प्रिय मूलनिवासी बहुजन साथियों,
"देश का राजनैतिक वातावरण एक नवीन व सकारात्मक परिवर्तन के लिए करवट
ले रहा है, ब्रहम्णी हुकूमत से संविधान सम्मत शासन की तरफ रूख कर रहा है! लोकतन्त्र
ब्रहम्णी हिन्दू आतंकवादियों की गिरफ्त से आजाद होने को संघर्ष कर रहा है! ऐसे में
भारत बुद्ध-अम्बेडकरी संविधान व लोकतंत्र को कोई बचा सकता है तो वो बहुजन समाज है,
उसका आन्दोलन है, बहुजन समाज की राजनीति है! ऐसे में देश के सामने एक मात्र चेहरा,
एकमेव सख्शियत नजर आती हैं तो वो कोई और नही बल्कि बहुजन आन्दोलन व भारत में सामाजिक
परिवर्तन की महानायिका वीरांगना बहन कुमारी मायावती जी ही हैं!
फिलहाल, आगे की राजनैतिक रणनीति के तहत, गोरखपुर व फूलपुर के लोकसभा उप
चुनाव-2018 के संदर्भ में सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन कुमारी मायावती जी के
एक फैसले ने राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय राजनीति को सकारात्मकता
का एक नया माहौल दे दिया है, आशा की नई किरण प्रज्वलित कर दिया है, बहुजन समाज में
नव ऊर्जा का प्रवाह कर ब्रहम्णवाद के गाल पर वो बुद्ध-अम्बेडकरी तमाचा मारा है कि ब्राह्मणी
रोगी संविधान बदलना भूलकर ईद मनाने लगे हैं!
अब देखना यह है कि अखिलेश का अगला कदम क्या होगा?
हमारे विचार में, यदि अखिलेश, बहन जी को अॉफिसियल तौर अगले प्रधानमंत्री
पद का उम्मीदवार (जो कि अघोषित रूप से स्थापित सत्य है, जो कि बहुजन की चाहत हैं, देश
को जिनकी जरूरत है, भारतीय राजनीति को बेशब्री से जिनका इंतजार है और जिनके लिए लाल
किला खुद को नीले रंग में रंगने को आतुर है) घोषित कर दे, तो जहॉ एक तरफ भारत की राजनीति
में भूचाल आ जायेगा, वहीं दूसरी तरफ ब्रहम्णी रोगी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत
"Right to Life & Liberty which includes Right to Die with Dignity-सुप्रीम
कोर्ट" का इस्तेमाल करते हुए मोक्ष को प्राप्त कर लेगें!
भारत में ब्रहम्णवाद की की मौत और ब्रहम्णी रोगियों के मोक्ष प्राप्ति
में ही भारत कल्याण है! इसी में भारत की, बहुजन समाज की और भारत मानवता की भलाई निहित
है!"
रजनीकान्त इन्द्रा, एल. एल. बी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट इलाहाबाद
मार्च 18, 2018
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