतिक शक्ति को एक माध्यम
ही माना है, ये और बात है कि बाबा साहेब के नाम पर अपनी जीविका चलाने वाले, ब्रहम्णी
संगठनों से फण्डित लोगों ने तात्कालिक राजनैतिक शक्ति को ही लक्ष्य बनाकर बहुजनों को
गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं!
माननीया
बहन जी ने भी अपने तमाम भाषणों में स्पष्ट किया है कि उनके लिए राजनैतिक शक्ति भारत
में समतामूलक समाज बनाने का माध्यम मात्र ही है! बाबा साहेब के संदेशों को हर जहन में
स्थापित करने के लिए राजनीतिक के अलावा भी बहुत से माध्यम है जैसे कि बाबा साहेब को
अपनी संस्कृति में शामिल करना! आज बहुजन समाज के रोजमर्रा की जिंदगी जैसे कि शादी-विवाह,
अम्बेडकर मेला, अम्बेडकर मिलन, अम्बेडकर महोत्सव, दीक्षा मेला, दीक्षा मिलन, दीक्षा
महादीपावली, अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिवस, शिक्षक दिवस (सावित्री बाई फूले जन्मोत्सव)
ज्योतिर्बा फूले जन्मोत्सव, शाहू महाराज जन्मोत्सव, शिवाजी महाराज जन्मोत्सव, माता
रमाबाई जन्मोत्सव, बुद्ध पूर्णिमा, कबीर जन्मोत्सव, संत शिरोमणि संत रैदास जन्मोत्सव,
मान्यवर काशीराम साहेब जन्मोत्सव, मान्यवर काशीराम साहेब महापरिनिर्वाण दिवस, जन कल्याणकारी
दिवस (माननीया बहन जी जन्मोत्सव) आदि का आयोजन, और इन अवसरों पर बहुजन कारवां चर्चा,
समीक्षा, सेमिनार, सभा, नाटक, शैक्षणिक आयोजन आदि के माध्यम से बाबा साहेब की वैचारिकी
जन जन तक पहुंच रही है! ऐसा करने की प्रेरणा व साहस बहन जी की हुकूमत का ही परिणाम
हैं!
हमारे
दादा जी कहते थे कि एक समय था कि वंचित लोग खुद नीला झण्डा लेकर चलने में हिचकते थे
लेकिन बहन जी की हुकूमत का ही प्रतिफल है कि आज के दौर में सांस्कृतिक तौर पर अपराधी
जातियों के लोग भी अपने घरों पर नीला झण्डा लगाकर जय भीम का जयघोष कर रहे हैं! इस तरह
से बहुजन समाज की जीवन शैली में आया बदलाव बहन जी की सत्ता का ही परिणाम हैं! आज बहुजन
समाज के लोग खुलेआम सभा करते हैं, रैली करते हैं, सरकारी-गैर-सरकारी संस्थानों में
जय भीम का उद्घोष करते हैं, अपनी मांग और अपने एजेण्डे की बात करते हैं, शादी-विवाह,
जलसे आदि के दौरान बहुजन महाना़यकों-नायिकाओं के पोस्टर लगते हैं! क्या ये बहुजन कारवां
के आगे बढ़ने का परिचायक नहीं है? बहुजनों की लेखनी का चलना, बहुजन जनता की आवाज़ आदि
में भी बहन जी व उनकी हुकूमत का बहुमूल्य योगदान हैं! ऐसे में बाबा साहेब के मिशन को
राजनैतिक शक्ति तक ही समेट कर देखना बाबा साहेब के मिशन को संकुचित करना है, ब्रहम्णवाद
को बढ़ावा देना है!
बहुजन
कारवां के संदर्भ में बहन जी ने बहुजन आंदोलन को परवान चढ़ा कर वो मुकाम हासिल कर लिया
है कि आने वाले इतिहास में बाबा साहेब, मान्यवर काशीराम साहेब के बाद माननीया बहन जी
का नाम दर्ज हो चुका है!
--------------------------रजनीकान्त इन्द्रा-------------------------
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