दिनांक -
अगस्त २८, २०१८
प्रिय मूलनिवासी बहुजन
साथियों,
जब हम जातीय अत्याचार व
अनाचार पर लिखते हैं, बोलते हैं, अम्बेडकारिज्म व बुद्धिज्म की चर्चा करते हैं,
विमर्श करते हैं तो ब्रहम्णी रोग से संक्रमित लोग हमें ही जातिवादी कहने लगते हैं!
इनकों लगता है कि जाति व्यवस्था हमने बनायी है! ऐसे लोगों का ये भी कहना है
कि हम बुद्ध व बाबा साहेब के साथ अन्य सभी मूलनिवासी बहुजन महानायकों व
महानायिकाओं को ईश्वर बना रहे हैं! ये ऐसा इसलिए कहते है क्योंकि इनकों इस बात का
डर सताता रहता है कि मार्किट में कोई नया ईश्वर ना आ जाये या फिर इनके ईश्वर
को चुनौती देकर इनके धर्म के धंधे को ख़त्म ना कर दे?
ऐसे लोगों से हम पूरी सख्ती से कहना चाहते हैं
कि बुद्ध-अम्बेडकरी पथ पर किसी को भी किसी तथाकथित भगवान / ईश्वर की जरूरत ही नहीं
पड़ती है! इसलिए ऐसे लोगों को चिन्तित होने की ज़रूरत नहीं है!
ऐसे बुद्धिजीवी लोगों
को उनसे कोई तकलीफ नहीं होती है जिन्होंने ने जाति व्यवस्था का सृजन किया है, जो
जाति व्यवस्था को बनाये रखने के लिए लगातार षडयंत्र कर रहे हैं!
ऐसे लोगों को सिर्फ हम जैसे उन लोगों से तकलीफ
है जो जाति व्यवस्था जैसे घिनौनी परम्परा को लगातार चोट कर रहे हैं, जो इनकी बनायी
जाति को आधार बनाकर घिनौनी जाति की इमारत को ध्वस्त कर रहे हैं!
सनद रहें,
जब हम जैसे लोग जाति की चर्चा करते हैं तो जाति
व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जाति की चर्चा नहीं करते हैं, बल्कि जाति व्यवस्था
की घिनौनी इमारत को हमेशा के लिए नेस्तनाबूद करने के लिए जाति की चर्चा करते हैं!
शुक्रिया...
जय भीम....
आपका अपना मूलनिवासी बहुजन साथी
रजनीकान्त
इन्द्रा
इलाहाबाद हाईकोर्ट इलाहाबाद
फॉउंडर एलीफ
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