Friday, June 22, 2012

खतरे में पाकिस्तान का संवैधानिक भविष्य

ब्रिटेन के लोगों का प्रशासनिक , राजनैतिक और न्यायिक अनुभव दुनिया के अन्य देशों की तुलना में बहुत आगे है | ब्रिटेन ही वह देश है जिसने लगभग पूरे दुनिया पर राज किया है | इसलिए ब्रिटेन के संविधान का प्रभाव दुनिया के लगभग सभी देशों पर पाया जाता है |

ब्रिटिस संविधान के अनुसार , ब्रिटेन के राजा को वहां के कानूनी दायरे से बाहर रखा गया है | इसका सीधा सा कारण है - यदि राजा जेल के अन्दर होगा तो प्रशासनिक कार्यभार कौन देखेगा ? यदि राजा नहीं होगा तो पूरा का पूरा प्रशासनिक तंत्र ही खतरे में पड़ जायेगा | प्रशासनिक तंत्र को बनाये रखने के उद्देश्य से राजा को हर प्रकार के जुर्म के लिए कोर्ट और कानून से ऊपर रखा गया है

ब्रिटिस संविधान के प्रभाव के कारण , यही शैली अन्य प्रजातंत्रिक गणतंत्र देशों में भी पाया जाता है | भारत में भी महामहिम राष्ट्रपति और महामहिम राज्यपाल को उनके कार्यकाल के दौरान हर प्रकार के कोर्ट और कानून से ऊपर ( केवल संविधान के उल्लंघन की दशा को छोड़ कर ) रखा गया है | महामहिम राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लघन करने पर उन्हें महाभियोग द्वारा हटाया जाता है | जिसके लिए महामहिम राष्ट्रपति को किसी भी संवैधानिक कोर्ट में नहीं जाना पड़ता है बल्कि जनता की अदालत संसद भवन )  में अपनी सफाई देनी पड़ती है | इसके लिए भारतीय संविधान में पूरा का पूरा खाका दिया गया है | महामहिम राष्ट्रपति के ऊपर महाभियोग लगेगा या नहीं  | ये निर्णय , संसद को ही लेना होता है | इसमे संसद का निर्णय ही पहेला , अंतिम और सर्वमान्य होता है | 

ठीक यही बात पाकिस्तान के संविधान में भी है | पाकिस्तान के संविधान में साफ-साफ लिखा है कि कार्यकाल के दौरान महामहिम राष्ट्रपति के खिलाफ कोई भी केश नहीं किया जा सकता है | 

पाकिस्तान के जज खुद को ही पाकिस्तान का संविधान समझ बैठे है , और पाकिस्तान के संविधान की धज्जिया उड़ाने पर लगे हुए है | इसमे मुख्य रूप से पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश मिस्टर चौधरी है | पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के दुसरे जज भी मूक बने हुए है | पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच भी वही निर्णय दे रही है जो मिस्टर चौधरी चाहते है | ये मिस्टर चौधरी और अन्य जज ,  पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट और पाकिस्तानी संविधान को अपनी जागीर समझ बैठे है | पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट वहां के संविधान की रक्षा करने के वजाय पाकिस्तानी संविधान के साथ मजाक कर रही है | शायद ये जज , ये भूल चुके है कि संविधान के अनुसार सरकार के तीनों अंगों का महत्व बराबर है और संविधान ही सर्वोपरि है | 

जब पाकिस्तान का संविधान ही महामहिम राष्ट्रपति को सुरक्षा दिए हुए है , तो सुप्रीम कोर्ट कौन होता है महामहिम राष्ट्रपति खिलाफ बोलने वाला ? फिर प्रधानमंत्री , जनता का चुना प्रतिनिधि है  , उसे हटाने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को किसने दे दिया ? ये भी पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही पाकिस्तान के संविधान का उल्लघन  है | 

यहाँ पर गलती अकेले सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की ही नहीं है | पाकिस्तान के राजनितिक दल भी अपने वोट बैंक को बनाये रखने के उद्देश्य से पाकिस्तानी संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे है | वहां के महामहिम राष्टपति भी काफी बेवस और लाचार दिखाई पड़ रहे है | पाकिस्तान का संवैधानिक भविष्य आगे अंधकारमय होता दिखाई दे रहा है | पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट , विशेष कर मिस्टर चौधरी का ज्युडिशियल व्याख्या और ज्युडिशियल एक्टिविज्म , पाकिस्तान को ले डूबेगा , क्योकि जब देश में प्रजातंत्रिक संविधान फेल हो जायेगा तो सिर्फ और सिर्फ सेना का संविधान चलेगा | इसमे कोई संदेह नहीं है - कि कल  किसी समय वहां पर सुप्रीम कोर्ट को किसी कचरे के डिब्बे में डाल कर सैनिक शासन शुरू हो जाये | इसके बाद फिर मिस्टर चौधरी भी किसी ऐसे कटघरे के पीछे होगें जहाँ पर मानव अधिकार के नाम का निशान तक नहीं होगा |
किसी भी प्रजातंत्रिक गणतंत्र देश में जब-जब राजनितिक दल अपने वोट बैंक और सिर्फ अपनी कुर्सी के लिए लड़ेगें , तब - तब न्यायपालिका इस अवसर का नाजायज फायदा उठाएगा। … नतीजा -  प्रजातंत्र कमजोर और बद से भी  बदतर होगा ,  लोकशाही बजाय तानाशाही और तानाशाहों की हुकूमत होगी | यदि देश को सही से चलाना है तो उसके तीनो अंगों को अपने अधिकारों की सीमा मालूम होनी  चाहिए |

हर दशा में संविधान की रक्षा ही देश के तीनो अंगों लक्ष्य चाहिए | यदि आज न्यायपालिका ही संविधान का उल्लघन कर रही है तो संसद और कार्यपालिका को कठोर कदम उठाने चाहिए , जिससे की संविधान कि रक्षा हो सके | यदि संविधान सुरक्षित होगा तो प्रशासन में कोई संवैधानिक बाधा नहीं आएगी | आज हर दशा में पाकिस्तानी संसद और कार्यपालिका का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ संविधान की रक्षा होनी चाहिए | 


इसलिए पाकिस्तान की संसद और कार्यपालिका को सैनिक राज के पुनः अस्तित्व में आने से पहले अपनी संवैधानिक हरकत में  कर संविधान की रक्षा करनी चाहिए | जिससे कि वहां पर सैनिक शासन के वजाय संवैधानिक शासन कायम रहे | यही पाकिस्तान और पाकिस्तान की जनता के हित में होगा |
रजनीकान्त इन्द्रा 
छात्र लॉ, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ 
जून २२, २०१२ 

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