प्रिय बहुजन साथियों,
हमारे विचार से, हम सब
बहुजन साथियों को मिलकर हर गांव, हर गली-मोहल्ले में बोधिसत्व विश्वरत्न शिक्षा
प्रतीक मानवता मूर्ति बाबा साहब डॉक्टर बी आर अंबेडकर की शिक्षादायी, मानवता
प्रतीक प्रेरणादायक मूर्तियों की तरह ही बहुजन समाज के अन्य सभी महानायकों व
महानायिकाओं की मूर्तियां को स्थापित किया जाए! ये मूर्तियां किसी किसी पूजा-पाठ
या ब्रहम्णी कर्मकाण्ड के लिए नहीं है बल्कि ये मूर्तियां हमारे समाज को
ब्रहम्णवाद, ब्रहम्णी कर्मकाण्ड रीति-रिवाजों, परम्पराओं और तीज-त्यौहारों से दूर
कर हमारे समाज को हमारे समाज का इतिहास इतिहास बताती हैं, और ये मूर्तियाँ हमारे
85% आबादी वाले बहुजन समाज को आगे ले जाने वाली विचारधारा को स्थापित करती हैं,
मजबूत करती हैं, हमें प्रेरणा देतीे हैं, हमें लड़ने का साहस देती हैं, हमें हमारे
महानायकों व महानायिकाओं से मिलवाती हैं, उनके जीवनदर्शन से हमें अवगत कराती हैं,
हमें बताती हैं कि अपराधी जाति के लोगों से किस तरह निपटना है! ये मूर्तियां हमें
यह भी बताती हैं कि ब्राह्मण-सवर्ण समाज, जो कि अपराधी जाति हैं, के लोगों ने किस
तरह हमारे लोगों पर अत्याचार किया है, किस तरह ब्राह्मण-सवर्ण अपराधी जाति के
लोगों ने मिलकर सकल बहुजन समाज पर सदियों से गुलाम बनाये रखा था! ये हमारा इतिहास
ही हमारे ऊपर हुए अत्याचार की हमें और हमारे लोगों को जानकारी देता है, एक प्रेरणा
के तौर पर एक प्रतिक्रांति के लिए तैयार करता है! हमारी मुक्ति सामाजिक क्रांति से
ही होगा! जब तक इस देश में सामाजिक बदलाव नहीं हो जाता है, जब तक इस देश में
समतामूलक संस्कृति की स्थापना नहीं हो जाती है तब तक इस देश में किसी भी तरह से
मानवता सुरक्षित नहीं रह सकती है! ऐसे में हमारा मानना है कि बाबा साहब डॉक्टर
भीमराव रामजी आंबेडकर के साथ-साथ तथागत गौतम बुद्ध, ई वी रामास्वामी पेरियार
नायकर, नारायणा गुरु, संत गाडगे, बिरसा मुंडा, छत्रपति शाहू जी महाराज,
तिलकामांझी, मान्यवर कांशी राम साहब, बहन कुमारी मायावती जी, ललई यादव, झलकारीबाई,
फूलन देवी और उदा देवी पासी जैसी तमाम बहुजन वीरांगनाओं की मूर्तियों को
गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले प्रेरणा स्रोत के तौर पर स्थापित किया जाए और लोगों को
इन मूर्तियों के जरिए बहुजन समाज के समतामूलक आंदोलन के लिए जागरूक किया जाय, और
भारत में दुनियां के सबसे बड़े सामाजिक परिवर्तन की महाक्रांति के लिए तैयार किया
जाए!
नमो बुद्धाय...
जय भीम,जय भारत...
रजनीकान्त
इन्द्रा, इतिहास
छात्र, इग्नू नई दिल्ली
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